"कहावत लोकोक्ति मुहावरे-घ": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "अवरूद्ध" to "अवरुद्ध") |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}} | {{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}} | ||
{| class="bharattable-pink" | {| class="bharattable-pink" | ||
|- | |- | ||
पंक्ति 6: | पंक्ति 5: | ||
! style="width:70%"| अर्थ | ! style="width:70%"| अर्थ | ||
|- | |- | ||
| | | 1- घर में नहीं हैं दाने और अम्मा चली भुनाने। | ||
1- घर में नहीं हैं दाने और अम्मा चली भुनाने। | | अर्थ - झूठी शान दिखाना, न होने पर ढोंग करना। | ||
| | |||
अर्थ -झूठी शान दिखाना, न होने पर ढोंग करना। | |||
|- | |- | ||
|2- घड़ी में घर जले, अढ़ाई घड़ी भद्रा। | |2- घड़ी में घर जले, अढ़ाई घड़ी भद्रा। | ||
| | | अर्थ - संकट को होशियारी से दूर करें। | ||
अर्थ - संकट को होशियारी से दूर करें। | |||
|- | |- | ||
|3- घड़ी में तोला, घड़ी में माशा। | |3- घड़ी में तोला, घड़ी में माशा। | ||
| | | अर्थ - चंचल मन वाला। | ||
अर्थ - चंचल मन वाला। | |||
|- | |- | ||
|4- घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते। | |4- घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते। | ||
| | |अर्थ - घर में आने वाले का सत्कार करना चाहिए। | ||
अर्थ - घर में आने वाले का सत्कार करना चाहिए। | |||
|- | |- | ||
|5- घर का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध। | |5- घर का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध। | ||
| | |अर्थ - अपने घर में योग्यता का आदर नहीं होता और बाहर का व्यक्ति योग्य समझा जाता है। | ||
अर्थ - अपने घर में योग्यता का आदर नहीं होता और बाहर का व्यक्ति योग्य समझा जाता है। | |||
|- | |- | ||
|6- घर का भेदी लंका ढाए। | |6- घर का भेदी लंका ढाए। | ||
| | |अर्थ - घर की फूट का परिणाम बुरा होता है। | ||
अर्थ - घर की फूट का परिणाम बुरा होता है। | |||
|- | |- | ||
|7- घर की खांड़ किरकिरी, लगे पड़ोसी का गुड़ मीठा। | |7- घर की खांड़ किरकिरी, लगे पड़ोसी का गुड़ मीठा। | ||
| | | अर्थ - अपनी वस्तु़ ख़राब लगती है और दूसरे की अच्छी। | ||
अर्थ - अपनी वस्तु़ ख़राब लगती है और दूसरे की अच्छी। | |||
|- | |- | ||
|8- घर की मुर्गी दाल बराबर। | |8- घर की मुर्गी दाल बराबर। | ||
| | | अर्थ - अपनी चीज़ या अपने आदमी की क़दर नहीं होती। | ||
अर्थ - | |||
|- | |- | ||
|9- घर खीर तो, बाहर खीर। | |9- घर खीर तो, बाहर खीर। | ||
| | | अर्थ - अपने पास कुछ हो तो, बाहर भी आदर होता है। | ||
अर्थ - अपने पास कुछ हो तो, बाहर भी आदर होता है। | |||
|- | |- | ||
|10- घर का घोड़ा, नखास मोल। | |10- घर का घोड़ा, नखास मोल। | ||
| | | अर्थ - चीज़ घर में पड़ी है और उसकी कोई कीमत नहीं है। | ||
अर्थ - चीज़ घर में पड़ी है और उसकी कोई कीमत नहीं है। | |||
|- | |- | ||
|11- घायल की गति घायल जाने। | |11- घायल की गति घायल जाने। | ||
| | | अर्थ - जो कष्ट भोगता है वही दूसरों का कष्ट समझता है।। | ||
अर्थ - जो कष्ट भोगता है वही दूसरों का कष्ट समझता है।। | |||
|- | |- | ||
|12- घी कहाँ गया ? खिचड़ी में। | |12- घी कहाँ गया ? खिचड़ी में। | ||
| | | अर्थ - वस्तु का प्रयोग ठीक जगह हो गया। | ||
अर्थ - वस्तु का प्रयोग ठीक जगह हो गया। | |||
|- | |- | ||
|13- घी सँवारे काम, बड़ी बहू का नाम। | |13- घी सँवारे काम, बड़ी बहू का नाम। | ||
| | | अर्थ - काम तो साधन से हुआ, नाम करने वाले का हो गया। | ||
अर्थ - काम तो साधन से हुआ, नाम करने वाले का हो गया। | |||
|- | |- | ||
|14- घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या। | |14- घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या। | ||
| | | अर्थ - पेशेवर को किसी की से रियायत नहीं करनी चाहिए। | ||
अर्थ - पेशेवर को किसी की से रियायत नहीं करनी चाहिए। | |||
|- | |- | ||
|15- घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ाएगा। | |15- घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ाएगा। | ||
| | | अर्थ - उन्नति करके आदमी अपना ही भला करता है। | ||
अर्थ - उन्नति करके आदमी अपना ही भला करता है। | |||
|- | |- | ||
|16- घोड़े को लात, आदमी को बात। | |16- घोड़े को लात, आदमी को बात। | ||
| | | अर्थ - उत्तम वस्तु थोड़ी भी हो तो अच्छी है।। | ||
अर्थ - उत्तम वस्तु थोड़ी भी हो तो अच्छी है।। | |||
|- | |- | ||
|17- घडियाँ गिनना। | |17- घडियाँ गिनना। | ||
| | |अर्थ - बेचैनी से प्रतीक्षा करना। | ||
अर्थ - बेचैनी से प्रतीक्षा करना। | |||
|- | |- | ||
|18- घड़ों पानी पड़ जाना। | |18- घड़ों पानी पड़ जाना। | ||
| | |अर्थ - बहुत शर्मिंदा होना। | ||
अर्थ - बहुत शर्मिंदा होना। | |||
|- | |- | ||
|19- घर काट खाने को आना/घर काटने का दौड़ना। | |19- घर काट खाने को आना/घर काटने का दौड़ना। | ||
| | |अर्थ - अकेलापन अखरना। | ||
अर्थ - अकेलापन अखरना। | |||
|- | |- | ||
|20- घर का न घाट का। | |20- घर का न घाट का। | ||
| | |अर्थ - कहीं का भी नहीं रहना। | ||
अर्थ - कहीं का भी नहीं रहना। | |||
|- | |- | ||
|21- घर फूँक तमाशा देखना। | |21- घर फूँक तमाशा देखना। | ||
| | |अर्थ - अपनी हानि करके मौज उड़ाना। | ||
अर्थ - अपनी हानि करके मौज उड़ाना। | |||
|- | |- | ||
|22- घर में गंगा बहना। | |22- घर में गंगा बहना। | ||
| | |अर्थ - अच्छी चीज़ पास ही में मिल जाना। | ||
अर्थ - अच्छी चीज़ पास ही में मिल जाना। | |||
|- | |- | ||
|23- घाव पर नमक छिड़कना। | |23- घाव पर नमक छिड़कना। | ||
| | |अर्थ - दु:खी को और दु:खी करना। | ||
अर्थ - दु:खी को और दु:खी करना। | |||
|- | |- | ||
|24- घाव हरा करना। | |24- घाव हरा करना। | ||
| | |अर्थ - भूले हुए दु:ख की याद दिलाना। | ||
अर्थ - भूले हुए दु:ख की याद दिलाना। | |||
|- | |- | ||
|25- घास काटना। | |25- घास काटना। | ||
| | |अर्थ - फूहड़ काम करना। । | ||
अर्थ - फूहड़ काम करना। । | |||
|- | |- | ||
|26- घास छीलना। | |26- घास छीलना। | ||
| | |अर्थ - व्यर्थ समय गवाँना।। | ||
अर्थ - व्यर्थ समय गवाँना।। | |||
|- | |- | ||
|27- घिग्घी बँधना। | |27- घिग्घी बँधना। | ||
| | |अर्थ - स्पष्ट बोल न सकना। | ||
अर्थ - स्पष्ट बोल न सकना। | |||
|- | |- | ||
|28- घी घना मुट्ठी चना। | |28- घी घना मुट्ठी चना। | ||
| | |अर्थ - जो मिल जाए उसी पर संतुष्ट रहना चाहिए। | ||
अर्थ - जो मिल जाए उसी पर संतुष्ट रहना चाहिए। | |||
|- | |- | ||
|29- घी के दिये जलना। | |29- घी के दिये जलना। | ||
| | |अर्थ - आनंद मंगल होना, खुशियाँ मनाना। | ||
अर्थ - आनंद मंगल होना, खुशियाँ मनाना। | |||
|- | |- | ||
|30- घी खिचड़ी होना। | |30- घी खिचड़ी होना। | ||
| | |अर्थ - खूब मिल- जुल जाना।। | ||
अर्थ - खूब मिल- जुल जाना।। | |||
|- | |- | ||
|31- घोंघा बसंत। | |31- घोंघा बसंत। | ||
| | |अर्थ - मूर्ख होना। | ||
अर्थ - मूर्ख होना। | |||
|- | |- | ||
|32- घोड़े बेचकर सोना। | |32- घोड़े बेचकर सोना। | ||
| | |अर्थ - निश्चिंत हो जाना। | ||
अर्थ - निश्चिंत हो जाना। | |||
|- | |- | ||
|33- घँघोल डालना। | |33- घँघोल डालना। | ||
| | |अर्थ - गँदला या गंदा कर देना। | ||
अर्थ - गँदला या गंदा कर देना। | |||
|- | |- | ||
|34- घंटा दिखाना। | |34- घंटा दिखाना। | ||
| | |अर्थ - ऐसा उत्तर देना या मुद्रा बनाना जिससे आवेदक या इच्छुक पूरी तरह से निराश हो जाए। | ||
अर्थ - ऐसा उत्तर देना या मुद्रा बनाना जिससे आवेदक या इच्छुक पूरी तरह से निराश हो जाए। | |||
|- | |- | ||
|35- [[घंटा हिलाना]]। | |35- [[घंटा हिलाना]]। | ||
| | |अर्थ - व्यर्थ बैठे रहना, व्यर्थ का काम करना। | ||
अर्थ - व्यर्थ बैठे रहना, व्यर्थ का काम करना। | |||
|- | |- | ||
|36- [[घट घट में बसना]]। | |36- [[घट घट में बसना]]। | ||
| | |अर्थ - हर एक में व्याप्त होना। | ||
अर्थ - हर एक में व्याप्त होना। | |||
|- | |- | ||
|37- घंटे मोरछल से उठाना। | |37- घंटे मोरछल से उठाना। | ||
| | |अर्थ - गाजे-बाजे के साथ किसी भाग्यवान की अर्थी निकालना। | ||
अर्थ - गाजे-बाजे के साथ किसी भाग्यवान की अर्थी निकालना। | |||
|- | |- | ||
|38- [[घड़ियाँ गिनना]]। | |38- [[घड़ियाँ गिनना]]। | ||
| | |अर्थ -अत्यंत उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा करना, मरणासन्न होना, मृत्यु की इंतजार में होना। | ||
अर्थ -अत्यंत उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा करना, मरणासन्न होना, मृत्यु की इंतजार में होना। | |||
|- | |- | ||
|39- [[घड़ी टेढ़ी होना]]। | |39- [[घड़ी टेढ़ी होना]]। | ||
| | |अर्थ - समय विपरीत होना। | ||
अर्थ - समय विपरीत होना। | |||
|- | |- | ||
|40- [[घड़ी दो घड़ी का]]। | |40- [[घड़ी दो घड़ी का]]। | ||
| | |अर्थ - कुछ ही क्षणों का। | ||
अर्थ - कुछ ही क्षणों का। | |||
|- | |- | ||
|41- [[घड़ी पहाड़ हो जाना]]। | |41- [[घड़ी पहाड़ हो जाना]]। | ||
| | |अर्थ - थोड़ा समय भी न बीतना | ||
अर्थ - थोड़ा समय भी न बीतना | |||
|- | |- | ||
|42- [[घड़ो पानी पड़ना]]। | |42- [[घड़ो पानी पड़ना]]। | ||
| | |अर्थ - लोगों के सामने हेय या हीन सिद्ध होने पर अत्यन्त लज्जित होना। | ||
अर्थ - लोगों के सामने हेय या हीन सिद्ध होने पर अत्यन्त लज्जित होना। | |||
|- | |- | ||
|43- [[घपले में पड़ना|घपले में पड़ना/पड़ जाना]]। | |43- [[घपले में पड़ना|घपले में पड़ना/पड़ जाना]]। | ||
| | |अर्थ - खटाई में पड़ना, भ्रमित होना। | ||
अर्थ - खटाई में पड़ना, भ्रमित होना। | |||
|- | |- | ||
|44- [[घबरा उठना]]। | |44- [[घबरा उठना]]। | ||
| | |अर्थ - बेचैन होना। | ||
अर्थ - बेचैन होना। | |||
|- | |- | ||
|45- [[घमंड में चूर]]। | |45- [[घमंड में चूर]]। | ||
| | |अर्थ - घमंड से ओतप्रोत। | ||
अर्थ - घमंड से ओतप्रोत। | |||
|- | |- | ||
|46- [[घर आँगन हो जाना]]। | |46- [[घर आँगन हो जाना]]। | ||
| | |अर्थ - घर का टूट-फूट कर खँडहर या मैदान हो जाना | ||
अर्थ - घर का टूट-फूट कर खँडहर या मैदान हो जाना | |||
|- | |- | ||
|47- [[घर उजड़ना|घर उजड़ना/उजाड़ देना]]। | |47- [[घर उजड़ना|घर उजड़ना/उजाड़ देना]]। | ||
| | |अर्थ - गृहस्थी चौपट होना। | ||
अर्थ - गृहस्थी चौपट होना। | |||
|- | |- | ||
|48- [[घर कर लेना]]। | |48- [[घर कर लेना]]। | ||
| | |अर्थ - अपनी स्थायी निवास बना लेना। | ||
अर्थ - अपनी स्थायी निवास बना लेना। | |||
|- | |- | ||
|49- [[घर का आदमी]]। | |49- [[घर का आदमी]]। | ||
| | |अर्थ - परिवार का सदस्य, घनिष्ठ मित्र अथवा संबंधी। | ||
अर्थ - परिवार का सदस्य, घनिष्ठ मित्र अथवा संबंधी। | |||
|- | |- | ||
|50- घर का रास्ता समझना। | |50- घर का रास्ता समझना। | ||
| | |अर्थ - सुगम और सुपरिचित समझना। | ||
अर्थ - सुगम और सुपरिचित समझना। | |||
|- | |- | ||
|51- घर के घर | |51- घर के घर | ||
| | |अर्थ - घर की सीमा में ही, आपस में ही। | ||
अर्थ - घर की सीमा में ही, आपस में ही। | |||
|- | |- | ||
|52- [[घर के घर रह जाना]]। | |52- [[घर के घर रह जाना]]। | ||
| | |अर्थ - ऐसी स्थिति में होना कि व्यापार, लेन देन आदि में न लाभ हो न हानि। | ||
अर्थ - ऐसी स्थिति में होना कि व्यापार, लेन देन आदि में न लाभ हो न हानि। | |||
|- | |- | ||
|53- घर खाली छोड़ना। | |53- घर खाली छोड़ना। | ||
| | |अर्थ - वर करते हुए भी आघात या प्रहार न करना, बल्कि जान बूझकर खाली जाने देना। | ||
अर्थ - वर करते हुए भी आघात या प्रहार न करना, बल्कि जान बूझकर खाली जाने देना। | |||
|- | |- | ||
|54- [[घर खोद डालना]]। | |54- [[घर खोद डालना]]। | ||
| | |अर्थ - बार बार किसी के घर जाकर उसे परेशान करना। | ||
अर्थ - बार बार किसी के घर जाकर उसे परेशान करना। | |||
|- | |- | ||
|55- घर जमाना। | |55- घर जमाना। | ||
| | |अर्थ - घर गृहस्थी के लिए आवश्यक वस्तुएँ लाना। | ||
अर्थ - घर गृहस्थी के लिए आवश्यक वस्तुएँ लाना। | |||
|- | |- | ||
|56- [[घर तक पहुँचना]]। | |56- [[घर तक पहुँचना]]। | ||
| | |अर्थ - किसी को माँ बहन तक की गालियाँ देना। | ||
अर्थ - किसी को माँ बहन तक की गालियाँ देना। | |||
|- | |- | ||
|57- [[घर में चूल्हा न जलना]]। | |57- [[घर में चूल्हा न जलना]]। | ||
| | |अर्थ - रसोई न बनना। इन्हीं परेशानियों के कारण हमारे यहाँ दो दिन चूल्हा तक नहीं जला। | ||
अर्थ - रसोई न बनना। | |||
इन्हीं परेशानियों के कारण हमारे यहाँ दो दिन चूल्हा तक नहीं जला। | |||
|- | |- | ||
|58- [[घर में झाड फिरना|घर में झाड फिरना/फिर जाना]]। | |58- [[घर में झाड फिरना|घर में झाड फिरना/फिर जाना]]। | ||
| | |अर्थ - घर में कुछ भी न रह जाना। | ||
अर्थ - घर में कुछ भी न रह जाना। | |||
|- | |- | ||
|59- [[घर फूँक तमाशा देखना]]। | |59- [[घर फूँक तमाशा देखना]]। | ||
| | |अर्थ - घर गृहस्थी चौपट या नष्ट करना। | ||
अर्थ - घर गृहस्थी चौपट या नष्ट करना। | |||
|- | |- | ||
|60- [[घर बचाना]]। | |60- [[घर बचाना]]। | ||
| | |अर्थ - अपने कौशल या चातुराई से प्रहार या बात विफल करना। | ||
अर्थ - अपने कौशल या चातुराई से प्रहार या बात विफल करना। | |||
|- | |- | ||
|61- घर बनाना। | |61- घर बनाना। | ||
| | |अर्थ - घर में सुख सुविधाओं की व्यवस्था करना। | ||
अर्थ - घर में सुख सुविधाओं की व्यवस्था करना। | |||
|- | |- | ||
|62- घर फोड़ना। | |62- घर फोड़ना। | ||
| | |अर्थ - परिवार के लोगों में परस्पर झगड़ा लगाकर उनमें फूट डालना। | ||
अर्थ - परिवार के लोगों में परस्पर झगड़ा लगाकर उनमें फूट डालना। | |||
|- | |- | ||
|63-[[घर बोलने लगना]]। | |63-[[घर बोलने लगना]]। | ||
| | |अर्थ - घर में चहल पहल होने लगना। | ||
अर्थ - घर में चहल पहल होने लगना। | |||
|- | |- | ||
|64-[[घर बैठे]]। | |64-[[घर बैठे]]। | ||
| | | अर्थ - बिना दौड धूप या प्रयास किए। | ||
अर्थ - बिना दौड धूप या प्रयास किए। | |||
|- | |- | ||
|65- [[घर लुटाना]]। | |65- [[घर लुटाना]]। | ||
| | |अर्थ - घर की सम्पत्ति गँवाना या व्यर्थ खर्च करना। | ||
अर्थ - घर की सम्पत्ति गँवाना या व्यर्थ खर्च करना। | |||
|- | |- | ||
|66- [[घर सिर पर उठाना|घर सिर पर उठाना/उठा लेना]]। | |66- [[घर सिर पर उठाना|घर सिर पर उठाना/उठा लेना]]। | ||
| | |अर्थ - बहुत अधिक शोर मचाना या हो हल्ला करना। | ||
अर्थ - बहुत अधिक शोर मचाना या हो हल्ला करना। | |||
|- | |- | ||
|67- [[घर जमाई बनना]]। | |67- [[घर जमाई बनना]]। | ||
| | |अर्थ - दामाद का ससुराल में जाकर रहना। | ||
अर्थ - दामाद का ससुराल में जाकर रहना। | |||
|- | |- | ||
|68-[[घर द्वार देखना]]। | |68-[[घर द्वार देखना]]। | ||
| | |अर्थ - गृहस्थी सँभालना और उसकी रक्षा करना। | ||
अर्थ - गृहस्थी सँभालना और उसकी रक्षा करना। | |||
|- | |- | ||
|69- घरवाली। | |69- घरवाली। | ||
| | | अर्थ - पत्नी। | ||
अर्थ - पत्नी। | |||
|- | |- | ||
|70- घर्राटा मारना/लेना। | |70- घर्राटा मारना/लेना। | ||
| | |अर्थ - खूब गहरी नींद सोना। | ||
अर्थ - खूब गहरी नींद सोना। | |||
|- | |- | ||
|71- [[घसीटना]]। | |71- [[घसीटना]]। | ||
| | |अर्थ - उलझाना। | ||
अर्थ - उलझाना। | |||
|- | |- | ||
|72- [[घाट घाट का पानी पीना]]। | |72- [[घाट घाट का पानी पीना]]। | ||
| | |अर्थ - अनेक स्थलों अथवा उनके निवासियों का रंग-ढंग देखे होना, उनके सम्पर्क या सहवास में आये होना अथवा विविध अनुभव प्राप्त किए होना अनुभवी होना | ||
अर्थ - अनेक स्थलों अथवा उनके निवासियों का रंग-ढंग देखे होना, उनके सम्पर्क या सहवास में आये होना अथवा विविध अनुभव प्राप्त किए होना अनुभवी होना | |||
|- | |- | ||
|73- घाट नहाना। | |73- घाट नहाना। | ||
| | |अर्थ - किसी के मरने पर नदी पर नहाना। | ||
अर्थ - किसी के मरने पर नदी पर नहाना। | |||
|- | |- | ||
|74- घाट लगना। | |74- घाट लगना। | ||
| | |अर्थ - नदी आदि के किनारे नाव का खड़ा होना। | ||
अर्थ - नदी आदि के किनारे नाव का खड़ा होना। | |||
|- | |- | ||
|75- [[घाटा उठाना|घाटा उठाना/आना/ पड़ना]]। | |75- [[घाटा उठाना|घाटा उठाना/आना/ पड़ना]]। | ||
| | |अर्थ - व्यापार में हानि होना, नुक्सान होना, कमी होना। | ||
अर्थ - व्यापार में हानि होना, नुक्सान होना, कमी होना। | |||
|- | |- | ||
|76- [[घाटा भरना|घाटा भरना/भर देना]]। | |76- [[घाटा भरना|घाटा भरना/भर देना]]। | ||
| | |अर्थ - क्षतिपूर्ति करना। | ||
अर्थ - क्षतिपूर्ति करना। | |||
|- | |- | ||
|77- घात ताकना। | |77- घात ताकना। | ||
| | | अर्थ - उपयुक्त अवसर की ताक में रहना। | ||
अर्थ - उपयुक्त अवसर की ताक में रहना। | |||
|- | |- | ||
|78- [[घात में पड़ना]]। | |78- [[घात में पड़ना]]। | ||
| | |अर्थ - ऐसी स्थिति में किसी का आना कि उस पर सहज में वार किया जा सके, फँसना, घिरना। | ||
अर्थ - ऐसी स्थिति में किसी का आना कि उस पर सहज में वार किया जा सके, फँसना, घिरना। | |||
|- | |- | ||
|79- [[घाम का जाना]]। | |79- [[घाम का जाना]]। | ||
| | |अर्थ - तेज़ धूप के कारण सूखना या काला पड़ना। | ||
अर्थ - तेज़ धूप के कारण सूखना या काला पड़ना। | |||
|- | |- | ||
|80- [[घाम खाना]]। | |80- [[घाम खाना]]। | ||
| | |अर्थ - सरदी से बचने के लिए धूप में बैठना। | ||
अर्थ - सरदी से बचने के लिए धूप में बैठना। | |||
|- | |- | ||
|81-घाम बचाना। | |81-घाम बचाना। | ||
| | |अर्थ - विपत्ति या संकट से स्वयं बचना या किसी को बचाना। | ||
अर्थ - विपत्ति या संकट से स्वयं बचना या किसी को बचाना। | |||
|- | |- | ||
|82- घाम लगना। | |82- घाम लगना। | ||
| | |अर्थ - लू लगना। | ||
अर्थ - लू लगना। | |||
|- | |- | ||
|83- घाव खाना। | |83- घाव खाना। | ||
| | |अर्थ - आघात या प्रहार सहने के कारण घायल होना। | ||
अर्थ - आघात या प्रहार सहने के कारण घायल होना। | |||
|- | |- | ||
|84- घाव खाना। | |84- घाव खाना। | ||
| | |अर्थ - आघात या प्रहार सहने के कारण घायल होना। | ||
अर्थ - आघात या प्रहार सहने के कारण घायल होना। | |||
|- | |- | ||
|85- [[घाव पर नमक छिड़कना]]। | |85- [[घाव पर नमक छिड़कना]]। | ||
| | |अर्थ - दुखी व्यक्ति को और अधिक यंत्रणा देना। | ||
अर्थ - दुखी व्यक्ति को और अधिक यंत्रणा देना। | |||
|- | |- | ||
|86- घाव पुजना/भरना। | |86- घाव पुजना/भरना। | ||
| | |अर्थ - क्षत या घाव के भरने के समय अंकुर निकलना। | ||
अर्थ - क्षत या घाव के भरने के समय अंकुर निकलना। | |||
|- | |- | ||
|87- [[घाव हरा होना|घाव हरा होना/ हो जाना]]। | |87- [[घाव हरा होना|घाव हरा होना/ हो जाना]]। | ||
| | |अर्थ - कष्ट या दुख की घड़ी याद आना और फलतः वही पुराना कष्ट या दुख अनुभूत करना। | ||
अर्थ - कष्ट या दुख की घड़ी याद आना और फलतः वही पुराना कष्ट या दुख अनुभूत करना। | |||
|- | |- | ||
|88- घास खाए होना। | |88- घास खाए होना। | ||
| | |अर्थ - दिमाग में घास भरी होने के कारण बेवकूफ़ी की बातें करना। | ||
अर्थ - दिमाग में घास भरी होने के कारण बेवकूफ़ी की बातें करना। | |||
|- | |- | ||
|89- घास छीलना/खोदना। | |89- घास छीलना/खोदना। | ||
| | |अर्थ - तुच्छ या बेकार हो जाना। | ||
अर्थ - तुच्छ या बेकार हो जाना। | |||
|- | |- | ||
|90- [[घिग्घी बँधना|घिग्घी बँधना/बँध जाना]]। | |90- [[घिग्घी बँधना|घिग्घी बँधना/बँध जाना]]। | ||
| | |अर्थ - भय से आतंकित हो जाने के कारण कंठ का अवरुद्ध हो जाना। | ||
अर्थ - भय से आतंकित हो जाने के कारण कंठ का अवरुद्ध हो जाना। | |||
|- | |- | ||
|91- घिरनी खाना। | |91- घिरनी खाना। | ||
| | |अर्थ - चारो और चक्कर खाना। | ||
अर्थ - चारो और चक्कर खाना। | |||
|- | |- | ||
|92- घी का कुप्पा लुढ़कना। | |92- घी का कुप्पा लुढ़कना। | ||
| | |अर्थ - किसी धनी आदमी का मरना, बहुत बड़ी हानि होना। | ||
अर्थ - किसी धनी आदमी का मरना, बहुत बड़ी हानि होना। | |||
|- | |- | ||
|93- [[घी के कुप्पे से लगना]]। | |93- [[घी के कुप्पे से लगना]]। | ||
| | |अर्थ - किसी ऐसे व्यक्ति का आश्रय प्राप्त होना जिसके फलस्वरूप बहुत अधिक लाभ हो। | ||
अर्थ - किसी ऐसे व्यक्ति का आश्रय प्राप्त होना जिसके फलस्वरूप बहुत अधिक लाभ हो। | |||
|- | |- | ||
|94- घी खिचड़ी होना। | |94- घी खिचड़ी होना। | ||
| | |अर्थ - परस्पर अत्यधिक घनिष्ठता या मेल जोल होना। | ||
अर्थ - परस्पर अत्यधिक घनिष्ठता या मेल जोल होना। | |||
|- | |- | ||
|95- घी बरसाना। | |95- घी बरसाना। | ||
| | |अर्थ - आग में तेल डालना, झगड़े को और बढ़ाना। | ||
अर्थ - आग में तेल डालना, झगड़े को और बढ़ाना। | |||
|- | |- | ||
|96- घुंघरू बाँधना। | |96- घुंघरू बाँधना। | ||
| | |अर्थ - नाचने के लिए तैयार होना। | ||
अर्थ - नाचने के लिए तैयार होना। | |||
|- | |- | ||
|97- घुघरू बोलना। | |97- घुघरू बोलना। | ||
| | |अर्थ - मरने के समय गले से घुर घुर शब्द निकलना। | ||
अर्थ - मरने के समय गले से घुर घुर शब्द निकलना। | |||
|- | |- | ||
|98- [[घुट घुटकर मरना]]। | |98- [[घुट घुटकर मरना]]। | ||
| | |अर्थ - बराबर एक पर एक कष्ट भोगते हुए मरना। | ||
अर्थ - बराबर एक पर एक कष्ट भोगते हुए मरना। | |||
|- | |- | ||
|99- [[घुटते रहना]]। | |99- [[घुटते रहना]]। | ||
| | | अर्थ - छमित इच्छाओं के कारण पीडि़त रहना। | ||
अर्थ - छमित इच्छाओं के कारण पीडि़त रहना। | |||
|- | |- | ||
|100- [[घुटना]]। | |100- [[घुटना]]। | ||
| | |अर्थ - घनिष्ठता होना। | ||
अर्थ - घनिष्ठता होना। | |||
|- | |- | ||
|101- [[घुटने टेकना|घुटने टेकना/टेक देना]]। | |101- [[घुटने टेकना|घुटने टेकना/टेक देना]]। | ||
| | |अर्थ - हार मान लेना, आत्मसमर्पण कर देना। | ||
अर्थ - हार मान लेना, आत्मसमर्पण कर देना। | |||
|- | |- | ||
|102- [[घुटा निकलना]]। | |102- [[घुटा निकलना]]। | ||
| | |अर्थ - छिपा रूस्तम या बहुत होशियार निकलना। | ||
अर्थ - छिपा रूस्तम या बहुत होशियार निकलना। | |||
|- | |- | ||
|103- घुटटी में पड़ना। | |103- घुटटी में पड़ना। | ||
| | |अर्थ - बचपन से आदत पड़ी होना, स्वभाव होना। | ||
अर्थ - बचपन से आदत पड़ी होना, स्वभाव होना। | |||
|- | |- | ||
|104- [[घुन की तरह चाट जाना]]। | |104- [[घुन की तरह चाट जाना]]। | ||
| | |अर्थ - अन्दर ही अन्दर खा जाना या नष्ट कर डालना। | ||
अर्थ - अन्दर ही अन्दर खा जाना या नष्ट कर डालना। | |||
|- | |- | ||
|105- घुन लगना/लग जाना। | |105- घुन लगना/लग जाना। | ||
| | |अर्थ - किसी ऐसे दोष, रोग या चिंता से ग्रस्त होना जो जानलेवा सिद्ध हो रही हो। | ||
अर्थ - किसी ऐसे दोष, रोग या चिंता से ग्रस्त होना जो जानलेवा सिद्ध हो रही हो। | |||
|- | |- | ||
|106- [[घुल घुलकर बातें करना]]। | |106- [[घुल घुलकर बातें करना]]। | ||
| | |अर्थ - ख़ूब प्रेम से बातें करना। | ||
अर्थ - ख़ूब प्रेम से बातें करना। | |||
|- | |- | ||
|107- [[घुल मिल जाना]]। | |107- [[घुल मिल जाना]]। | ||
| | |अर्थ - एक हो जाना। | ||
अर्थ - एक हो जाना। | |||
|- | |- | ||
|108- घुला घुलाकर मारना। | |108- घुला घुलाकर मारना। | ||
| | |अर्थ - ऐसी स्थिति उत्पन्न करना कि कोई बराबर कष्ट भोगता मर जाए। | ||
अर्थ - ऐसी स्थिति उत्पन्न करना कि कोई बराबर कष्ट भोगता मर जाए। | |||
|- | |- | ||
|109- [[घुलाना]]। | |109- [[घुलाना]]। | ||
| | |अर्थ - ऐसा काम करना कि जिससे कोई घुल घुलकर क्षीण हो जाए। | ||
अर्थ - ऐसा काम करना कि जिससे कोई घुल घुलकर क्षीण हो जाए। | |||
|- | |- | ||
|110- [[घुसकर बैठना]]। | |110- [[घुसकर बैठना]]। | ||
| | |अर्थ - किसी के साथ सटकर बैठना, अथवा किसी की आड़ में छिपकर बैठना। | ||
अर्थ - किसी के साथ सटकर बैठना, अथवा किसी की आड़ में छिपकर बैठना। | |||
|- | |- | ||
|111- [[घूँघट करना]]। | |111- [[घूँघट करना]]। | ||
| | |अर्थ - न करना, स्त्री का अपने चेहरे का पल्ले से ढ़कना। | ||
अर्थ - न करना, स्त्री का अपने चेहरे का पल्ले से ढ़कना। | |||
|- | |- | ||
|112- घूँघट उठाना। | |112- घूँघट उठाना। | ||
| | |अर्थ - स्त्री का किसी के सम्मुख पर्दा। | ||
अर्थ - स्त्री का किसी के सम्मुख पर्दा। | |||
|- | |- | ||
|113- [[घूँट जाना]]। | |113- [[घूँट जाना]]। | ||
| | |अर्थ - पी जाना, चुपचाप सहन कर लेना। | ||
अर्थ - पी जाना, चुपचाप सहन कर लेना। | |||
|- | |- | ||
|114- [[घूम पड़ना]]। | |114- [[घूम पड़ना]]। | ||
| | |अर्थ - आवेश या क्रोध में आकर किसी दूसरे से बातें करने लगना। | ||
अर्थ - आवेश या क्रोध में आकर किसी दूसरे से बातें करने लगना। | |||
|- | |- | ||
|115- [[घेर घार करना]]। | |115- [[घेर घार करना]]। | ||
| | |अर्थ - अनुचित दबाव डालना तथा विवश करना। | ||
अर्थ - अनुचित दबाव डालना तथा विवश करना। | |||
|- | |- | ||
|116-घोटाले मे पड़ना। | |116-घोटाले मे पड़ना। | ||
| | |अर्थ - धन आदि का ऐसी स्थिति में होना कि उसकी वसूली होने की संभावना क्षीण हो। | ||
अर्थ - धन आदि का ऐसी स्थिति में होना कि उसकी वसूली होने की संभावना क्षीण हो। | |||
|- | |- | ||
|117- घोड़ा उठाना। | |117- घोड़ा उठाना। | ||
| | |अर्थ - घोड़े को तेज दौड़ाना। | ||
अर्थ - घोड़े को तेज दौड़ाना। | |||
|- | |- | ||
|118- घोड़ा उलाँगना। | |118- घोड़ा उलाँगना। | ||
| | |अर्थ - किसी नए घोड़े पर पहले-पहले सवारी करना। | ||
अर्थ - किसी नए घोड़े पर पहले-पहले सवारी करना। | |||
|- | |- | ||
|119- घोड़ा खोलना। | |119- घोड़ा खोलना। | ||
| | |अर्थ - घोड़े का साज खोलना। | ||
अर्थ - घोड़े का साज खोलना। | |||
|- | |- | ||
|120-घोड़ा निकालना। | |120-घोड़ा निकालना। | ||
| | |अर्थ - घोड़े को सवारी के योग्य बनाना। | ||
अर्थ - घोड़े को सवारी के योग्य बनाना। | |||
|- | |- | ||
|121- [[घोड़े पर चढ़े चले आना]]। | |121- [[घोड़े पर चढ़े चले आना]]। | ||
| | |अर्थ - कहीं पहुँचते ही वहाँ से चलने की रट लगाने लगना। | ||
अर्थ - कहीं पहुँचते ही वहाँ से चलने की रट लगाने लगना। | |||
|- | |- | ||
|122- [[घोल कर पी जाना]]। | |122- [[घोल कर पी जाना]]। | ||
| | |अर्थ - अस्तित्व ही न रहने देना। | ||
अर्थ - अस्तित्व ही न रहने देना। | |||
|} | |} | ||
09:31, 1 मार्च 2017 का अवतरण
कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें
कहावत लोकोक्ति मुहावरे | अर्थ |
---|---|
1- घर में नहीं हैं दाने और अम्मा चली भुनाने। | अर्थ - झूठी शान दिखाना, न होने पर ढोंग करना। |
2- घड़ी में घर जले, अढ़ाई घड़ी भद्रा। | अर्थ - संकट को होशियारी से दूर करें। |
3- घड़ी में तोला, घड़ी में माशा। | अर्थ - चंचल मन वाला। |
4- घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते। | अर्थ - घर में आने वाले का सत्कार करना चाहिए। |
5- घर का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध। | अर्थ - अपने घर में योग्यता का आदर नहीं होता और बाहर का व्यक्ति योग्य समझा जाता है। |
6- घर का भेदी लंका ढाए। | अर्थ - घर की फूट का परिणाम बुरा होता है। |
7- घर की खांड़ किरकिरी, लगे पड़ोसी का गुड़ मीठा। | अर्थ - अपनी वस्तु़ ख़राब लगती है और दूसरे की अच्छी। |
8- घर की मुर्गी दाल बराबर। | अर्थ - अपनी चीज़ या अपने आदमी की क़दर नहीं होती। |
9- घर खीर तो, बाहर खीर। | अर्थ - अपने पास कुछ हो तो, बाहर भी आदर होता है। |
10- घर का घोड़ा, नखास मोल। | अर्थ - चीज़ घर में पड़ी है और उसकी कोई कीमत नहीं है। |
11- घायल की गति घायल जाने। | अर्थ - जो कष्ट भोगता है वही दूसरों का कष्ट समझता है।। |
12- घी कहाँ गया ? खिचड़ी में। | अर्थ - वस्तु का प्रयोग ठीक जगह हो गया। |
13- घी सँवारे काम, बड़ी बहू का नाम। | अर्थ - काम तो साधन से हुआ, नाम करने वाले का हो गया। |
14- घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या। | अर्थ - पेशेवर को किसी की से रियायत नहीं करनी चाहिए। |
15- घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ाएगा। | अर्थ - उन्नति करके आदमी अपना ही भला करता है। |
16- घोड़े को लात, आदमी को बात। | अर्थ - उत्तम वस्तु थोड़ी भी हो तो अच्छी है।। |
17- घडियाँ गिनना। | अर्थ - बेचैनी से प्रतीक्षा करना। |
18- घड़ों पानी पड़ जाना। | अर्थ - बहुत शर्मिंदा होना। |
19- घर काट खाने को आना/घर काटने का दौड़ना। | अर्थ - अकेलापन अखरना। |
20- घर का न घाट का। | अर्थ - कहीं का भी नहीं रहना। |
21- घर फूँक तमाशा देखना। | अर्थ - अपनी हानि करके मौज उड़ाना। |
22- घर में गंगा बहना। | अर्थ - अच्छी चीज़ पास ही में मिल जाना। |
23- घाव पर नमक छिड़कना। | अर्थ - दु:खी को और दु:खी करना। |
24- घाव हरा करना। | अर्थ - भूले हुए दु:ख की याद दिलाना। |
25- घास काटना। | अर्थ - फूहड़ काम करना। । |
26- घास छीलना। | अर्थ - व्यर्थ समय गवाँना।। |
27- घिग्घी बँधना। | अर्थ - स्पष्ट बोल न सकना। |
28- घी घना मुट्ठी चना। | अर्थ - जो मिल जाए उसी पर संतुष्ट रहना चाहिए। |
29- घी के दिये जलना। | अर्थ - आनंद मंगल होना, खुशियाँ मनाना। |
30- घी खिचड़ी होना। | अर्थ - खूब मिल- जुल जाना।। |
31- घोंघा बसंत। | अर्थ - मूर्ख होना। |
32- घोड़े बेचकर सोना। | अर्थ - निश्चिंत हो जाना। |
33- घँघोल डालना। | अर्थ - गँदला या गंदा कर देना। |
34- घंटा दिखाना। | अर्थ - ऐसा उत्तर देना या मुद्रा बनाना जिससे आवेदक या इच्छुक पूरी तरह से निराश हो जाए। |
35- घंटा हिलाना। | अर्थ - व्यर्थ बैठे रहना, व्यर्थ का काम करना। |
36- घट घट में बसना। | अर्थ - हर एक में व्याप्त होना। |
37- घंटे मोरछल से उठाना। | अर्थ - गाजे-बाजे के साथ किसी भाग्यवान की अर्थी निकालना। |
38- घड़ियाँ गिनना। | अर्थ -अत्यंत उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा करना, मरणासन्न होना, मृत्यु की इंतजार में होना। |
39- घड़ी टेढ़ी होना। | अर्थ - समय विपरीत होना। |
40- घड़ी दो घड़ी का। | अर्थ - कुछ ही क्षणों का। |
41- घड़ी पहाड़ हो जाना। | अर्थ - थोड़ा समय भी न बीतना |
42- घड़ो पानी पड़ना। | अर्थ - लोगों के सामने हेय या हीन सिद्ध होने पर अत्यन्त लज्जित होना। |
43- घपले में पड़ना/पड़ जाना। | अर्थ - खटाई में पड़ना, भ्रमित होना। |
44- घबरा उठना। | अर्थ - बेचैन होना। |
45- घमंड में चूर। | अर्थ - घमंड से ओतप्रोत। |
46- घर आँगन हो जाना। | अर्थ - घर का टूट-फूट कर खँडहर या मैदान हो जाना |
47- घर उजड़ना/उजाड़ देना। | अर्थ - गृहस्थी चौपट होना। |
48- घर कर लेना। | अर्थ - अपनी स्थायी निवास बना लेना। |
49- घर का आदमी। | अर्थ - परिवार का सदस्य, घनिष्ठ मित्र अथवा संबंधी। |
50- घर का रास्ता समझना। | अर्थ - सुगम और सुपरिचित समझना। |
51- घर के घर | अर्थ - घर की सीमा में ही, आपस में ही। |
52- घर के घर रह जाना। | अर्थ - ऐसी स्थिति में होना कि व्यापार, लेन देन आदि में न लाभ हो न हानि। |
53- घर खाली छोड़ना। | अर्थ - वर करते हुए भी आघात या प्रहार न करना, बल्कि जान बूझकर खाली जाने देना। |
54- घर खोद डालना। | अर्थ - बार बार किसी के घर जाकर उसे परेशान करना। |
55- घर जमाना। | अर्थ - घर गृहस्थी के लिए आवश्यक वस्तुएँ लाना। |
56- घर तक पहुँचना। | अर्थ - किसी को माँ बहन तक की गालियाँ देना। |
57- घर में चूल्हा न जलना। | अर्थ - रसोई न बनना। इन्हीं परेशानियों के कारण हमारे यहाँ दो दिन चूल्हा तक नहीं जला। |
58- घर में झाड फिरना/फिर जाना। | अर्थ - घर में कुछ भी न रह जाना। |
59- घर फूँक तमाशा देखना। | अर्थ - घर गृहस्थी चौपट या नष्ट करना। |
60- घर बचाना। | अर्थ - अपने कौशल या चातुराई से प्रहार या बात विफल करना। |
61- घर बनाना। | अर्थ - घर में सुख सुविधाओं की व्यवस्था करना। |
62- घर फोड़ना। | अर्थ - परिवार के लोगों में परस्पर झगड़ा लगाकर उनमें फूट डालना। |
63-घर बोलने लगना। | अर्थ - घर में चहल पहल होने लगना। |
64-घर बैठे। | अर्थ - बिना दौड धूप या प्रयास किए। |
65- घर लुटाना। | अर्थ - घर की सम्पत्ति गँवाना या व्यर्थ खर्च करना। |
66- घर सिर पर उठाना/उठा लेना। | अर्थ - बहुत अधिक शोर मचाना या हो हल्ला करना। |
67- घर जमाई बनना। | अर्थ - दामाद का ससुराल में जाकर रहना। |
68-घर द्वार देखना। | अर्थ - गृहस्थी सँभालना और उसकी रक्षा करना। |
69- घरवाली। | अर्थ - पत्नी। |
70- घर्राटा मारना/लेना। | अर्थ - खूब गहरी नींद सोना। |
71- घसीटना। | अर्थ - उलझाना। |
72- घाट घाट का पानी पीना। | अर्थ - अनेक स्थलों अथवा उनके निवासियों का रंग-ढंग देखे होना, उनके सम्पर्क या सहवास में आये होना अथवा विविध अनुभव प्राप्त किए होना अनुभवी होना |
73- घाट नहाना। | अर्थ - किसी के मरने पर नदी पर नहाना। |
74- घाट लगना। | अर्थ - नदी आदि के किनारे नाव का खड़ा होना। |
75- घाटा उठाना/आना/ पड़ना। | अर्थ - व्यापार में हानि होना, नुक्सान होना, कमी होना। |
76- घाटा भरना/भर देना। | अर्थ - क्षतिपूर्ति करना। |
77- घात ताकना। | अर्थ - उपयुक्त अवसर की ताक में रहना। |
78- घात में पड़ना। | अर्थ - ऐसी स्थिति में किसी का आना कि उस पर सहज में वार किया जा सके, फँसना, घिरना। |
79- घाम का जाना। | अर्थ - तेज़ धूप के कारण सूखना या काला पड़ना। |
80- घाम खाना। | अर्थ - सरदी से बचने के लिए धूप में बैठना। |
81-घाम बचाना। | अर्थ - विपत्ति या संकट से स्वयं बचना या किसी को बचाना। |
82- घाम लगना। | अर्थ - लू लगना। |
83- घाव खाना। | अर्थ - आघात या प्रहार सहने के कारण घायल होना। |
84- घाव खाना। | अर्थ - आघात या प्रहार सहने के कारण घायल होना। |
85- घाव पर नमक छिड़कना। | अर्थ - दुखी व्यक्ति को और अधिक यंत्रणा देना। |
86- घाव पुजना/भरना। | अर्थ - क्षत या घाव के भरने के समय अंकुर निकलना। |
87- घाव हरा होना/ हो जाना। | अर्थ - कष्ट या दुख की घड़ी याद आना और फलतः वही पुराना कष्ट या दुख अनुभूत करना। |
88- घास खाए होना। | अर्थ - दिमाग में घास भरी होने के कारण बेवकूफ़ी की बातें करना। |
89- घास छीलना/खोदना। | अर्थ - तुच्छ या बेकार हो जाना। |
90- घिग्घी बँधना/बँध जाना। | अर्थ - भय से आतंकित हो जाने के कारण कंठ का अवरुद्ध हो जाना। |
91- घिरनी खाना। | अर्थ - चारो और चक्कर खाना। |
92- घी का कुप्पा लुढ़कना। | अर्थ - किसी धनी आदमी का मरना, बहुत बड़ी हानि होना। |
93- घी के कुप्पे से लगना। | अर्थ - किसी ऐसे व्यक्ति का आश्रय प्राप्त होना जिसके फलस्वरूप बहुत अधिक लाभ हो। |
94- घी खिचड़ी होना। | अर्थ - परस्पर अत्यधिक घनिष्ठता या मेल जोल होना। |
95- घी बरसाना। | अर्थ - आग में तेल डालना, झगड़े को और बढ़ाना। |
96- घुंघरू बाँधना। | अर्थ - नाचने के लिए तैयार होना। |
97- घुघरू बोलना। | अर्थ - मरने के समय गले से घुर घुर शब्द निकलना। |
98- घुट घुटकर मरना। | अर्थ - बराबर एक पर एक कष्ट भोगते हुए मरना। |
99- घुटते रहना। | अर्थ - छमित इच्छाओं के कारण पीडि़त रहना। |
100- घुटना। | अर्थ - घनिष्ठता होना। |
101- घुटने टेकना/टेक देना। | अर्थ - हार मान लेना, आत्मसमर्पण कर देना। |
102- घुटा निकलना। | अर्थ - छिपा रूस्तम या बहुत होशियार निकलना। |
103- घुटटी में पड़ना। | अर्थ - बचपन से आदत पड़ी होना, स्वभाव होना। |
104- घुन की तरह चाट जाना। | अर्थ - अन्दर ही अन्दर खा जाना या नष्ट कर डालना। |
105- घुन लगना/लग जाना। | अर्थ - किसी ऐसे दोष, रोग या चिंता से ग्रस्त होना जो जानलेवा सिद्ध हो रही हो। |
106- घुल घुलकर बातें करना। | अर्थ - ख़ूब प्रेम से बातें करना। |
107- घुल मिल जाना। | अर्थ - एक हो जाना। |
108- घुला घुलाकर मारना। | अर्थ - ऐसी स्थिति उत्पन्न करना कि कोई बराबर कष्ट भोगता मर जाए। |
109- घुलाना। | अर्थ - ऐसा काम करना कि जिससे कोई घुल घुलकर क्षीण हो जाए। |
110- घुसकर बैठना। | अर्थ - किसी के साथ सटकर बैठना, अथवा किसी की आड़ में छिपकर बैठना। |
111- घूँघट करना। | अर्थ - न करना, स्त्री का अपने चेहरे का पल्ले से ढ़कना। |
112- घूँघट उठाना। | अर्थ - स्त्री का किसी के सम्मुख पर्दा। |
113- घूँट जाना। | अर्थ - पी जाना, चुपचाप सहन कर लेना। |
114- घूम पड़ना। | अर्थ - आवेश या क्रोध में आकर किसी दूसरे से बातें करने लगना। |
115- घेर घार करना। | अर्थ - अनुचित दबाव डालना तथा विवश करना। |
116-घोटाले मे पड़ना। | अर्थ - धन आदि का ऐसी स्थिति में होना कि उसकी वसूली होने की संभावना क्षीण हो। |
117- घोड़ा उठाना। | अर्थ - घोड़े को तेज दौड़ाना। |
118- घोड़ा उलाँगना। | अर्थ - किसी नए घोड़े पर पहले-पहले सवारी करना। |
119- घोड़ा खोलना। | अर्थ - घोड़े का साज खोलना। |
120-घोड़ा निकालना। | अर्थ - घोड़े को सवारी के योग्य बनाना। |
121- घोड़े पर चढ़े चले आना। | अर्थ - कहीं पहुँचते ही वहाँ से चलने की रट लगाने लगना। |
122- घोल कर पी जाना। | अर्थ - अस्तित्व ही न रहने देना। |