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'''संथाल विद्रोह''' ब्रिटिश शासनकाल में ज़मींदारों तथा साहूकारों द्वारा किये जाने वाले अत्याचारों के ख़िलाफ़ किया गया था। आदिवासियों के विद्रोहों में [[संथाल|संथालों]] का यह सबसे सशक्त विद्रोह था। | |||
*[[भागलपुर]] से [[राजमहल]] के बीच का क्षेत्र 'दामन-ए-कोल' के नाम से जाना जाता था। | *[[भागलपुर]] से [[राजमहल]] के बीच का क्षेत्र 'दामन-ए-कोल' के नाम से जाना जाता था। यह विशेष रूप से संथाल बहुल क्षेत्र था। यहाँ के हज़ारों संथालों ने गैर-आदिवासियों को भगाने और उनकी सत्ता समाप्त कर अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए जोरदार संघर्ष छेड़ा। | ||
*यह विद्रोह संथालों के नेता 'सिद्धू' तथा 'कान्हू' के नेतृत्व में किया गया था। | |||
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*विद्रोह भूमिकर अधिकारियों द्वारा किये जाने वाले दुर्व्यवहार तथा ज़मींदार, साहूकार आदि द्वारा किये जाने वाले अत्याचार के ख़िलाफ़ किया गया था। | *विद्रोह भूमिकर अधिकारियों द्वारा किये जाने वाले दुर्व्यवहार तथा ज़मींदार, साहूकार आदि द्वारा किये जाने वाले अत्याचार के ख़िलाफ़ किया गया था। | ||
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09:37, 28 मई 2015 का अवतरण
संथाल विद्रोह ब्रिटिश शासनकाल में ज़मींदारों तथा साहूकारों द्वारा किये जाने वाले अत्याचारों के ख़िलाफ़ किया गया था। आदिवासियों के विद्रोहों में संथालों का यह सबसे सशक्त विद्रोह था।
- भागलपुर से राजमहल के बीच का क्षेत्र 'दामन-ए-कोल' के नाम से जाना जाता था। यह विशेष रूप से संथाल बहुल क्षेत्र था। यहाँ के हज़ारों संथालों ने गैर-आदिवासियों को भगाने और उनकी सत्ता समाप्त कर अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए जोरदार संघर्ष छेड़ा।
- यह विद्रोह संथालों के नेता 'सिद्धू' तथा 'कान्हू' के नेतृत्व में किया गया था।
- विद्रोह भूमिकर अधिकारियों द्वारा किये जाने वाले दुर्व्यवहार तथा ज़मींदार, साहूकार आदि द्वारा किये जाने वाले अत्याचार के ख़िलाफ़ किया गया था।
- संथाल विद्रोह आर्थिक कारणों से बिहार और उड़ीसा के वीरभूम, सिंहभूम, बांकुड़ा, मुंगेर, हज़ारीबाग़ और भागलपुर के ज़िले में हुआ था।
- अंग्रेज़ सरकार ने एक बड़ी सैन्य कार्यवाही के बाद 1856 ई. में इस विद्रोह को दबाने में सफलता पाई। सरकार ने अलग संथाल परगना की मांग को मानकर क्षेत्र में शांति स्थापित की।
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