"भारतीय वायु सेना दिवस": अवतरणों में अंतर
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|विवरण=[[भारतीय वायुसेना]] की स्थापना [[8 अक्टूबर]] [[1932]] को हुई थी। इसी मौके को याद करते हुए हर साल इस दिन को '''भारतीय वायु सेना दिवस''' के रूप में मनाया जाता है। | |||
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==इतिहास== | ==इतिहास== |
07:45, 10 अप्रैल 2018 का अवतरण
भारतीय वायु सेना दिवस
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विवरण | भारतीय वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी। इसी मौके को याद करते हुए हर साल इस दिन को भारतीय वायु सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। |
तिथि | 8 अक्टूबर |
उद्देश्य | विभिन्न अभियानों के लिए तैयार किये गए नए विमान प्रदर्शित किए जाते हैं, साथ ही इसकी विशेषताओं और इसके उद्देश्यों को भी समझाया जाता है। |
अन्य जानकारी | वायु सेना के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में ऑपरेशन विजय (गोवा का दावा करने के लिए), ऑपरेशन मेघदूत (विवादित कश्मीर क्षेत्र में सियाचिन ग्लेशियर को पकड़ने के लिए), ऑपरेशन कैक्टस (मालदीव में बचाव अभियान), ऑपरेशन पोमलाई (श्रीलंका में जाफना शहर के घेरे वाले शहर पर हवाई-ड्रॉप की आपूर्ति के लिए) और ऑपरेशन राहत (उत्तराखंड में फ्लैश बाढ़ से पीड़ित लोगों के बचाव और राहत) शामिल हैं। |
भारतीय वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी। इसी मौके को याद करते हुए हर साल इस दिन को भारतीय वायु सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। वायु सेना दिवस को आधिकारिक तौर पर सर्वप्रथम 8 अक्तूबर 1932 को भारतीय साम्राज्य की सहायक वायु सेना के रूप में मनाया गया था। वर्ष 2017 में, केंद्रीय वायु कमान 8 अक्तूबर को भारतीय वायु सेना की 85वीं वर्षगांठ को पूरे देश के विभिन्न हवाई स्टेशनों पर बहुत उत्साह के साथ मनाया। ऑपरेशन राहत और ऑपरेशन मेघदूत जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण अभियानों में तैनात विमान और हेलीकाप्टर भी प्रदर्शित किये जाते हैं। इसके साथ-साथ, विभिन्न अभियानों के लिए तैयार किये गए नए विमान भी प्रदर्शित किए जाते हैं, साथ ही इसकी विशेषताओं और इसके उद्देश्यों को भी समझाया जाता है।
इतिहास
वर्ष 1932 में इसकी स्थापना के बाद से ही भारतीय वायु सेना की उपलब्धियों का उल्लेखनीय इतिहास रहा है। भारतीय हवाई क्षेत्र को सुरक्षित रखने और संघर्ष के दौरान हवाई युद्ध का आयोजन करने के अपने प्राथमिक उद्देश्य का पालन करते हुए, भारतीय वायुसेना को पाकिस्तान के साथ चार युद्ध और चीन के साथ एक युद्ध में शामिल किया गया है। वायु सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध में भी जापानी सेना को बर्मा में रोककर सक्रिय भूमिका निभाई थी। वायु सेना के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में ऑपरेशन विजय (गोवा का दावा करने के लिए), ऑपरेशन मेघदूत (विवादित कश्मीर क्षेत्र में सियाचिन ग्लेशियर को पकड़ने के लिए), ऑपरेशन कैक्टस (मालदीव में बचाव अभियान), ऑपरेशन पोमलाई (श्रीलंका में जाफना शहर के घेरे वाले शहर पर हवाई-ड्रॉप की आपूर्ति के लिए) और ऑपरेशन राहत (उत्तराखंड में फ्लैश बाढ़ से पीड़ित लोगों के बचाव और राहत) शामिल हैं। इसके अलावा भारतीय वायु सेना संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में भी शामिल है। भारतीय वायु सेना में लगभग 1,70,000 कर्मियों की ताकत है और 1,400 से अधिक विमान हैं और इसे दुनिया के अग्रणी वायु सेना में से एक माना जाता है। भारतीय क्षेत्रों को सभी जोखिमों से बचाना और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में सहायता प्रदान करना इसकी जिम्मेदारी है।[1]
आयोजन
8 अक्टूबर को परेड के साथ वायु सेना उत्सव की शुरुआत होती है। सभी वायु सेना स्टेशन अपने हवाई अड्डों पर अपने संबंधित परेड आयोजित करते हैं। पारंपरिक सैन्य परेड एक ही प्रोटोकॉल का अनुसरण करते हैं। बगुल की आवाज के साथ दाहिनी ओर से परेड की शुरुआत होती है। आकस्मिक रूप से दोनों उड़ानों में से प्रत्येक में चार स्क्वाड्रन शामिल होते हैं और इसकी कमान एक विंग कमांडर के हाथ में होती है। पूरे उत्सव में परेड के साथ एक बैंड होता है। एक बार जब परेड ग्राउंड पर परेड का जुलूस होता है, तो सभी उपस्थित लोगों के सम्मान में सभी वर्दीधारी वायु सैनिक परेड की सलामी देते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 8 अक्टूबर – भारतीय वायु सेना दिवस (हिंदी) एंटरहिन्दी। अभिगमन तिथि: 10 अप्रैल, 2018।
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