"हर जगह आकाश -राजेश जोशी": अवतरणों में अंतर
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एक अविभाजित वितान है आकाश | एक अविभाजित वितान है आकाश | ||
जो न कहीं से शुरू होता है न कहीं खत्म | जो न कहीं से शुरू होता है न कहीं खत्म | ||
मैं | मैं दरवाज़ा खोल कर घुसता हूं, अपने ही घर में | ||
और एक आकाश में प्रवेश करता हूं | और एक आकाश में प्रवेश करता हूं | ||
सीढ़ियां चढ़ता हूं | सीढ़ियां चढ़ता हूं |
14:27, 31 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
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बोले और सुने जा रहे के बीच जो दूरी है |
टीका टिप्पणी और संदर्भबाहरी कड़ियाँसंबंधित लेख
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