माइकल फ़रेरा
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पूरा नाम | माइकल फ़रेरा |
जन्म | 1 अक्टूबर, 1938 |
जन्म भूमि | मुम्बई, महाराष्ट्र |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | बिलियर्ड्स |
विद्यालय | 'सेंट जेवियर्स कॉलेज' और 'गवर्नमेंट लॉ कॉलेज', मुम्बई |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म भूषण (1984), पद्म श्री (1981), 'शिव छत्रपति पुरस्कार' (1971), 'अर्जुन पुरस्कार' (1973) और 'इंटरनेशनल फेयर प्ले समिति' (1983) का बधाई पत्र। |
प्रसिद्धि | तीन बार 'एमेच्योर विश्व चैंपियन' |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | माइकल फ़रेरा ने सन 1960 के 'भारतीय राष्ट्रीय बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप' में पहली बार भाग लिया और 1964 में भारत का प्रतिनिधित्व न्यूजीलैंड में आयोजित 'विश्व एमेच्योर बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप' (WABC) में किया। |
माइकल फ़रेरा (अंग्रेज़ी: Michael Ferreira, जन्म- 1 अक्टूबर, 1938, मुम्बई, महाराष्ट्र) भारत के महान् बिलियर्ड्स खिलाड़ी हैं। इनका निकनेम "मुंबई टाइगर" है। फ़रेरा जितना अपने खेल के लिए मशहूर रहे हैं, उतना ही मैदान के बाहर अपने क्रांतिकारी कदमों के लिए भी जाने जाते रहे हैं। वे लगातार क्रिकेट के बाहर बाकी खिलाड़ियों के लिए बराबर की सुविधाओं और सम्मान के लिए माँग करते रहे हैं।
प्रारम्भिक जीवन
माइकल फ़रेरा का जन्म 1 अक्टूबर, 1938 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने 'सेंट जोसेफ़ स्कूल', दार्जिलिंग में अपनी पढ़ाई की और वहीं से 16 वर्ष की आयु से उनकी बिलियर्ड्स खेल में दिलचस्पी शुरू हुई। बाद में उन्होंने खेल में अपनी रुचि को सक्षम बनाए रखने के लिए 'सेंट जेवियर्स कॉलेज' और 'गवर्नमेंट लॉ कॉलेज', मुम्बई में दाखिला लिया।
विश्व चैंपियन
माइकल फ़रेरा तीन बार 'एमेच्योर विश्व चैंपियन' रहे। उन्होंने सन 1960 के 'भारतीय राष्ट्रीय बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप' में पहली बार भाग लिया और 1964 में भारत का प्रतिनिधित्व न्यूजीलैंड में आयोजित 'विश्व एमेच्योर बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप' (WABC) में किया। यहाँ उन्होंने सेमीफ़ाइनल तक सफर तय किया। न्यूजीलैंड में हुए इस मुकाबले में फरेरा तीसरे स्थान पर रहे। इस टूर्नामेंट को एक भारतीय विलियम जोन्स ने जीता।[1] फिर उन्होंने सन 1977 में विश्व एमेच्योर बिलियर्ड्स खिताब जीता और बाद में उसी वर्ष विश्व बिलियर्ड्स ओपन भी जीता।
अन्य सफलताएँ
वर्ष 1969 में 'लंदन वर्ल्ड बिलियर्ड्स चैंपियनशिप', 1973 'मुंबई वर्ल्ड बिलियर्ड्स चैंपियनशिप' और 1975 'आकलैंड वर्ल्ड बिलियर्ड्स चैंपियनशिप' में माइकल फ़रेरा रनर्स अप रहे। आखिरकार वर्ष 1977 में मेलबर्न में उन्होंने पहली वर्ल्ड एमेच्योर चैंपियनशिप जीती। क्राइस्टचर्च में फ़रेरा ने वर्ल्ड ओपन बिलियर्ड्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। माइकल फ़रेरा ने भारतीय बिलियर्ड्स के इतिहास में नया अध्याय तब लिखा, जब वर्ष 1978 में दिल्ली में नेशनल बिलियर्ड्स चैंपियनशिप में उन्होंने 1000 प्वाइंड का बैरियर तोड़ा और 1981 में नई दिल्ली में वर्ल्ड बिलियर्ड्स चैंपियनशिप में 630 टॉप ब्रेक पूरा कर सनसनी मचा दी।
वर्तमान जीवन
वर्तमान समय में माइकल फ़रेरा की एक कंपनी है, जो मानव जाति की मदद करने में विश्वास रखती है और "टीम आस्था' के तहत उनके विपणन अभियानों के साथ जुड़ी हुई है। उन्होंने अपने कैरियर में सभी महान् ऊँचाइयों को देखा है और वर्तमान में वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में दूसरों की मदद करते हैं।
पुरस्कार
माइकल फ़रेरा को भारत सरकार द्वारा सन 1984 में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1981 में 'पद्म श्री' से भी सम्मानित किया गया था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया और यह तर्क दिया कि- "जैसे क्रिकेटर सुनील गावस्कर को 'पद्म भूषण' पुरस्कार दिया गया, उन्हें भी उसी से सम्मानित किया जाना चाहिए।" वह पहले बिलियर्ड्स खिलाड़ी हैं, जिन्हें 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया। इसके अलावा वह महाराष्ट्र राज्य सरकार के 'शिव छत्रपति पुरस्कार' (1971), 'अर्जुन पुरस्कार' (1973) और 'इंटरनेशनल फेयर प्ले समिति' (1983) का बधाई पत्र भी प्राप्त कर चुके हैं। उन्हें बिलियर्ड्स और स्नूकर में कोचिंग उपलब्धियों के लिए 2001 में 'द्रोणाचार्य पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ माइकल फ़रेरा (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2012।