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'''भूपिंदर सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bhupinder Singh'') भारतीय सिनेमा के ख्याति प्राप्त पार्श्वगायक और ग़ज़ल गायक थे। उनके गाये हुए प्रसिद्ध गीतों में 'मेरा रंग दे बसंती चोला', 'नाम गुम जाएगा', 'प्यार हमें किस मोड़ पे', 'हुजूर इस कदर' शामिल है। फ़िल्म 'मौसम' के 'दिल ढूंढता है फिर वही, फुरसत के रात दिन' के गायक भूपिंदर सिंह ने [[संगीत]] की दुनिया में अपनी सत्ता लगातार बनाए रखी। अपनी जवारीदार गंभीर आवाज़ से मखमली एहसास पैदा करने वाले महान गायक भूपिंदर सिंह का जादू हमेशा सिर चढ़ कर बोलता था। | '''भूपिंदर सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bhupinder Singh'', जन्म- [[6 फ़रवरी]], [[1940]]; मृत्यु- [[18 जुलाई]], [[2022]]) भारतीय सिनेमा के ख्याति प्राप्त पार्श्वगायक और [[ग़ज़ल]] गायक थे। उनके गाये हुए प्रसिद्ध गीतों में 'मेरा रंग दे बसंती चोला', 'नाम गुम जाएगा', 'प्यार हमें किस मोड़ पे', 'हुजूर इस कदर' आदि शामिल है। फ़िल्म 'मौसम' के गीत 'दिल ढूंढता है फिर वही, फुरसत के रात दिन' के गायक भूपिंदर सिंह ने [[संगीत]] की दुनिया में अपनी सत्ता लगातार बनाए रखी। अपनी जवारीदार गंभीर आवाज़ से मखमली एहसास पैदा करने वाले महान गायक भूपिंदर सिंह का जादू हमेशा सिर चढ़ कर बोलता था। | ||
==परिचय== | |||
भूपिंदर सिंह का जन्म [[पंजाब]] के [[अमृतसर]] में 6 फरवरी, 1940 को हुआ था। उनके [[पिता]] प्रोफेसर नत्था सिंह खुद अच्छे संगीतकार थे। ‘दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन’ से भूपिंदर सिंह को शोहरत मिली। भूपिंदर सिंह का [[मोहम्मद रफ़ी]], [[तलत महमूद]] और [[मन्ना डे]] के साथ गाया गीत ‘होके मजबूर मुझे, उसने बुलाया होगा’ बेहद लोकप्रिय हुआ था। उनके लोकप्रिय गीतों में 'दुनिया छूटे यार ना छूटे', 'थोड़ी सी जमीन थोड़ा आसमान', 'दिल ढूंढ़ता है', 'नाम गुम जाएगा' जैसे कई गाने शामिल हैं। यही नहीं भूपिंदर सिंह ने अपनी पत्नी मिताली सिंह के साथ 'दो दीवाने शहर में', 'कभी किसी को मुकम्मल जहां', 'एक अकेला इस शहर में' जैसे कई हिट गाने भी गाए। उन्हें सत्ते पे सत्ता, आहिस्ता-आहिस्ता, दूरियां, हकीकत और कई अन्य फिल्मों के यादगार गानों के लिए भी भूपिंदर को खूब याद किया जाता है।<ref name="pp">{{cite web |url=https://www.amarujala.com/india-news/singer-bhupinder-singh-passes-away-kabhi-kisi-ko-mukammal-jahan-nahi-milta-strong-voice-gave-him-a-different-identity |title=अलविदा गायक भूपिंदर सिंह|accessmonthday=20 जुलाई|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=amarujala.com |language=हिंदी}}</ref> | |||
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==दिल तक पहुंचने वाली आवाज़== | |||
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==मुंबई आगमन== | |||
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05:37, 20 जुलाई 2022 का अवतरण
भूपिंदर सिंह (अंग्रेज़ी: Bhupinder Singh, जन्म- 6 फ़रवरी, 1940; मृत्यु- 18 जुलाई, 2022) भारतीय सिनेमा के ख्याति प्राप्त पार्श्वगायक और ग़ज़ल गायक थे। उनके गाये हुए प्रसिद्ध गीतों में 'मेरा रंग दे बसंती चोला', 'नाम गुम जाएगा', 'प्यार हमें किस मोड़ पे', 'हुजूर इस कदर' आदि शामिल है। फ़िल्म 'मौसम' के गीत 'दिल ढूंढता है फिर वही, फुरसत के रात दिन' के गायक भूपिंदर सिंह ने संगीत की दुनिया में अपनी सत्ता लगातार बनाए रखी। अपनी जवारीदार गंभीर आवाज़ से मखमली एहसास पैदा करने वाले महान गायक भूपिंदर सिंह का जादू हमेशा सिर चढ़ कर बोलता था।
परिचय
भूपिंदर सिंह का जन्म पंजाब के अमृतसर में 6 फरवरी, 1940 को हुआ था। उनके पिता प्रोफेसर नत्था सिंह खुद अच्छे संगीतकार थे। ‘दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन’ से भूपिंदर सिंह को शोहरत मिली। भूपिंदर सिंह का मोहम्मद रफ़ी, तलत महमूद और मन्ना डे के साथ गाया गीत ‘होके मजबूर मुझे, उसने बुलाया होगा’ बेहद लोकप्रिय हुआ था। उनके लोकप्रिय गीतों में 'दुनिया छूटे यार ना छूटे', 'थोड़ी सी जमीन थोड़ा आसमान', 'दिल ढूंढ़ता है', 'नाम गुम जाएगा' जैसे कई गाने शामिल हैं। यही नहीं भूपिंदर सिंह ने अपनी पत्नी मिताली सिंह के साथ 'दो दीवाने शहर में', 'कभी किसी को मुकम्मल जहां', 'एक अकेला इस शहर में' जैसे कई हिट गाने भी गाए। उन्हें सत्ते पे सत्ता, आहिस्ता-आहिस्ता, दूरियां, हकीकत और कई अन्य फिल्मों के यादगार गानों के लिए भी भूपिंदर को खूब याद किया जाता है।[1]
विवाह
भूपिंदर सिंह ने 1980 के दशक में बांग्लादेश की गायिका मिताली मुखर्जी से शादी की थी। एक कार्यक्रम में उन्होंने मिताली को गाते सुना था। उसके बाद दोनों की मुलाकात प्यार में बदल गई। मिताली-भूपिंदर ने एक साथ सैकड़ों लाइव शो किए। उनका एक बेटा निहाल भी संगीतकार है।
दिल तक पहुंचने वाली आवाज़
दिग्गज लेखक और फिल्मकार गुलज़ार भूपिंदर सिंह की आवाज के मुरीद रहे। उनके बारे में गुलज़ार ने एक बार कहा था, 'भूपिंदर की आवाज़ किसी पहाड़ी से टकराने वाली बारिश की बूंदों की तरह है। उनकी मखमली आवाज़ आत्मा तक सीधे पहुंचती है।'
मुंबई आगमन
अपने पिता की सख्त मिजाजी के कारण शुरुआती दौर में भूपिंदर सिंह को संगीत से नफरत हो गई थी। लेकिन उनकी आवाज का जादू ज्यादा देर तक इस चिढ़ का बंधक न रह पाया और उनके सुरीले सफर का सिलसिला तेजी से शुरू हो गया। सबसे पहले उनकी गजलें आकाशवाणी में चलीं। इसके बाद दिल्ली दूरदर्शन में अवसर मिला। 1968 में संगीतकार मदन मोहन ने ऑल इंडिया रेडियो पर उनका कार्यक्रम सुनकर उन्हें मुंबई बुला लिया था।[1]
मृत्यु
प्रसिद्ध गायक भूपिंदर सिंह का निधन 18 जुलाई, 2022 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी पत्नी मिताली का कहना था कि वह पिछले 9 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे और दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 अलविदा गायक भूपिंदर सिंह (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 20 जुलाई, 2022।
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