"प्रयोग:कविता बघेल": अवतरणों में अंतर
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-चार्ल्स ए. वियूकर | -चार्ल्स ए. वियूकर | ||
+श्री पी.एम. जोसफ | +श्री पी.एम. जोसफ | ||
||लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा के प्रथम प्रधानाचार्य श्री पी.एस. जोसफ थे। वर्ष 1995 में शारीरिक शिक्षा की अग्रणी संस्था जो केंद्र सरकार द्वारा एल.एन.सी.पी.ई. के नाम से चलाई जा रही थी को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया, जिसे 'लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन' के रूप में जाना जाता है। | ||लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा के प्रथम प्रधानाचार्य श्री पी.एस. जोसफ थे। वर्ष [[1995]] में शारीरिक शिक्षा की अग्रणी संस्था जो केंद्र सरकार द्वारा एल.एन.सी.पी.ई. के नाम से चलाई जा रही थी को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया, जिसे 'लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन' के रूप में जाना जाता है। | ||
{लाल रक्त कणिकाओं का जीवनकाल है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-15 | {[[लाल रक्त कणिका|लाल रक्त कणिकाओं]] का जीवनकाल है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-15 | ||
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-100 दिन | -100 दिन | ||
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+120 दिन | +120 दिन | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||प्रत्येक निर्मित तत्त्व विशेष अवधि तक जीवित रहते हैं। अत: हमारे शरीर को इन टूटी-फूटी कोशिकाओं को बदलते रहना चाहिए। लाल रक्त कोशिकाएं 120 दिन जीवित रहती हैं तथा प्लेटलेट्स 10 दिन। सफेद रक्त कोशिकाओं का जीवन कुछ घंटों से लेकर कई वर्षों तक होता है। | ||प्रत्येक निर्मित तत्त्व विशेष अवधि तक जीवित रहते हैं। अत: हमारे [[मानव शरीर|शरीर]] को इन टूटी-फूटी कोशिकाओं को बदलते रहना चाहिए। [[लाल रक्त कोशिका|लाल रक्त कोशिकाएं]] 120 दिन जीवित रहती हैं तथा प्लेटलेट्स 10 दिन। सफेद रक्त कोशिकाओं का जीवन कुछ घंटों से लेकर कई वर्षों तक होता है। | ||
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||प्रकृति में प्रकृति के साथ रहने को ही शिविर कहते हैं। | ||प्रकृति में प्रकृति के साथ रहने को ही शिविर कहते हैं। | ||
{भारत ने दूसरी बार एशियन खेल कौन-से वर्ष में कराए थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-29 | {[[भारत]] ने दूसरी बार एशियन खेल कौन-से वर्ष में कराए थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-29 | ||
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-1951 | -[[1951]] | ||
-1976 | -[[1976]] | ||
+1982 | +[[1982]] | ||
-2010 | -[[2010]] | ||
||भारत ने वर्ष 1951 में सर्वप्रथम नई दिल्ली में एशियन खेल का आयोजन किया। वर्ष 1982 में नई दिल्ली में दूसरी बार एशियन खेलों का आयोजन हुआ। वर्ष 2014 के एशियाई खेल दक्षिण कोरिया के इंचियोन नामक शहर में संपन्न हुए जबकि वर्ष 2018 में आगामी एशियाई खेलों का आयोजन जकार्ता में होगा। | ||[[भारत]] ने वर्ष [[1951]] में सर्वप्रथम [[नई दिल्ली]] में एशियन खेल का आयोजन किया। वर्ष [[1982]] में नई दिल्ली में दूसरी बार एशियन खेलों का आयोजन हुआ। वर्ष [[2014]] के एशियाई खेल दक्षिण कोरिया के इंचियोन नामक शहर में संपन्न हुए जबकि वर्ष [[2018]] में आगामी एशियाई खेलों का आयोजन जकार्ता में होगा। | ||
{'स्पीड प्ले' का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-200 प्रश्न-116 | {'स्पीड प्ले' का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-200 प्रश्न-116 | ||
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+आइसोमेट्रिक व्यायाम | +आइसोमेट्रिक व्यायाम | ||
-आइसो काइनेटिक व्यायाम | -आइसो काइनेटिक व्यायाम | ||
||यदि कोई व्यक्ति काफी देर तक कोई भारी चीज उठाता है, या भार को हाथों से आगे धकेलता है तो इसमें हाथों में कोई गतिशीलता नहीं होती है परंतु बल तो लग रहा है इसलिए ऊर्जा भी | ||यदि कोई व्यक्ति काफी देर तक कोई भारी चीज उठाता है, या भार को हाथों से आगे धकेलता है तो इसमें हाथों में कोई गतिशीलता नहीं होती है परंतु बल तो लग रहा है इसलिए [[ऊर्जा]] भी इस्तमाल हो रही है। परंतु पेशियों के तंतुओं की लंबाई पर कोई असर नहीं होता है। ऐसी क्रिया को आइसोमेट्रिक व्यायाम कहते हैं। स्पष्ट है कि इसमें मांसपेशी संकुचन नहीं होता है। | ||
{एंथ्रोलॉजी अध्ययन करता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-18 | {एंथ्रोलॉजी अध्ययन करता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-18 | ||
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-हड्डियों का | -हड्डियों का | ||
-तंत्रिका तंत्र का | -[[तंत्रिका तंत्र]] का | ||
-मांसपेशियों का | -[[मांसपेशी|मांसपेशियों]] का | ||
+जोड़ों का | +जोड़ों का | ||
||जंतुओं के तंत्रिका तंत्र का अध्ययन न्यूरोलॉजी या तंत्रिका विज्ञान के अंतर्गत, मांसपेशियों का अध्ययन 'Myology' (मायोलॉजी) के अंतर्गत तथा हड्डियों का अध्ययन ऑस्टियोलॉजी (ostheology) के अंतर्गत किया जाता है। दो या दो से अधिक अस्थियों का संयोजन ही जोड़ कहलाता है। जोड़ों के अध्ययन को आर्थ्रोलॉजी (Arthology) कहा जाता है। जोड़ को इस तरह पारिभाषित करते हैं- प्रत्येक उस स्थान को जहां दो अथवा दो से अधिक अस्थियों के सिरे मिलते हैं, जोड़ कहलाते हैं।" लंबी अस्थियां अनेक तलों के कुछ भागों से तथा चपटी अस्थियां अपने किनारों से- जोड़ों का निर्माण करती हैं। एंथ्रोलॉजी, एंथ्रोपोलॉजी का ही समानार्थक है जिसका अर्थ है मनुष्य के शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास और मानव जाति के व्यवहार का अध्ययन। | ||जंतुओं के [[तंत्रिका तंत्र]] का अध्ययन न्यूरोलॉजी या तंत्रिका विज्ञान के अंतर्गत, [[मांसपेशी|मांसपेशियों]] का अध्ययन 'Myology' (मायोलॉजी) के अंतर्गत तथा हड्डियों का अध्ययन ऑस्टियोलॉजी (ostheology) के अंतर्गत किया जाता है। दो या दो से अधिक अस्थियों का संयोजन ही जोड़ कहलाता है। जोड़ों के अध्ययन को आर्थ्रोलॉजी (Arthology) कहा जाता है। जोड़ को इस तरह पारिभाषित करते हैं- प्रत्येक उस स्थान को जहां दो अथवा दो से अधिक अस्थियों के सिरे मिलते हैं, जोड़ कहलाते हैं।" लंबी अस्थियां अनेक तलों के कुछ भागों से तथा चपटी अस्थियां अपने किनारों से- जोड़ों का निर्माण करती हैं। एंथ्रोलॉजी, एंथ्रोपोलॉजी का ही समानार्थक है जिसका अर्थ है मनुष्य के शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास और मानव जाति के व्यवहार का अध्ययन। | ||
{विम्बलडन चैंपियनशिप किस खेल से संबंधित है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-96 | {विम्बलडन चैंपियनशिप किस खेल से संबंधित है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-96 | ||
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+टेनिस | +[[टेनिस]] | ||
-टेबिल टेनिस | -[[टेबल टेनिस|टेबिल टेनिस]] | ||
-क्रिकेट | -[[क्रिकेट]] | ||
-फुटबॉल | -[[फुटबॉल]] | ||
||विम्बलडन चैंपियनशिप टेनिस खेल से संबंधित है। लॉन टेनिस के महत्त्वपूर्ण कप एवं ट्रॉफियां-डेविस कप, फेडरेशन कप, फ्रेंच ओपन, यू.एस. ओपन व ग्रांड प्रिक्स आदि। | ||विम्बलडन चैंपियनशिप [[टेनिस|टेनिस खेल]] से संबंधित है। लॉन टेनिस के महत्त्वपूर्ण कप एवं ट्रॉफियां-डेविस कप, फेडरेशन कप, फ्रेंच ओपन, यू.एस. ओपन व ग्रांड प्रिक्स आदि। | ||
{भारतीय खेल प्राधिकरण का गठन किस वर्ष हुआ था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-16 | {[[भारतीय खेल प्राधिकरण]] का गठन किस वर्ष हुआ था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-16 | ||
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-1974 | -[[1974]] | ||
+1984 | +[[1984]] | ||
-1994 | -[[1994]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||भारतीय खेल प्राधिकरण यानी स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया वर्ष 1982 में नई दिल्ली में हुई नौ वें एशियाई खेलों का उत्तरवर्ती संगठन है। भारत सरकार के खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय ने 25 जनवरी, 1984 को इसका गठन किया। | ||[[भारतीय खेल प्राधिकरण]] यानी स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया वर्ष [[1982]] में [[नई दिल्ली]] में हुई नौ वें एशियाई खेलों का उत्तरवर्ती संगठन है। [[भारत सरकार]] के खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय ने [[25 जनवरी]], [[1984]] को इसका गठन किया। | ||
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-आसन | -आसन | ||
-प्राणायाम | -प्राणायाम | ||
||'यम नियमासन प्राणायाम प्रत्याहार, धारणा ध्यान समाधयोऽष्टावंगानि॥ अर्थात यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि योग के आठ अंग हैं। यम के अंतर्गत पांच व्रत आते हैं जिसमें- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य तथा अपरिग्रह शामिल हैं। अत: सही उत्तर विकल्प (A) होगा। | ||'यम नियमासन प्राणायाम प्रत्याहार, धारणा ध्यान समाधयोऽष्टावंगानि॥ अर्थात यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि योग के आठ अंग हैं। यम के अंतर्गत पांच व्रत आते हैं जिसमें- अहिंसा, [[सत्य]], अस्तेय, [[ब्रह्मचर्य]] तथा अपरिग्रह शामिल हैं। अत: सही उत्तर विकल्प (A) होगा। | ||
{ग्रीस का मुख्य उद्देश्य था- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-30 | {ग्रीस का मुख्य उद्देश्य था- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-30 | ||
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-अच्छे नागरिक तैयार करना | -अच्छे नागरिक तैयार करना | ||
-अच्छे विद्वान तैयार करना | -अच्छे विद्वान तैयार करना | ||
||यूनानी खेल प्रिय थे तथा दूसरे देशों से युद्ध करते रहते थे जिसके लिए उन्हें तंदुरुस्ती की जरूरत थी तथा इसके साथ ही खेल उनके जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गया। दो राज्य स्पार्टा तथा एथेंस का नाम खेलों से जुड़ा हुआ है। स्पार्टा में खेलों का मुख्य उद्देश्य ऐसे | ||[[यूनानी]] खेल प्रिय थे तथा दूसरे देशों से युद्ध करते रहते थे जिसके लिए उन्हें तंदुरुस्ती की जरूरत थी तथा इसके साथ ही खेल उनके जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गया। दो राज्य स्पार्टा तथा एथेंस का नाम खेलों से जुड़ा हुआ है। स्पार्टा में खेलों का मुख्य उद्देश्य ऐसे ताकतवर इंसान पैदा करना होता था जो देश की रक्षा कर सके। छ: साल का होने पर बच्चे को कड़ा शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता था। | ||
{आइसोटोनिक व्यायाम का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-200 प्रश्न-117 | {आइसोटोनिक व्यायाम का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-200 प्रश्न-117 | ||
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+शक्ति | +शक्ति | ||
-गति | -गति | ||
||आइसोटोनिक व्यायाम वे होते हैं जिनमें मांसपेशियों द्वारा क्रिया की जाती है। आइसोटोनिक व्यायामों में मांसपेशियों में तनाव पैदा होता है तनाव के साथ-साथ मांसपेशियों की लंबाई में वृद्धि होती है तथा लचक भी बढ़ती है। शक्ति प्राप्त करने के लिए यह व्यायाम सर्वोच्च माने जाते हैं। इसमें एक स्थान पर दौड़ना, कूदना, भार उठाना व मैडिसन बाल के साथ व्यायाम करना आदि होता हैं। अत: आइसोटोनिक व्यायाम का संबंध शक्ति से होगा। | ||आइसोटोनिक व्यायाम वे होते हैं जिनमें [[मांसपेशी|मांसपेशियों]] द्वारा क्रिया की जाती है। आइसोटोनिक व्यायामों में मांसपेशियों में तनाव पैदा होता है तनाव के साथ-साथ मांसपेशियों की लंबाई में वृद्धि होती है तथा लचक भी बढ़ती है। शक्ति प्राप्त करने के लिए यह व्यायाम सर्वोच्च माने जाते हैं। इसमें एक स्थान पर दौड़ना, कूदना, भार उठाना व मैडिसन बाल के साथ व्यायाम करना आदि होता हैं। अत: आइसोटोनिक व्यायाम का संबंध शक्ति से होगा। | ||
{सामान्यता पाठ्यक्रम को समझा जाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-7 प्रश्न-17 | {सामान्यता पाठ्यक्रम को समझा जाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-7 प्रश्न-17 | ||
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+किसी संस्था द्वारा निर्धारित | +किसी संस्था द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम | ||
-शिक्षक के नेतृत्व में छात्रों की कार्यविधि | -शिक्षक के नेतृत्व में छात्रों की कार्यविधि | ||
-सामान्य विषय वस्तु | -सामान्य विषय वस्तु | ||
-निर्धारित सीखने का अनुभव | -निर्धारित सीखने का अनुभव | ||
||सामान्यता पाठ्यक्रम को किसी संस्था द्वारा निर्धारित | ||सामान्यता पाठ्यक्रम को किसी संस्था द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम समझा जाता है। पाठ्यक्रम निर्देशात्मक होता है जो केवल यह निर्दिष्ट करता है कि एक विशिष्ट ग्रेड या मानक प्राप्त करने के लिए किन विषयों को किस स्तर तक समझना आवश्यक है। | ||
{सैद्धांतिक रूप से नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-97 | {सैद्धांतिक रूप से नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-97 | ||
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+आइसोमेट्रिक व्यायाम | +आइसोमेट्रिक व्यायाम | ||
-आइसो काइनेटिक व्यायाम | -आइसो काइनेटिक व्यायाम | ||
||पंजाब के पटियाला शहर में स्थित नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान एशिया का सबसे बड़ा खेल संस्थान है जिसे भारतीय खेल जगत का 'मक्का' भी कहा जाता है। सैद्धांतिक रूप से यह खेलों का एक शैक्षिक प्रदान किए हैं। | ||[[पंजाब]] के [[पटियाला]] शहर में स्थित नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान एशिया का सबसे बड़ा खेल संस्थान है जिसे भारतीय खेल जगत का 'मक्का' भी कहा जाता है। सैद्धांतिक रूप से यह खेलों का एक शैक्षिक केंद्र है जिसने देश को उच्च श्रेणी के खेल प्रशिक्षक प्रदान किए हैं। | ||
{माइकल फरेरा का नाम किस खेल से जुड़ा है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-39 प्रश्न-32 | {[[माइकल फरेरा]] का नाम किस खेल से जुड़ा है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-39 प्रश्न-32 | ||
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-स्नूकर | -[[स्नूकर]] | ||
+बिलियर्ड्स | +[[बिलियर्ड्स]] | ||
-गोल्फ | -[[गोल्फ]] | ||
-इक्वेस्ट्रियन | -इक्वेस्ट्रियन | ||
||'द बॉम्बे टाइगर' के उपनाम से मशहूर माइकल फरेरा भारतीय | ||'द बॉम्बे टाइगर' के [[उपनाम]] से मशहूर [[माइकल फरेरा]] भारतीय [[बिलियर्ड्स]] खिलाड़ी हैं और यह तीन गैर-पेशेवर विश्व चैंपियन रह चुके हैं। | ||
{निम्नलिखित में कौन ग्लाइडिंग ज्वाइंट का उदाहरण है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-19 | {निम्नलिखित में कौन ग्लाइडिंग ज्वाइंट का उदाहरण है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-19 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-रिस्ट ज्वाइंट | -रिस्ट ज्वाइंट | ||
+ | +कॉर्पस एवं टार्सस ज्वाइंट | ||
-हिप ज्वाइंट | -हिप ज्वाइंट | ||
-एल्बो ज्वाइंट | -एल्बो ज्वाइंट | ||
||फिसलने वाले जोड़ (Glinding Joints) में फिसलने वाली गति होती है। इसकी गति इनका निर्माण करने वाले तंतुओं के ऊपर निर्भर करती है। सामान्यता ये जोड़ सतहों की विरोधता से बनते हैं। इस प्रकार के जोड़ के उदाहरण कॉर्पस तथा टार्सस ज्वाइंट हैं। | ||फिसलने वाले जोड़ (Glinding Joints) में फिसलने वाली गति होती है। इसकी गति इनका निर्माण करने वाले तंतुओं के ऊपर निर्भर करती है। सामान्यता ये जोड़ सतहों की विरोधता से बनते हैं। इस प्रकार के जोड़ के उदाहरण कॉर्पस तथा टार्सस ज्वाइंट हैं। | ||
{भारतीय हॉकी के इतिहास में हॉकी का जादूगर किसे कहा जाता हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-97 | {भारतीय [[हॉकी]] के इतिहास में 'हॉकी का जादूगर' किसे कहा जाता हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-97 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-धनराज पिल्लै | -[[धनराज पिल्लै]] | ||
+ध्यानचंद | +[[ध्यानचंद]] | ||
-बलविंदर सिंह | -बलविंदर सिंह | ||
-परगट सिंह | -परगट सिंह | ||
||ध्यानचंद अद्भुत निपुणता वाले खिलाड़ी थे। ये अपने भ्राता रूप सिंह के साथ इंदौर की कल्याण मल मिल की टीम से खेला करते थे। ध्यानचंद वर्ष 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे। बर्लिन में, भारत ने तीसरी बार हॉकी का स्वर्ण पदक जीता था। तभी से इनको 'हॉकी का जादूगर' कहा जाने लग। | ||[[ध्यानचंद]] अद्भुत निपुणता वाले खिलाड़ी थे। ये अपने [[भाई|भ्राता]] रूप सिंह के साथ [[इंदौर]] की कल्याण मल मिल की टीम से खेला करते थे। ध्यानचंद वर्ष [[1936]] के बर्लिन ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे। बर्लिन में, [[भारत]] ने तीसरी बार [[हॉकी]] का स्वर्ण पदक जीता था। तभी से इनको 'हॉकी का जादूगर' कहा जाने लग। | ||
{राष्ट्रीय खेल दिवस किस विधि को मनाया जाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-17 | {[[राष्ट्रीय खेल दिवस]] किस विधि को मनाया जाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-17 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-5 सितंबर | -[[5 सितंबर]] | ||
-14 फरवरी | -[[14 फरवरी]] | ||
-2 अक्टूबर | -[[2 अक्टूबर]] | ||
+29 अगस्त | +[[29 अगस्त]] | ||
||राष्ट्रीय खेल दिवस 29 अगस्त (ध्यानचंद के जन्मदिवस) को मनाया जाता है। 5 सितंबर को शिक्षक दिवस तथा 2 अक्टूबर को | ||[[राष्ट्रीय खेल दिवस]] [[29 अगस्त]] ([[ध्यानचंद]] के जन्मदिवस) को मनाया जाता है। [[5 सितंबर]] को [[शिक्षक दिवस]] तथा [[2 अक्टूबर]] को [[गाँधी जयंती|महात्मा गाँधी जयंती]] मनाया जाता है। [[14 फरवरी]] को वैलेनटाइन दिवस मनाया जाता है। | ||
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-यम | -यम | ||
-नियम | -नियम | ||
-आसन | -[[आसन]] | ||
+प्राणायाम | +प्राणायाम | ||
||शीतकारी, प्राणायाम एक प्रकार है इसके अभ्यास से शरीर को | ||शीतकारी, प्राणायाम का एक प्रकार है इसके अभ्यास से शरीर को शीतलता का अनुभव होता है। | ||
{प्रो. | {[[कर्ण सिंह|प्रो. कर्ण सिंह]] को निम्नलिखित अवॉर्ड में से कौन-सा अवॉर्ड दिया गया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-31 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अर्जुन अवॉर्ड | -[[अर्जुन पुरस्कार|अर्जुन अवॉर्ड]] | ||
+द्रोणाचार्य अवॉर्ड | +[[द्रोणाचार्य पुरस्कार|द्रोणाचार्य अवॉर्ड]] | ||
-राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड | -[[राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार|राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड]] | ||
-पद्मभूषण अवॉर्ड | -[[पद्मभूषण|पद्मभूषण अवॉर्ड]] | ||
||प्रो. कर्ण सिंह जो विख्यात शारीरिक शिक्षक हैं तथा जिन्होंने अनेक खिलाडियों को प्रशिक्षित किया है, उन्हें वर्ष 1995 में द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिला था। उन्हीं के प्रयासों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी जैसे-अजमेर सिंह, ब्रिगेडियर लाभ सिंह आदि श्रेष्ठ कोचिंग प्राप्तकर महान खिलाड़ी उभरे। | ||[[कर्ण सिंह|प्रो. कर्ण सिंह]] जो विख्यात शारीरिक शिक्षक हैं तथा जिन्होंने अनेक खिलाडियों को प्रशिक्षित किया है, उन्हें वर्ष [[1995]] में [[द्रोणाचार्य पुरस्कार|द्रोणाचार्य अवॉर्ड]] मिला था। उन्हीं के प्रयासों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी जैसे-अजमेर सिंह, ब्रिगेडियर लाभ सिंह आदि श्रेष्ठ कोचिंग प्राप्तकर महान खिलाड़ी उभरे। | ||
{'पेस | {'पेस दौड़ों" का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-200 प्रश्न-118 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-शक्ति | -शक्ति | ||
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-लचीलापन | -लचीलापन | ||
-गति | -गति | ||
||पेस | ||पेस दौड़ों में [[एथलेटिक्स|एथलीट]] अपनी अधिकतम गति लंबी अवधि तक बनाए रखने की योग्यता या क्षमता का विकास करता है। भिन्न-भिन्न व्यक्तियों की यह गति क्षमता आयु, योग्यता, शक्ति सहन क्षमता पर आधारित रहती है। साधारणत: किशोर अवस्था के खिलाड़ी अपनी अधिकतम 10 से 15 मील तक बनाए रख सकता है, इसके विपरीत एक प्रशिक्षण एथलीट लगभग 35 मील से ऊपर अपनी यह गति बनाए रख सकता है। पेस दौड़े मुख्य रूप से खिलाड़ियो की सहनशक्ति या दमखम को बढ़ाती हैं | ||
{निम्न में से किस स्थान पर प्राचीन 'ग्लेडिएटर मुकाबला' आयोजित होता था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-7 प्रश्न-18 | {निम्न में से किस स्थान पर प्राचीन 'ग्लेडिएटर मुकाबला' आयोजित होता था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-7 प्रश्न-18 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-स्पार्टा | -स्पार्टा | ||
+रोम | +[[रोम]] | ||
-एथेंस | -एथेंस | ||
-ओलंपिया | -ओलंपिया | ||
||'ग्लेडिएटर | ||'ग्लेडिएटर मुकाबला' प्राचीन रोमन सामाज्य में मनोरंजन के लिए की जाने वाली सशस्त्र लड़ाकों की एक स्पर्धा थी जिसका आयोजन [[रोम]] में किया जाता है। | ||
{'प्लेंटर फ्लेक्शन' गतिविधि (मूवनेंट) केवल होती है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-18 प्रश्न-98 | {'प्लेंटर फ्लेक्शन' गतिविधि (मूवनेंट) केवल होती है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-18 प्रश्न-98 | ||
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||'प्लेंटर फ्लेक्शन' गतिविधि तब होती है जब व्यक्ति अपने टखने को मोड़ कर पंजे के बल खड़े होने का प्रयास करता है। बहुधा जिमनास्ट तथा नर्तकों को ऐसा करते हुए देखा जा सकता है। | ||'प्लेंटर फ्लेक्शन' गतिविधि तब होती है जब व्यक्ति अपने टखने को मोड़ कर पंजे के बल खड़े होने का प्रयास करता है। बहुधा जिमनास्ट तथा नर्तकों को ऐसा करते हुए देखा जा सकता है। | ||
{वर्ष 1998 में हॉकी विश्व कप टूर्नामेंट कहां आयोजित किया गया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-39 प्रश्न-33 | {वर्ष [[1998]] में [[हॉकी]] विश्व कप टूर्नामेंट कहां आयोजित किया गया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-39 प्रश्न-33 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+हॉलैंड | +हॉलैंड | ||
-यू.के. | -[[यूनाइटेड किंगडम|यू.के]]. | ||
-यू.एस.ए. | -यू.एस.ए. | ||
-मलेशिया | -[[मलेशिया]] | ||
||वर्ष 1998 पुरुष हॉकी विश्व कप 20 जून से 1 जुलाई, 1998 के मध्य हॉलैंड (नीदरलैंड्स) में आयोजित किया गया। | ||वर्ष [[1998]] पुरुष हॉकी विश्व कप [[20 जून]] से [[1 जुलाई]], [[1998]] के मध्य हॉलैंड (नीदरलैंड्स) में आयोजित किया गया। | ||
{बैडमिंटन खेल में कौन-सा नियम लागू है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-20 | {[[बैडमिंटन|बैडमिंटन खेल]] में कौन-सा नियम लागू है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-20 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+डबल्स मैच में टीम एक सर्विस करती है | +डबल्स मैच में टीम एक सर्विस करती है | ||
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-मैच के प्रारंभ में बाएं कोर्ट से सर्विस होगी | -मैच के प्रारंभ में बाएं कोर्ट से सर्विस होगी | ||
-विषम संख्या होने पर दाएं कोर्ट से सर्विस होगी | -विषम संख्या होने पर दाएं कोर्ट से सर्विस होगी | ||
||[[बैडमिंटन|बैडमिंटन खेल]] में डबल्स मैच में टीम एक सर्विस करती हैं। | |||
{फुटबॉल के खेल में जब अतिरिक्त समय देने के | {[[फुटबॉल]] के खेल में जब अतिरिक्त समय देने के बाद मैच का कोई निर्णय नहीं निकलता है तो रेफरी निम्न में किसके द्वारा मैच का फैसला करवाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-98 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-कॉर्नर किक के द्वारा | -कॉर्नर किक के द्वारा | ||
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-गोल किक के द्वारा | -गोल किक के द्वारा | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||निर्णायक पेनाल्टी किक (Penalty shoot out) सामान्य अवधि के पश्चात 5-15 मिनट के अतिरिक्त खेल खेले जाने पर भी मैच बराबर रहे, तो ग्रंथि (Ties) हटाने के लिए टीमों को 5-5 पेनाल्टी किक | ||निर्णायक पेनाल्टी किक (Penalty shoot out) सामान्य अवधि के पश्चात 5-15 मिनट के अतिरिक्त खेल खेले जाने पर भी मैच बराबर रहे, तो ग्रंथि (Ties) हटाने के लिए टीमों को 5-5 पेनाल्टी किक दिए जाते हैं। यह क्रम तब तक जारी रखा जाता है जब तक ग्रंथि न टूटे। | ||
{भारतीय उड़न सिख का क्या नाम है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-18 | {भारतीय उड़न सिख का क्या नाम है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-18 | ||
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-बूटा सिंह | -बूटा सिंह | ||
-बहादुर सिंह | -बहादुर सिंह | ||
+मिल्खा सिंह | +[[मिल्खा सिंह]] | ||
||वर्ष 1960 के रोम ओलंपिक में 'उड़न सिख' के नाम से प्रसिद्ध मिल्खा सिंह ने 400 मी. दौड़ में महत्त्वपूर्ण प्रदर्शन करते हुए चौथा स्थान प्राप्त किया था। | ||वर्ष [[1960]] के रोम ओलंपिक में 'उड़न सिख' के नाम से प्रसिद्ध [[मिल्खा सिंह]] ने 400 मी. दौड़ में महत्त्वपूर्ण प्रदर्शन करते हुए चौथा स्थान प्राप्त किया था। | ||
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||योग के अंतर्गत पूरक एवं रेचक क्रियाएं बहुत महत्त्वपूर्ण होती हैं। पूरक का अर्थ है श्वास लेना और रेचक का अर्थ है श्वास छोड़ना। हम जन्म से लेकर मृत्यु तक पूरक और रेचक क्रिया करते रहते हैं। इसके अतिरिक्त श्वास लेने और छोड़ने के बीच हम कुछ लक्ष के लिए रुकते हैं। इस रुकने की क्रिया को ही कुंभक कहते हैं। | ||योग के अंतर्गत पूरक एवं रेचक क्रियाएं बहुत महत्त्वपूर्ण होती हैं। पूरक का अर्थ है श्वास लेना और रेचक का अर्थ है श्वास छोड़ना। हम जन्म से लेकर मृत्यु तक पूरक और रेचक क्रिया करते रहते हैं। इसके अतिरिक्त श्वास लेने और छोड़ने के बीच हम कुछ लक्ष के लिए रुकते हैं। इस रुकने की क्रिया को ही कुंभक कहते हैं। | ||
{कौन-से निम्नलिखित विटामिन को सूरज की किरणों में भी प्राप्त कर सकते हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-32 | {कौन-से निम्नलिखित [[विटामिन]] को [[सूर्य|सूरज]] की किरणों में भी प्राप्त कर सकते हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-32 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-विटामिन-बी कॉम्पलैक्स | -विटामिन-बी कॉम्पलैक्स | ||
+विटामिन | +[[विटामिन डी]] | ||
-विटामिन-के | -[[विटामिन के|विटामिन-के]] | ||
-विटामिन-ए | -[[विटामिन ए|विटामिन-ए]] | ||
||सूर्य की किरणें, दूध, मक्खन व मछली का तेल आदि विटामिन डी के मुख्य स्त्रोत हैं। इसकी कमी के कारण रिकेट्स, आस्टियोमैलेसिया, ओस्टियोपोरोसिस आदि रोग हो जाता है। | ||[[सूर्य]] की किरणें, [[दूध]], [[माखन|मक्खन]] व [[मछली]] का तेल आदि [[विटामिन डी]] के मुख्य स्त्रोत हैं। इसकी कमी के कारण रिकेट्स, आस्टियोमैलेसिया, ओस्टियोपोरोसिस आदि रोग हो जाता है। | ||
{शारीरिक शिक्षा में गुण होने चाहिए- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-200 प्रश्न-119 | {शारीरिक शिक्षा में गुण होने चाहिए- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-200 प्रश्न-119 |
11:54, 1 जनवरी 2017 का अवतरण
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