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'''आदित्य-एल1''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Aditya-L1'') एक अंतरिक्ष यान है, जिसका मिशन [[सूर्य]] का अध्ययन करने के लिए है। यह [[जनवरी]] [[2008]] में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए सलाहकार समिति द्वारा अवधारण किया गया था। यह [[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]] और विभिन्न भारतीय अनुसंधान संगठनों के बीच सहयोग से डिजाइन और बनाया गया है। यह सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा। इसके साथ ही यह पहला लाग्रंगियन बिंदु एल1 पर स्थापित होने वाला भारतीय मिशन भी होगा। आदित्य-1 मिशन को आदित्य-एल1 मिशन में संशोधित किया गया है। इसे एल़1 के आसपास प्रभामंडल कक्षा में प्रविष्ट कराया जाएगा, जो कि [[ | '''आदित्य-एल1''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Aditya-L1'') एक अंतरिक्ष यान है, जिसका मिशन [[सूर्य]] का अध्ययन करने के लिए है। यह [[जनवरी]] [[2008]] में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए सलाहकार समिति द्वारा अवधारण किया गया था। यह [[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]] और विभिन्न भारतीय अनुसंधान संगठनों के बीच सहयोग से डिजाइन और बनाया गया है। यह सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा। इसके साथ ही यह पहला लाग्रंगियन बिंदु एल1 पर स्थापित होने वाला भारतीय मिशन भी होगा। आदित्य-1 मिशन को आदित्य-एल1 मिशन में संशोधित किया गया है। इसे एल़1 के आसपास प्रभामंडल कक्षा में प्रविष्ट कराया जाएगा, जो कि [[पृथ्वी]] से 1.5 मिलियन कि.मी. पर है। इस [[उपग्रह]] में परिवर्धित विज्ञान कार्यक्षेत्र तथा उद्देश्यों सहित छह अतिरिक्त नीतभार है। | ||
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मुख्य नीतभार सुधरी हुई सक्षमताओं सहित प्रभामंडललेखी का कार्य करता रहेगा। इस परीक्षण हेतु मुख्य प्रकाशिकी समान रहेगा। संपूर्ण नीतभारों, उनके वैज्ञानिक उद्देश्य तथा इन नीतभारों को विकसित करने वाले अग्रणी संस्थानों की सूची निम्नलिखित है- | मुख्य नीतभार सुधरी हुई सक्षमताओं सहित प्रभामंडललेखी का कार्य करता रहेगा। इस परीक्षण हेतु मुख्य प्रकाशिकी समान रहेगा। संपूर्ण नीतभारों, उनके वैज्ञानिक उद्देश्य तथा इन नीतभारों को विकसित करने वाले अग्रणी संस्थानों की सूची निम्नलिखित है- |
08:49, 12 जून 2021 का अवतरण
आदित्य-एल1 (अंग्रेज़ी: Aditya-L1) एक अंतरिक्ष यान है, जिसका मिशन सूर्य का अध्ययन करने के लिए है। यह जनवरी 2008 में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए सलाहकार समिति द्वारा अवधारण किया गया था। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और विभिन्न भारतीय अनुसंधान संगठनों के बीच सहयोग से डिजाइन और बनाया गया है। यह सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा। इसके साथ ही यह पहला लाग्रंगियन बिंदु एल1 पर स्थापित होने वाला भारतीय मिशन भी होगा। आदित्य-1 मिशन को आदित्य-एल1 मिशन में संशोधित किया गया है। इसे एल़1 के आसपास प्रभामंडल कक्षा में प्रविष्ट कराया जाएगा, जो कि पृथ्वी से 1.5 मिलियन कि.मी. पर है। इस उपग्रह में परिवर्धित विज्ञान कार्यक्षेत्र तथा उद्देश्यों सहित छह अतिरिक्त नीतभार है।
नीतभार
मुख्य नीतभार सुधरी हुई सक्षमताओं सहित प्रभामंडललेखी का कार्य करता रहेगा। इस परीक्षण हेतु मुख्य प्रकाशिकी समान रहेगा। संपूर्ण नीतभारों, उनके वैज्ञानिक उद्देश्य तथा इन नीतभारों को विकसित करने वाले अग्रणी संस्थानों की सूची निम्नलिखित है-
- दृश्य उत्सर्जन रेखा प्रभामंडललेखी (वी.ई.एल.सी.): सौर प्रभामंडल के नैदानिक प्राचलों तथा प्रभामंडल द्रव्यमान उत्क्षेपण की उत्पत्ति तथा गतिकी (3 दृश्य और 1 अवरक्त चैनलों) के अध्ययन; गाउस के दस तक सौर प्रभामंडल का चुंबकीय क्षेत्र मापन - भारतीय तारा भौतिकी संस्थान (आई.आई.ए.)।
- सौर पराबैंगनी प्रतिबिंबन दूरबीन (एस.यू.आई.टी.): निकट पराबैंगनी (200-400 एन.एम.) में सौर फोटोस्फियर और क्रोमोस्फियर के स्थानिक विभेदन का प्रतिबिंबन तथा सौर किरणनता परिवर्तनों का मापन करना - खगोलीय एवं ताराभौतिकी के लिए अंतर-विश्वविद्यालय केन्द्र (आई.यू.सी.ए.ए.)।
- आदित्य सौर पवन कण परीक्षण (ए.एस.पी.ई.एक्स.): सौर पवन लक्षणों के परिवर्तनों तथा इसके वितरण और स्पैक्ट्रल लक्षणों का अध्ययन करना- भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पी.आर.एल.)।
- आदित्य के लिए प्लाज्मा विश्लेषक पैकेज (पी.ए.पी.ए.): सौर पवन की संरचना तथा उसकी ऊर्जा वितरण को समझना - अंतरिक्ष भौतिक प्रयोगशाला (एस.पी.एल.), वी.एस.एस.सी.।
- सौर निम्न ऊर्जा एक्स-रे स्पेक्ट्रोमापी (एस.ओ.एल.ई.एक्स.एस.): सौर प्रभामंडल के ताप प्रक्रिया के अध्ययन हेतु एक्स-रे प्रकाश का मानीटरन करना - इसरो उपग्रह केंद्र (आईजैक)।
- उच्च ऊर्जा एल1 कक्षीय एक्स-रे स्पेक्ट्रोमापी (एच.ई.एल.आई.ओ.एस.): सौर प्रभामंडल में गतिकी घटनाओं का प्रेक्षण तथा उदभेदन वाली घटनाओं के दौरान कणों की गति बढ़ाने हेतु प्रयोग होने वाली ऊर्जा के आकंलन को प्रदान करना - इसरो उपग्रह केंद्र (आईजैक) तथा उदयपुर सौर वेधशाला (यू.एस.ओ.), पी.आर.एल.।
- मेग्नोमीटर: अंतर-ग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र के परिमाण तथा प्रवृत्ति का मापन - विद्युत प्रकाशिकी तंत्र प्रयोगशाला (लियोस) तथा आईजैक।
बहु नीतभारों को शामिल करने के साथ, यह परियोजना देश भर में अनेक संस्थानों से सौर वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष आधारित यंत्र विन्यास तथा प्रेक्षणों में भागीदारी करने हेतु अवसर प्रदान करता है। अत: परिवर्धित आदित्य-एल1 परियोजना सूर्य के गतिकी प्रक्रियाओं को विस्तृत रूप से समझने हेतु सहायता प्रदान करता है तथा सौर भौतिकी के कुछ अपूर्ण समस्याओं पर भी ध्यान आकर्षित करता है।
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