"बादल -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'": अवतरणों में अंतर

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बादल थे नभ में छाये
बादल थे नभ में छाये
बदला था रंग समय का
बदला था रंग समय का
थी प्रकृति भरी करूणा में
थी प्रकृति भरी करुणा में
कर उपचय मेघ निश्चय का॥
कर उपचय मेघ निश्चय का॥



13:38, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

बादल -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
अयोध्यासिंह उपाध्याय
अयोध्यासिंह उपाध्याय
कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
जन्म 15 अप्रैल, 1865
जन्म स्थान निज़ामाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 16 मार्च, 1947
मृत्यु स्थान निज़ामाबाद, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'प्रियप्रवास', 'वैदेही वनवास', 'पारिजात', 'हरिऔध सतसई'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की रचनाएँ

सखी!
बादल थे नभ में छाये
बदला था रंग समय का
थी प्रकृति भरी करुणा में
कर उपचय मेघ निश्चय का॥

वे विविध रूप धारण कर
नभ-तल में घूम रहे थे
गिरि के ऊँचे शिखरों को
गौरव से चूम रहे थे।॥

वे कभी स्वयं नग सम बन
थे अद्भुत दृश्य दिखाते
कर कभी दुंदभी-वादन
चपला को रहे नचाते॥

वे पहन कभी नीलाम्बर
थे बड़े मुग्ध कर बनते
मुक्तावलि बलित अघट में
अनुपम बितान थे तनते॥

बहुश:-खन्डों में बँटकर
चलते फिरते दिखलाते
वे कभी नभ पयोनिधि के
थे विपुल पोत बन पाते॥

वे रंग बिरंगे रवि की
किरणों से थे बन जाते
वे कभी प्रकृति को विलसित
नीली साड़ियां पिन्हाते॥

वे पवन तुरंगम पर चढ़
थे दूनी-दौड़ लगाते
वे कभी धूप छाया के
थे छविमय-दृश्य दिखाते॥

घन कभी घेर दिन मणि को
थे इतनी घनता पाते
जो द्युति–विहीन कर¸ दिन को
थे अमा–समान बनाते।।


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