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'''जीतेंद्र अभिषेकी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jitendra Abhisheki'', जन्म- [[21 सितंबर]], [[1929]]; मृत्यु- [[7 नवंबर]], [[1998]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक, संगीतकार, भक्ति संगीत तथा [[भारतीय शास्त्रीय संगीत]] के विद्वान थे। उन्हें मराठी थियेटर ([[1960]] का दशक) संगीत के उद्धारकर्ता के रूप में जाना जाता है। | {{सूचना बक्सा कलाकार | ||
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}}'''जीतेंद्र अभिषेकी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jitendra Abhisheki'', जन्म- [[21 सितंबर]], [[1929]]; मृत्यु- [[7 नवंबर]], [[1998]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक, संगीतकार, भक्ति संगीत तथा [[भारतीय शास्त्रीय संगीत]] के विद्वान थे। उन्हें मराठी थियेटर ([[1960]] का दशक) संगीत के उद्धारकर्ता के रूप में जाना जाता है। | |||
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जीतेंद्र अभिषेकी
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पूरा नाम | जीतेंद्र अभिषेकी |
जन्म | 21 सितंबर, 1929 |
जन्म भूमि | गोवा, भारत |
मृत्यु | 7 नवंबर, 1998 |
अभिभावक | पिता- बलवंतराव |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | भारतीय शास्त्रीय संगीत |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री (1988), बाल गंधर्व पुरस्कार (1995), लता मंगेशकर पुरस्कार (1996) आदि। |
प्रसिद्धि | शास्त्रीय गायक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | जीतेंद्र अभिषेकी ने ख्याल गायन की एक विशिष्ट शैली विकसित की, जिसे आज 'अभिषेकी घराने' के नाम से जाना जाता है। |
जीतेंद्र अभिषेकी (अंग्रेज़ी: Jitendra Abhisheki, जन्म- 21 सितंबर, 1929; मृत्यु- 7 नवंबर, 1998) भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक, संगीतकार, भक्ति संगीत तथा भारतीय शास्त्रीय संगीत के विद्वान थे। उन्हें मराठी थियेटर (1960 का दशक) संगीत के उद्धारकर्ता के रूप में जाना जाता है।
परिचय
जीतेंद्र अभिषेकी का जन्म 21 सितम्बर, 1929 को गोवा में मंगेशी नामक गांव में हुआ था। उनका परिवार परंपरागत रूप से शिव के मंगेशी मंदिर से जुड़ा था।। उनके पिता बलवंतराव अपने सौतेले भाई दीनानाथ मंगेशकर के शिष्य और मंगेशी मंदिर के पुजारी और कीर्तनकार थे।
शिक्षा
संस्कृत साहित्य में डिग्री प्राप्त करने के बाद जीतेंद्र अभिषेकी एक संक्षिप्त अवधि के लिए 'ऑल इंडिया रेडियो' मुंबई में शामिल हो गए, जहाँ वे कई संगीतकारों के साथ संपर्क में आये। उन्हें रेडियो कार्यक्रमों के लिए अपनी रचनाओं द्वारा अपनी संगीत प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर मिला। इस बीच उन्हें संगीत के क्षेत्र में उन्नत प्रशिक्षण के लिए भारत सरकार से छात्रवृत्ति प्राप्त मिली। उस्ताद अज़मत हुसैन खान के सानिध्य में हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखा। जीतेंद्र अभिषेकी ने ख्याल गायन की एक विशिष्ट शैली विकसित की, जिसे आज 'अभिषेकी घराने' के नाम से जाना जाता है।
पुरस्कार और सम्मान
- पद्म श्री (1988)
- बाल गंधर्व पुरस्कार (1995)
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1989)
- महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार (1990)
- नाट्य दर्पण पुरस्कार (1978)
- लता मंगेशकर पुरस्कार (1996)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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