"अब तुम रूठो -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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अब मेरी आवाज़ मुझे टेरा करती है, | अब मेरी आवाज़ मुझे टेरा करती है, | ||
अब मेरी | अब मेरी दुनिया मेरे पीछे फिरती है, | ||
देखा करती है, मेरी तस्वीर मुझे अब, | देखा करती है, मेरी तस्वीर मुझे अब, | ||
मेरी ही चिर प्यास अमृत मुझ पर झरती है, | मेरी ही चिर प्यास अमृत मुझ पर झरती है, |
11:49, 3 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
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अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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