"वन अनुसंधान संस्थान": अवतरणों में अंतर
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'''वन अनुसंधान संस्थान''' [[उत्तराखण्ड]] के [[देहरादून]] में स्थित है। यह संस्थान देहरादून में घंटाघर से लगभग सात किलोमीटर की दूरी पर देहरादून-[[चकराता उत्तराखण्ड|चकराता]] मोटर मार्ग पर स्थित 'भारतीय वन अनुसंधान संस्थान' का सबसे बड़ा वन आधारित प्रशिक्षण संस्थान है। [[भारत]] के अधिकांश वन अधिकारी इसी संस्थान से आते हैं। 'वन अनुसंधान संस्थान' का भवन बहुत ही शानदार है। इसके साथ ही इसमें एक संग्रहालय भी है। | [[चित्र:Forest-Research-Institute-Dehradun.jpg|thumb|250px|वन्य अनुसंधान संस्थान, [[देहरादून]]]] | ||
'''वन अनुसंधान संस्थान''' [[उत्तराखण्ड]] के [[देहरादून]] में स्थित है। यह संस्थान देहरादून में घंटाघर से लगभग सात किलोमीटर की दूरी पर देहरादून-[[चकराता उत्तराखण्ड|चकराता]] मोटर मार्ग पर स्थित 'भारतीय वन अनुसंधान संस्थान' का सबसे बड़ा वन आधारित प्रशिक्षण संस्थान है। [[भारत]] के अधिकांश वन अधिकारी इसी संस्थान से आते हैं। 'वन अनुसंधान संस्थान' का भवन बहुत ही शानदार है। इसके साथ ही इसमें एक संग्रहालय भी है। यह अनुसंधान संस्थान विश्व के बेहतरीन वन्य अनुसंधान केंद्रों में से एक है। | |||
==स्थापना== | ==स्थापना== | ||
'वन अनुसंधान संस्थान', जो पूर्व में 'इपिरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट' के नाम से जाना जाता था, की स्थापना देश में वानिकी अनुसंधान क्रियाकलापों को आयोजित करने तथा आगे बढ़ाने के लिए [[1906]] को हुई थी। संस्थान विशेष रूप से [[पंजाब]], [[हरियाणा]], [[चण्डीगढ़]], [[दिल्ली]], [[उत्तर प्रदेश]] तथा [[उत्तराखंड]] की अनुसंधान आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है तथा वर्तमान में वानिकी में पी.एच.डी. डिग्री देने के अतिरिक्त एम.एस.सी. डिग्री करने के लिए अग्रणी तीन कोर्स तथा दो स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स प्रदान करता है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.icfre.org/fri.php|title=वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून|accessmonthday=13 सितम्बर|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | 'वन अनुसंधान संस्थान', जो पूर्व में 'इपिरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट' के नाम से जाना जाता था, की स्थापना देश में वानिकी अनुसंधान क्रियाकलापों को आयोजित करने तथा आगे बढ़ाने के लिए [[1906]] को हुई थी। संस्थान विशेष रूप से [[पंजाब]], [[हरियाणा]], [[चण्डीगढ़]], [[दिल्ली]], [[उत्तर प्रदेश]] तथा [[उत्तराखंड]] की अनुसंधान आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है तथा वर्तमान में वानिकी में पी.एच.डी. डिग्री देने के अतिरिक्त एम.एस.सी. डिग्री करने के लिए अग्रणी तीन कोर्स तथा दो स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स प्रदान करता है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.icfre.org/fri.php|title=वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून|accessmonthday=13 सितम्बर|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> संस्थान के परिसर में बना वनस्पति उद्यान [[देहरादून]] का अन्य प्रमुख आकर्षण है। देहरादून का वन अनुसंधान संस्थान [[एशिया]] में एकमात्र संस्थान है। | ||
====शताब्दी वर्ष तथा दिवस==== | ====शताब्दी वर्ष तथा दिवस==== | ||
[[वर्ष]] [[2006]] 'वन अनुसंधान संस्थान' के शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया गया तथा [[5 जून]], [[2006]] शताब्दी दिवस के रूप में मनाया गया। वर्ष भर चलने वाले समारोह में डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन, अध्यक्ष, एम.एस. स्वामीनाथन अनुसंधान फाऊंडेशन, [[चेन्नई]] द्वारा पहले ब्रांडिस मैमोरियल भाषण तथा विभिन्न अंर्तराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय समारोह आयोजित किए गए। शताब्दी वर्ष देश में अपनी तरह के एक विशेष प्रकार के समरोह के साथ समाप्त हुआ, जिसमें एक दो किलोमीटर लम्बे प्रतीकात्मक तथा औपचारिक हरे सन के कपड़े जिस पर उत्तराखण्ड के लाखों बच्चों के हस्ताक्षर उनकी शपथ के साथ थे कि वह वन एवं पर्यावरण की रक्षा तथा संरक्षण करेंगे, वन अनुसंधान की मुख्य इमारत के इर्द गिर्द लपेटा गया, जो वानिकी क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय संसार में अपने तरह की एक ऐतिहासिक घटना है। | [[वर्ष]] [[2006]] 'वन अनुसंधान संस्थान' के शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया गया तथा [[5 जून]], [[2006]] शताब्दी दिवस के रूप में मनाया गया। वर्ष भर चलने वाले समारोह में डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन, अध्यक्ष, एम.एस. स्वामीनाथन अनुसंधान फाऊंडेशन, [[चेन्नई]] द्वारा पहले ब्रांडिस मैमोरियल भाषण तथा विभिन्न अंर्तराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय समारोह आयोजित किए गए। शताब्दी वर्ष देश में अपनी तरह के एक विशेष प्रकार के समरोह के साथ समाप्त हुआ, जिसमें एक दो किलोमीटर लम्बे प्रतीकात्मक तथा औपचारिक हरे सन के कपड़े जिस पर उत्तराखण्ड के लाखों बच्चों के हस्ताक्षर उनकी शपथ के साथ थे कि वह वन एवं पर्यावरण की रक्षा तथा संरक्षण करेंगे, वन अनुसंधान की मुख्य इमारत के इर्द गिर्द लपेटा गया, जो वानिकी क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय संसार में अपने तरह की एक ऐतिहासिक घटना है। | ||
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09:14, 13 सितम्बर 2013 का अवतरण
वन अनुसंधान संस्थान उत्तराखण्ड के देहरादून में स्थित है। यह संस्थान देहरादून में घंटाघर से लगभग सात किलोमीटर की दूरी पर देहरादून-चकराता मोटर मार्ग पर स्थित 'भारतीय वन अनुसंधान संस्थान' का सबसे बड़ा वन आधारित प्रशिक्षण संस्थान है। भारत के अधिकांश वन अधिकारी इसी संस्थान से आते हैं। 'वन अनुसंधान संस्थान' का भवन बहुत ही शानदार है। इसके साथ ही इसमें एक संग्रहालय भी है। यह अनुसंधान संस्थान विश्व के बेहतरीन वन्य अनुसंधान केंद्रों में से एक है।
स्थापना
'वन अनुसंधान संस्थान', जो पूर्व में 'इपिरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट' के नाम से जाना जाता था, की स्थापना देश में वानिकी अनुसंधान क्रियाकलापों को आयोजित करने तथा आगे बढ़ाने के लिए 1906 को हुई थी। संस्थान विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, चण्डीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड की अनुसंधान आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है तथा वर्तमान में वानिकी में पी.एच.डी. डिग्री देने के अतिरिक्त एम.एस.सी. डिग्री करने के लिए अग्रणी तीन कोर्स तथा दो स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स प्रदान करता है।[1] संस्थान के परिसर में बना वनस्पति उद्यान देहरादून का अन्य प्रमुख आकर्षण है। देहरादून का वन अनुसंधान संस्थान एशिया में एकमात्र संस्थान है।
शताब्दी वर्ष तथा दिवस
वर्ष 2006 'वन अनुसंधान संस्थान' के शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया गया तथा 5 जून, 2006 शताब्दी दिवस के रूप में मनाया गया। वर्ष भर चलने वाले समारोह में डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन, अध्यक्ष, एम.एस. स्वामीनाथन अनुसंधान फाऊंडेशन, चेन्नई द्वारा पहले ब्रांडिस मैमोरियल भाषण तथा विभिन्न अंर्तराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय समारोह आयोजित किए गए। शताब्दी वर्ष देश में अपनी तरह के एक विशेष प्रकार के समरोह के साथ समाप्त हुआ, जिसमें एक दो किलोमीटर लम्बे प्रतीकात्मक तथा औपचारिक हरे सन के कपड़े जिस पर उत्तराखण्ड के लाखों बच्चों के हस्ताक्षर उनकी शपथ के साथ थे कि वह वन एवं पर्यावरण की रक्षा तथा संरक्षण करेंगे, वन अनुसंधान की मुख्य इमारत के इर्द गिर्द लपेटा गया, जो वानिकी क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय संसार में अपने तरह की एक ऐतिहासिक घटना है।
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वीथिका
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 13 सितम्बर, 2013।
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