"दौलतख़ाना, अजमेर": अवतरणों में अंतर
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|चित्र का नाम=दौलतख़ाना, अजमेर | |||
|विवरण='दौलतख़ाना' [[राजस्थान]] के ऐतिहासिक तथा पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। यह एक आयताकार स्थान था, जिसे अब संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। | |||
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'''दौलतख़ाना''' [[अजमेर]], [[राजस्थान]] में स्थित है। यह एक प्रसिद्ध आयताकार स्थान है, जिसे अब एक सरकारी संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। इस संग्रहालय में [[मुग़ल]] और [[राजपूत]] हथियारों का बहुत बड़ा संग्रह है। इसके अतिरिक्त यहाँ इस क्षेत्र की कई नाज़ुक मूर्तियाँ भी हैं। | '''दौलतख़ाना''' [[अजमेर]], [[राजस्थान]] में स्थित है। यह एक प्रसिद्ध आयताकार स्थान है, जिसे अब एक सरकारी संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। इस संग्रहालय में [[मुग़ल]] और [[राजपूत]] हथियारों का बहुत बड़ा संग्रह है। इसके अतिरिक्त यहाँ इस क्षेत्र की कई नाज़ुक मूर्तियाँ भी हैं। | ||
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12:23, 11 मार्च 2015 के समय का अवतरण
दौलतख़ाना, अजमेर
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विवरण | 'दौलतख़ाना' राजस्थान के ऐतिहासिक तथा पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। यह एक आयताकार स्थान था, जिसे अब संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | अजमेर |
संग्रहालय संस्थापक | लॉर्ड कर्ज़न |
विशेष | सन 1613 और 1616 ई. के बीच यह स्थान मुग़ल बादशाह अकबर और जहाँगीर की दरगाह शरीफ़ यात्रा के दौरान उनका निवास स्थान हुआ करता था। |
संबंधित लेख | राजस्थान, राजस्थान पर्यटन, अजमेर, अजमेर की दरगाह शरीफ |
अन्य जानकारी | संग्रहालय में पूर्व ऐतिहासिक अवशेष और लोहे के अवशेष तथा उनकी तस्वीरें भी हैं, जो सिंधु घाटी में मोहन जोदड़ो की खोज के दौरान मिले थे। |
दौलतख़ाना अजमेर, राजस्थान में स्थित है। यह एक प्रसिद्ध आयताकार स्थान है, जिसे अब एक सरकारी संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। इस संग्रहालय में मुग़ल और राजपूत हथियारों का बहुत बड़ा संग्रह है। इसके अतिरिक्त यहाँ इस क्षेत्र की कई नाज़ुक मूर्तियाँ भी हैं।
- सन 1613 और 1616 ई. के बीच यह स्थान मुग़ल बादशाह अकबर और जहाँगीर की दरगाह शरीफ़ यात्रा के दौरान उनका निवास स्थान हुआ करता था।[1]
- यह संग्रहालय मोटी दीवारों से घिरा हुआ है और इसके बाहर एक बोर्ड रखा हुआ है, जिस पर सर थॉमस रॉय लिखा हुआ है जो यहाँ के बादशाह द्वारा वैध पहले अंग्रेज़ राजदूत थे।
- आठवीं शताब्दी की हिन्दू मूर्तियों के साथ राजपूत और मुग़ल हथियार इस संग्रहालय के प्रमुख आकर्षण हैं।
- संग्रहालय में रखी गई देवी काली की मूर्ति इस संग्रहालय की शोभा बढ़ाती है।
- इस संग्रहालय की स्थापना 1908 में लॉर्ड कर्ज़न और सर जॉन मार्शेल की पहल पर की गई थी, जिसे 'मैगज़ीन' के नाम से भी जाना जाता है।
- यहाँ कई मूर्तियों का संग्रह है, जो पुष्कर, आधे दिन का झोपड़ा, बघेरा, पिसंगन, हर्षनाथ (सीकर), सिरोही, अरथुना और ओशियन की हैं।
- संग्रहालय में पूर्व ऐतिहासिक अवशेष और लोहे के अवशेष तथा उनकी तस्वीरें भी हैं, जो सिंधु घाटी में मोहन जोदड़ो की खोज के दौरान मिले थे।
- सार्वजनिक छुट्टियों को छोड़कर संग्रहालय सुबह 10 बजे से शाम 4:30 बजे तक (शनिवार से गुरुवार) खुला रहता है।
- भारतीय नागरिकों के लिए प्रवेश शुल्क 5 रुपये है और विदेशियों के लिए 10 रुपये है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 दौलतखाना, अजमेर (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 11 मार्च, 2015।