"रहीम के दोहे": अवतरणों में अंतर
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रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। | रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। | ||
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥ | पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥ [[रहिमन पानी राखिये -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर। | रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर। | ||
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥ | जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥ [[रहिमन चुप हो बैठिये -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत। | |||
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥ | काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥ [[रहिमन ओछे नरन सो -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि। | रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि। | ||
उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥ | उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥ [[रहिमन वे नर मर गये -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। | रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। | ||
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥ | टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥ [[रहिमन धागा प्रेम का -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय। | रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय। | ||
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥ | हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥ [[रहिमन विपदा ही भली -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि। | रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि। | ||
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥ | जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥ [[रहिमन देख बड़ेन को -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय। | बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय। | ||
रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥ | रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥ [[बिगरी बात बने नहीं -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि। | माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि। | ||
फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥ | फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥ [[माली आवत देख के -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय। | मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय। | ||
फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥ | फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥ [[मन मोती अरु दूध रस -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। | जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। | ||
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जे गरीब सों हित करै, धनि रहीम वे लोग। | जे गरीब सों हित करै, धनि रहीम वे लोग। | ||
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥ | कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥ [[जे गरीब सों हित करें -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
गरज आपनी आप सों रहिमन कहीं न जाया। | गरज आपनी आप सों रहिमन कहीं न जाया। | ||
जैसे कुल की कुल वधू पर घर जात लजाया॥ | जैसे कुल की कुल वधू पर घर जात लजाया॥ | ||
एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय। | |||
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अगाय॥ | रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अगाय॥ [[एकहि साधै सब सधै -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि। | आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि। | ||
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥ | ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥ [[आब गई आदर गया -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
अब रहीम मुसकिल परी, गाढ़े दोऊ काम। | अब रहीम मुसकिल परी, गाढ़े दोऊ काम। | ||
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तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। | तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। | ||
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥ | कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥ [[तरुवर फल नहिं खात है -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह। | चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह। | ||
जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥ | जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥ [[चाह गई चिंता मिटी -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
खीरा को मुंह काटि के, मलियत लोन लगाय। | खीरा को मुंह काटि के, मलियत लोन लगाय। | ||
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खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान। | खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान। | ||
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥ | रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥ [[खैर, खून, खाँसी, खुसी -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
देनहार कोउ और है, भेजत सो दिन रैन। | देनहार कोउ और है, भेजत सो दिन रैन। | ||
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छमा बड़न को चाहिये, छोटन को उत्पात। | छमा बड़न को चाहिये, छोटन को उत्पात। | ||
कह ‘रहीम’ हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥ | कह ‘रहीम’ हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥ [[छमा बड़न को चाहिये -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग। | वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग। | ||
बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥ | बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥ [[वे रहीम नर धन्य हैं -रहीम|...अर्थ पढ़ें]] | ||
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12:37, 10 फ़रवरी 2016 का अवतरण
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रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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