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'''प्रमोद पुरुषोत्तम काले''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pramod Purushottam Kale'') भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं, जो [[1962]] में थुंबा से पहले रॉकेट के प्रक्षेपण से भारतीय अंतरिक्ष प्रयासों में शामिल हुए और तीन दशकों से अधिक समय तक टीम के एक हिस्से के रूप में जारी रहे। सन [[1994]] में जब उन्होंने संगठन छोड़ दिया, तब वे [[विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र]] (वीएसएससी), [[तिरुवनंतपुरम]] के निदेशक थे।
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==परिचय==
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09:35, 21 दिसम्बर 2021 का अवतरण

प्रमोद काले
प्रमोद काले
प्रमोद काले
पूरा नाम प्रमोद पुरुषोत्तम काले
जन्म 4 मार्च, 1941
जन्म भूमि पुणे, महाराष्ट्र
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम
शिक्षा एमएससी (भौतिकी-इलेक्ट्रॉनिक्स) में स्नातकोत्तर
विद्यालय गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 1984
प्रसिद्धि भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी सन 1963 में प्रमोद काले को तिरुवनंतपुरम के पास थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन की स्थापना के लिए एक टीम के सदस्य के रूप में चुना गया और उस काम के लिए उन्हें गोडार्ड स्पेसफ्लाइट सेंटर, नासा, यूएसए में काम करने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया।
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प्रमोद पुरुषोत्तम काले (अंग्रेज़ी: Pramod Purushottam Kale, जन्म- 4 मार्च, 1941, पुणे) भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं, जो 1962 में थुंबा से पहले रॉकेट के प्रक्षेपण से भारतीय अंतरिक्ष प्रयासों में शामिल हुए और तीन दशकों से अधिक समय तक टीम के एक हिस्से के रूप में जारी रहे। सन 1994 में जब उन्होंने संगठन छोड़ दिया, तब वे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), तिरुवनंतपुरम के निदेशक थे।

परिचय

4 मार्च, 1941 को पुणे में जन्मे प्रमोद काले ने गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद से एमएससी (भौतिकी-इलेक्ट्रॉनिक्स) में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। 1962 में एमएससी करते हुए उन्हें भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद में उपग्रह ट्रैकिंग पर काम करने का अवसर मिला, जो शायद इलेक्ट्रॉनिक्स और अंतरिक्ष अनुसंधान पर उनका पहला कार्य अनुभव था। पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने विक्रम साराभाई के अधीन एक शोध छात्र के रूप में तीन साल तक काम किया।[1]

कॅरियर

सन 1963 में प्रमोद काले को तिरुवनंतपुरम के पास थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन की स्थापना के लिए एक टीम के सदस्य के रूप में चुना गया और उस काम के लिए उन्हें गोडार्ड स्पेसफ्लाइट सेंटर, नासा, यूएसए में काम करने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया। 1994 में वीएसएससी के निदेशक बनने से पहले उन्होंने इसरो में प्रमुख-इलेक्ट्रॉनिक डिवीजन (सैटेलाइट सिस्टम), अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र, अब विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम में कई प्रमुख पदों पर कार्य किया। 1967-1969; गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर, नासा, ग्रीनबेल्ट, मैरीलैंड, यूएसए 1969-1972 में इसरो के निवासी प्रतिनिधि; प्रोजेक्ट मैनेजर - इलेक्ट्रॉनिक्स और टीवी हार्डवेयर, सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न एक्सपेरिमेंट, 1974-1976, स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, अहमदाबाद; परियोजना निदेशक, इन्सैट 1 अंतरिक्ष खंड परियोजना, अंतरिक्ष विभाग, बैंगलोर, 1977-1987; निदेशक, अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, अहमदाबाद, 1987-1994 और उनका योगदान प्रकृति में बहु-विषयक था।[1]

बाद में डॉ. प्रमोद काले ने कार्यकारी निदेशक और प्रमुख, माइक्रोवेव एंटीना डिवीजन, ग्लोबल वायरलेस टेक्नोलॉजी लिमिटेड, पुणे (1996 से मार्च 2002 तक) के रूप में कार्य किया। वे वैश्विक सूचना प्रौद्योगिकी अकादमी, पुणे (जून 2000 से जुलाई 2002 तक) के निदेशक भी थे।

सम्मान

प्रमोद काले कई पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता हैं। उनमें से प्रमुख हैं[1]-

  • सिस्टम विश्लेषण और प्रबंधन समस्याओं के लिए श्री हरिओम आश्रम प्रीरिट विक्रम साराभाई पुरस्कार (1975)
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार इंजीनियर्स संस्थान का श्री आरएल वधावा स्वर्ण पदक (1991)
  • फ्रंट फॉर नेशनल प्रोग्रेस (1999) द्वारा प्रस्तुत भारत ज्योति पुरस्कार
  • एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (2006) द्वारा प्रस्तुत आर्यभट्ट पुरस्कार, अंतरिक्ष यात्रियों के प्रचार में आजीवन योगदान की मान्यता में।
  • राष्ट्र ने उन्हें 1984 में पद्म श्री से सम्मानित किया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 सुरेश चंद्र गुप्ता (हिंदी) vssc.gov.in। अभिगमन तिथि: 21 दिसम्बर, 2021।

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