"तुम्हारे बिना आरती का दीया यह -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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किसे ज्ञात है प्राण की लौ छिपाए | किसे ज्ञात है प्राण की लौ छिपाए | ||
चिता में छुपी कौन-सी फुलझड़ी है? | चिता में छुपी कौन-सी फुलझड़ी है? | ||
इसी से यहाँ राज हर | इसी से यहाँ राज हर ज़िंदगी का | ||
न छुप पा रहा है, न खुल पा रहा है। | न छुप पा रहा है, न खुल पा रहा है। | ||
17:10, 30 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण
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तुम्हारे बिना आरती का दीया यह |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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