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*जो संज्ञापद पुरुष वर्ग के वाचक होते हैं, उन्हें पुल्लिंग कहते हैं। | |||
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*जो संज्ञापद स्त्री वर्ग के वाचक होते हैं, उन्हें स्त्रीलिंग कहते हैं। | |||
*जैसे:- लड़की, औरत, घोड़ी, शेरनी, बकरी, रानी आदि। | |||
==पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम== | |||
* सम्बन्धवाचक तथा प्राणिवाचक आकारान्त पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'ई' लगाकर अथवा अ या आ के स्थान पर 'ई' कर देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे- | |||
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|+सम्बन्धवाचक <br />शब्द | |||
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! पुल्लिंग | |||
! स्त्रीलिंग | |||
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| चाचा | |||
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| मामा | |||
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| साला | |||
| साली | |||
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|+प्राणिवाचक <br />शब्द | |||
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! पुल्लिंग | |||
! स्त्रीलिंग | |||
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| पुत्र | |||
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* कुछ आकारान्त पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'इया' लगा देने से स्त्रीलिंग [[पद]] बन जाते हैं। जैसे-<br /> | |||
बूढ़ा – बुढ़िया, | |||
बेटा – बिटिया, | |||
कुत्ता – कुतिया, | |||
चूहा – चुहिया<br /> | |||
* कुछ प्राणिवाचक संज्ञाओं के अन्त में 'इन' लगा देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-<br /> | |||
साँप – साँपिन, | |||
बाघ – बाघिन, | |||
नाग – नागिन, | |||
नाती – नातिन | |||
* किसी व्यवसाय अथवा पेशे का बोध कराने वाली पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में भी 'इन' लगा देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-<br /> | |||
माली – मालिन, | |||
नाई – नाइन, | |||
चमार – चमारिन, | |||
लुहार – लुहारिन | |||
* कुछ प्राणिवाचक पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'नी' जोड़ देने से भी स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-<br /> | |||
सिंह – सिंहनी, | |||
शेर – शेरनी, | |||
ऊँट – ऊँटनी, | |||
मोर – मोरनी | |||
* कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'आनी' जोड़ देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-<br /> | |||
सेठ – सेठानी, | |||
चौधरी – चौधरानी, | |||
देवर – देवरानी, | |||
नौकर – नौकरानी | |||
*कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'आइन' जोड़ देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-<br /> | |||
पंडित – पंडिताइन, | |||
ठाकुर – ठकुराइन, | |||
चौधरी – चौधराइन | |||
*कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के स्त्रीलिंग पद पूर्णतया भिन्न होते हैं। जैसे-<br /> | |||
पुरुष – स्त्री, | |||
मर्द – औरत, | |||
पिता – माता, | |||
बाप – माँ | |||
*कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के पहले 'मादा' लगाकर स्त्रीलिंग पद बनाये जाते हैं। जैसे-<br /> | |||
भालू – मादा भालू, | |||
भेड़िया – मादा भेड़िया, | |||
खरगोश – मादा खदगोश | |||
*कुछ स्त्रीलिंग संज्ञाओं के पहले 'नर' लगाकर पुल्लिंग पद भी बनाये जाते हैं। जैसे-<br /> | |||
मछली – नर मछली, | |||
छिपकली – नर छिपकली, | |||
चील – नर चील | |||
*कुछ स्त्रीलिंग संज्ञाओं के आगे 'आ' जोड़कर भी पुल्लिंग पद बना लिये जाते हैं। जैसे-<br /> | |||
भैंस – भैंसा, | |||
भेड़ – भेड़ा, | |||
मौसी – मौसा, | |||
जीजी – जीजा | |||
====<u>विशेष</u>==== | |||
*जिन पदों पर साधारणतया पुरुष वर्ग ही आसीन होता रहा है, उनके सूचक संज्ञा पदों को पुल्लिंग ही माना जाता है, चाहे उन पर स्त्रियाँ ही आसीन क्यों न हो। | |||
;<u>उदाहरण</u> | |||
[[राष्ट्रपति]], राज्यपाल, मंत्री, ज़िलाधिकारी, सिपाही, पटवारी आदि। | |||
*जाति, उपजाति, देश, देशवासी, सागर, वार और [[ग्रह]] के सूचक शब्द पुल्लिंग होते हैं। | |||
;<u>जाति</u> | |||
[[ब्राह्मण]], क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, [[हिन्दू धर्म|हिन्दू]], [[मुसलमान]], [[ईसाई धर्म|ईसाई]] आदि। | |||
;<u>उपजाति</u> | |||
मिश्र, पांडेय, कायस्थ, खन्ना, कपूर, अग्रवाल आदि। | |||
;<u>देश</u> | |||
[[भारत]], [[जापान]], [[चीन]], रूस, [[अमेरिका]] आदि। | |||
;<u>देशवासी</u> | |||
भारतीय, चीनी, जापानी, रूसी, बर्मी आदि। | |||
;<u>सागर</u> | |||
[[हिन्द महासागर|हिन्द]], प्रशान्त, लाल, काला, [[भूमध्य सागर|भूमध्य]] आदि। | |||
;<u>वार</u> | |||
[[सोमवार]], [[मंगलवार]], [[बुधवार]] आदि। | |||
;<u>ग्रह</u> | |||
[[सूर्य ग्रह|सूर्य]], [[शनि ग्रह|शनि]], [[वरुण ग्रह]] आदि। | |||
*[[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]], तिथि, राशि, नदी और भाषा के सूचक शब्द स्त्रीलिंग होते हैं। | |||
;<u>पृथ्वी</u> | |||
धरती, मही, वसुन्धरा। | |||
;<u>तिथि</u> | |||
परिवा, दौज, तीज, चौथ, [[अमावस्या]], [[पूर्णिमा]]। | |||
;<u>राशि</u> | |||
कुम्भ, मीन, तुला, सिंह। | |||
;<u>नदी</u> | |||
[[गंगा]], [[यमुना]], [[कावेरी नदी|कावेरी]], [[गोदावरी नदी|गोदावरी]]। | |||
;<u>भाषा</u> | |||
[[हिन्दी]], [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]], [[उर्दू]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]]। | |||
*अंगवाचक शब्द व्यवहार के अनुसार कुछ पुल्लिंग और कुछ स्त्रीलिंग माने जाते हैं। जैसे- | |||
;<u>पुल्लिंग</u> | |||
हाथ, पैर, मस्तक, सिर, बाल, पेट, घुटना, पलक, होठ, दाँत, कण्ठ, गाल, पंजा, अंगूठा, नाखून। | |||
;<u>स्त्रीलिंग</u> | |||
नाक, आँख, जीभ, पुतली, छाती, पीट, जाँघ, गुदा, एड़ी, हथेली, कुहनी, टाँग, कमर, उँगली, कलाई। | |||
{{लेख प्रगति | |||
|आधार= | |||
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | |||
|माध्यमिक= | |||
|पूर्णता= | |||
|शोध= | |||
}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{व्याकरण}} | |||
[[Category:हिन्दी भाषा]] | |||
[[Category:व्याकरण]] | |||
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08:22, 28 दिसम्बर 2010 का अवतरण
संज्ञा के उस रूप को लिंग कहते हैं, जिसके द्वारा वाचक शब्दों की जाति का बोध होता है।
भेद
हिन्दी में केवल दो लिंग होते हैं-
पुल्लिंग
- जो संज्ञापद पुरुष वर्ग के वाचक होते हैं, उन्हें पुल्लिंग कहते हैं।
- जैसे:- लड़का, आदमी, घोड़ा, शेर, बकरा, राजा आदि।
स्त्रीलिंग
- जो संज्ञापद स्त्री वर्ग के वाचक होते हैं, उन्हें स्त्रीलिंग कहते हैं।
- जैसे:- लड़की, औरत, घोड़ी, शेरनी, बकरी, रानी आदि।
पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम
- सम्बन्धवाचक तथा प्राणिवाचक आकारान्त पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'ई' लगाकर अथवा अ या आ के स्थान पर 'ई' कर देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-
|
|
- कुछ आकारान्त पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'इया' लगा देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-
बूढ़ा – बुढ़िया,
बेटा – बिटिया,
कुत्ता – कुतिया,
चूहा – चुहिया
- कुछ प्राणिवाचक संज्ञाओं के अन्त में 'इन' लगा देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-
साँप – साँपिन, बाघ – बाघिन, नाग – नागिन, नाती – नातिन
- किसी व्यवसाय अथवा पेशे का बोध कराने वाली पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में भी 'इन' लगा देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-
माली – मालिन, नाई – नाइन, चमार – चमारिन, लुहार – लुहारिन
- कुछ प्राणिवाचक पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'नी' जोड़ देने से भी स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-
सिंह – सिंहनी, शेर – शेरनी, ऊँट – ऊँटनी, मोर – मोरनी
- कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'आनी' जोड़ देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-
सेठ – सेठानी, चौधरी – चौधरानी, देवर – देवरानी, नौकर – नौकरानी
- कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'आइन' जोड़ देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-
पंडित – पंडिताइन, ठाकुर – ठकुराइन, चौधरी – चौधराइन
- कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के स्त्रीलिंग पद पूर्णतया भिन्न होते हैं। जैसे-
पुरुष – स्त्री, मर्द – औरत, पिता – माता, बाप – माँ
- कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के पहले 'मादा' लगाकर स्त्रीलिंग पद बनाये जाते हैं। जैसे-
भालू – मादा भालू, भेड़िया – मादा भेड़िया, खरगोश – मादा खदगोश
- कुछ स्त्रीलिंग संज्ञाओं के पहले 'नर' लगाकर पुल्लिंग पद भी बनाये जाते हैं। जैसे-
मछली – नर मछली, छिपकली – नर छिपकली, चील – नर चील
- कुछ स्त्रीलिंग संज्ञाओं के आगे 'आ' जोड़कर भी पुल्लिंग पद बना लिये जाते हैं। जैसे-
भैंस – भैंसा, भेड़ – भेड़ा, मौसी – मौसा, जीजी – जीजा
विशेष
- जिन पदों पर साधारणतया पुरुष वर्ग ही आसीन होता रहा है, उनके सूचक संज्ञा पदों को पुल्लिंग ही माना जाता है, चाहे उन पर स्त्रियाँ ही आसीन क्यों न हो।
- उदाहरण
राष्ट्रपति, राज्यपाल, मंत्री, ज़िलाधिकारी, सिपाही, पटवारी आदि।
- जाति, उपजाति, देश, देशवासी, सागर, वार और ग्रह के सूचक शब्द पुल्लिंग होते हैं।
- जाति
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, हिन्दू, मुसलमान, ईसाई आदि।
- उपजाति
मिश्र, पांडेय, कायस्थ, खन्ना, कपूर, अग्रवाल आदि।
- देश
भारत, जापान, चीन, रूस, अमेरिका आदि।
- देशवासी
भारतीय, चीनी, जापानी, रूसी, बर्मी आदि।
- सागर
हिन्द, प्रशान्त, लाल, काला, भूमध्य आदि।
- वार
- ग्रह
- पृथ्वी, तिथि, राशि, नदी और भाषा के सूचक शब्द स्त्रीलिंग होते हैं।
- पृथ्वी
धरती, मही, वसुन्धरा।
- तिथि
परिवा, दौज, तीज, चौथ, अमावस्या, पूर्णिमा।
- राशि
कुम्भ, मीन, तुला, सिंह।
- नदी
- भाषा
हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, मराठी, गुजराती।
- अंगवाचक शब्द व्यवहार के अनुसार कुछ पुल्लिंग और कुछ स्त्रीलिंग माने जाते हैं। जैसे-
- पुल्लिंग
हाथ, पैर, मस्तक, सिर, बाल, पेट, घुटना, पलक, होठ, दाँत, कण्ठ, गाल, पंजा, अंगूठा, नाखून।
- स्त्रीलिंग
नाक, आँख, जीभ, पुतली, छाती, पीट, जाँघ, गुदा, एड़ी, हथेली, कुहनी, टाँग, कमर, उँगली, कलाई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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