दिल्ली

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दिल्ली
विवरण दिल्ली देश के उत्तरी मध्य भाग में गंगा की एक प्रमुख सहायक यमुना नदी के दोनों तरफ बसी है। दिल्ली भारत का तीसरा बड़ा शहर है। यह एक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली है।
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 28°36′36, पूर्व- 77°13′48
मार्ग स्थिति दिल्ली, राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और आगरा के रास्ते कोलकता से जुड़ी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 8 से सूरत, अहमदाबाद, उदयपुर, अजमेर और जयपुर के रास्ते मुंबई से जुड़ी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1 से जालंधर, लुधियाना और अंबाला होते हुए अमृतसर और राष्ट्रीय राजमार्ग 24 से रामपुर और मुरादाबाद के रास्ते लखनऊ से जुड़ी है।
हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली, हज़रत निज़ामुद्दीन
बस अड्डा आई.एस.बी.टी, सराय काले ख़ाँ, आनंद विहार
यातायात साईकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, टैक्सी, लोकल रेल, मेट्रो रेल, बस
क्या देखें दिल्ली पर्यटन
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
क्या खायें पंजाबी खाना, चाट, पराठें वाली गली के 'पराठें'
एस.टी.डी. कोड 011
सावधानी आतंकवादी गतिविधियों से सावधान, लावारिस वस्तुओं को ना छुएं, शीत ऋतु में कोहरे से और ग्रीष्म ऋतु में लू से बचाव करें।
गूगल मानचित्र, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
संबंधित लेख लाल क़िला, इण्डिया गेट, जामा मस्जिद, राष्ट्रपति भवन उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सैना
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल
अन्य जानकारी दिल्ली राज्य का राजकीय पक्षी घरेलू गौरैया (House Sparrow) है।
बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

दिल्ली भारत की राजधानी एवं महानगरीय क्षेत्र है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो कि ऐतिहासिक पुरानी दिल्ली के बाद बसी थी। महान ऐतिहासिक महत्त्व वाला यह महानगरीय क्षेत्र महत्त्वपूर्ण व्यापारिक, परिवहन एवं सांस्कृतिक हलचलों से भरा है। दिल्ली देश के उत्तरी मध्य भाग मे गंगा की एक प्रमुख सहायक यमुना नदी के दोनों तरफ बसी है। दिल्ली देश का तीसरा बड़ा शहर है। अनुश्रुति है कि इसका वर्तमान नाम राजा ढीलू के नाम पर पड़ा जिसका आधिपत्य ई.पू पहली शताब्दी मे इस क्षेत्र पर था। बहरहाल बिजोला अभिलेखों (1170ई.) मे उल्लेखित ढिल्ली या ढिल्लिका सबसे पहला लिखित उद्धरण है। महाभारत काल में पाण्डवों द्वारा बसाया गया इन्द्रप्रस्थ नगर, दिल्ली आज हमारे देश का हृदय कहलाता है। यहाँ के ऐतिहासिक स्थल तथा रमणीय स्थल अपने आप में विशेष हैं। पर्यटन विकास के उद्वेश्य से यह आगरा और जयपुर से जुडा है।

इतिहास

महाकाव्य-महाभारत काल से ही दिल्ली का विशेष उल्लेख रहा है। दिल्ली का शासन एक वंश से दूसरे वंश को हस्तांतरित होता गया। यह मौर्यों से आरंभ होकर पल्लवों तथा मध्य भारत के गुप्तों से होता हुआ 13 वीं से 15 वीं सदी तक तुर्क और अफ़ग़ान और अंत में 16 वीं सदी में मुग़लों के हाथों में पहुँचा। 18 वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में दिल्ली में अंग्रेज़ी शासन की स्थापना हुई।

लाल क़िला, दिल्ली
Red Fort, Delhi

1911 में कोलकाता से राजधानी दिल्ली स्थानांतरित होने पर यह शहर सभी तरह की गतिविधियों का केंद्र बन गया। 1956 में केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त हुआ। दिल्ली के इतिहास में 69 वां संविधान संशोधन विधेयक एक महत्त्वपूर्ण घटना है। जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम 1991 में लागू हो जाने से दिल्ली में विधानसभा का गठन हुआ।

दिल्ली का पुरातात्विक परिदृश्य अत्यंत दिलचस्प है व सहस्राब्दियों पुराने स्मारक क़दम-कदम पर खड़े नज़र आते हैं। नए या पुराने क़िलेबंद स्थान पर निर्मित 13 शहरों ने दिल्ली–अरावली त्रिकोण के लगभग 180 वर्ग किलोमीटर के एक सीमित क्षेत्र में अपनी मौज़ूदगी के निशान छोड़े हैं। दिल्ली के बारे मे यह किंवदंती प्रचलित है कि जिसने भी यहाँ नया शहर बनाया, उसे इसे खोना पड़ा। सबसे पुराना नगर इंद्रप्रस्थ, करीब 1400 ई.पू निर्मित किया गया था और वेद व्यास रचित महाकाव्य महाभारत में इसका वर्णन पांडवो की राजधानी के रूप में मिलता है। इस त्रिकोण मे निर्मित दिल्ली का दूसरा शहर है अनंगपुर या आनंदपुर, जिसकी स्थापना लगभग 1020 ई. मे तोमर राजपूत नरेश अनंग पाल ने राजनिवास के रूप मे की थी। यह शहर अर्द्धवृत्ताकार निर्मित तालाब सूरजकुंड के आसपास बसा था। अनंग पाल ने बाद मे इसे 10 किलोमीटर पश्चिम की ओर लालकोट पर स्थापित एक दुर्ग मे स्थानांतरित किया।

भौतिक एव मानव भूगोल

दिल्ली एक जलसंभर पर स्थित है। जो गंगा तथा सिंध नदी प्रणालियों को विभाजित करता है। दिल्ली की सबसे महत्त्वपूर्ण स्थालाकृति विशेषता पर्वत स्कंध (रिज) है, जो राजस्थान प्रांत की प्राचीन अरावली पर्वत श्रेणियों का चरम बिंदु है। अरावली संभवत: दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत माला है, लेकिन अब यह पूरी तरह वृक्ष विहीन हो चुकी है। पश्चिमोत्तर पश्चिम तथा दक्षिण मे फैला और तिकोने परकोट की दो भुजाओं जैसा लगने वाला यह स्कंध क्षेत्र 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र मे फैला है। कछारी मिट्टी के मैदान को आकृति की विविधता देता है तथा दिल्ली को कुछ उत्कृष्ट जीव व वनस्पतियाँ उपलब्ध कराता है। यमुना नदी त्रिभुजाकार परकोटे का तीसरा किनारा बताती है। इसी त्रिकोण के भीतर दिल्ली के प्रसिद्ध सात शहरो की उत्पत्ति ई.पू. 1000 से 17 वीं शताब्दी के बीच हुई।

क़ुतुब मीनार, दिल्ली
Qutub Minar, Delhi

सिंचाई

दिल्‍ली के गाँवों का तेजी से शहरीकरण होने की वजह से सिंचाई के अंतर्गत आने वाली खेती योग्‍य भूमि धीरे-धीरे कम होती जा रही है। राज्‍य में ‘केशोपुर प्रवाह सिंचाई योजना चरण तृतीय’ तथा ‘जल संशोधन संयंत्र से सुधार एवं प्रवाह विस्‍तार सिंचाई प्रणाली’ नामक दो योजनाएं चलाई जा रही है। राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्‍ली के ग्रामीण क्षेत्र में 350 हेक्‍टेयर की सिंचाई राज्‍य नलकूपों द्वारा और 1,376 हेक्‍टेयर की सिंचाई अतिरिक्‍त पानी द्वारा की जा रही है। इसके अलावा 4,900 हेक्‍टेयर भूमि की सिंचाई हरियाणा सरकार के अधीन पश्चिमी यमुना नहर द्वारा की जा रही है।

बिजली

दिल्‍ली के लिए इसकी अपनी उत्‍पादन इकाइयों- राजघाट बिजली घर, इंद्रप्रस्‍थ स्‍टेशन और बदरपुर ताप बिजलीघर सहित गैस टरबाइन पर आधारित इकाई से 850-900 मेगावाट बिजली प्राप्‍त होती है। शेष बिजली उत्तर क्षेत्रीय ग्रिड से प्राप्‍त की जाती है। दिल्‍ली में कई बिजली उत्‍पादन इकाइयां शुरू करने की योजना है। इंद्रप्रस्‍थ एस्‍टेट में प्रगति कंबाइंड पावर प्रोजेक्‍ट स्‍थापित किया जा चुका है। 330 मेगावाट प्रगति पावर परियोजना निर्माणाधीन है और जल्‍दी ही चालू होने वाली है। इसके 100 मेगावाट वाले प्रथम चरण को परीक्षण के लिए शुरू कर दिया गया है। बिजली वितरण को सुचारू बनाने के लिए दिल्‍ली विद्युत बोर्ड का निजीकरण कर दिया गया है और दिल्‍ली की बिजली व्‍यवस्‍था अब देश की दो जानी मानी-संस्‍थाओं- बी.एस.ई.एस. तथा टाटा पावर (एन.डी.पी.एल) द्वारा देखी जा रही है।

जलवायु

दिल्ली की जलवायु उपोष्ण है। जो इसके भीतर प्रदेश होने की भू- स्थिति से प्रभावित है। दिल्ली में गर्मी के महीने मई तथा जून बेहद शुष्क और झुलसाने वाले होते है। दिन का तापमान कभी-कभी 43-45 तक पहुँच जाता है। मानसून जुलाई मे आता है। और तापमान को कम करता है।

इंडिया गेट का एक दृश्य, दिल्ली
A View Of India Gate, Delhi

लेकिन सितंबर के अंत तक मौसम गर्म, उमस भरा और कष्टप्रद रहता है। यहाँ की वार्षिक औसत वर्षा लगभग 660 मिमी है। अक्टूबर से मार्च के बीच का मौसम काफ़ी सुहावना रहता है। हालांकि दिसंबर तथा जनवरी के महीने खूब ठंडे व कोहरे से भरे होते है। और कभी-कभी वर्षा भी हो जाती है। शीतकाल में प्रतिदिन का औसत न्यूनतम तापमान 7 डिग्री से. के आसपास रहता है, लेकिन कुछ रातें अधिक सर्द होती है।

वनस्पति

दिल्ली की परिवर्तनशील जलवायु के कारण तीन वानस्पतिक काल होते है। वर्षा की कमी तथा भूमिगत जलस्तर के नीचे से प्राकृतिक वनस्पति का प्रर्याप्त विकाश नहीं हो पाता। फूलों के करीब 1,000 प्रजातियाँ, जिनमे से अधिकाशं स्वदेशी मूल के है। यह यहाँ के वातावरण के अनुरुप ढल चुकी हैं, और दिल्ली शहर तथा आसपास के वातावरण मे फलफूल रहे हैं। पहाड़ियों एव नदी के तटवर्ती भूभाग की वनस्पतियाँ स्पष्टत: भिन्न है। स्कंध क्षेत्र में पाई जाने वाली पर्वतीय वनस्पतियों मे बबूल, जंगली खजूर तथा सघन झाड़ियाँ हैं। जिनमें कुछ फूलदार प्रजातियाँ भी शामिल हैं। यहाँ घास, बेले तथा लिपटने वाली अल्पायु लताएँ भी होती हैं, जो केवल बरसात के मौसम मे पनपती हैं। दूसरी ओर नदी के तट के रेतीले एव क्षारीय भूभाग में विशेषकर मानसून व ठंड के महीने में वनस्पतियाँ समृद्ध एवं भिन्न हैं।

जिराफ़, राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, दिल्ली

प्राणी जीवन

दिल्ली में प्राणी जीवन ख़ासा विपुल, विविध तथा देशज है तथा प्राणी विज्ञान की दृष्टि से सिस–गंगा की श्रेणी में आता है। मांसाहारी जीव प्रमुख रूप से देशी स्तनपायी हैं। लकड़बग्घे, भेड़िऐ, लोमड़ी, सियार तथा तेंदुए, जो पहले निचले जंगलों मे विचरण करते थे, अब दर्रों तथा शहर की सीमांत पहाड़ी चोटियों पर पाए जाते हैं। हिरन तथा वराह खुरदार प्राणियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये अब अपनी प्राकृतिक पर्यावास में कम ही मिलते हैं। साही खरगोश, चूहे व गिलहरियां शहर के कृतंकजीव हैं तथा चमगादड़ कांटाचूहा और छछूंदर दिल्ली के कीट भक्षी प्राणी हैं। जो अक्सर मंदिरों तथा ऐतिहासिक खंडहरों के आसपास पाए जाते हैं। दिल्ली का पक्षी जीवन भी समृद्ध एवं विविध है। घरेलू कबूतर, गौरैया, चीलें, कौवे, तोते जंगली बटेर, तीतर, पूरे साल पाए जाते हैं। दिल्ली के आसपास की झीलें शीतकाल में कई प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती है। यमुना नदी में मछलियों की 65 प्रजातियाँ पायी जाती हैं।

प्रशासन एवं नियोजन

संसद भवन, दिल्ली
Parliament House, Delhi

प्रशासनिक व्यवस्था

दिल्ली ने प्रशासनिक व्यवस्था मे कई फेरबदल देखे हैं। 2 अगस्त, 1858 को ब्रिटिश संसद ने भारत सरकार अधिनियम पारित किया, जिसने भारत की अंग्रेज़ी सत्ता को ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश राज में स्थानांतरित कर दिया। 1876 में महारानी विक्टोरिया के शासनाधिकार में 'भारत की सम्राज्ञी' पदवी शामिल हो गई। 1947 तक दिल्ली मुख्य आयुक्त की अध्यक्षता में ब्रिटिश प्रांत रही। आज़ादी के बाद 1952 में यह केन्द्रशासित राज्य बनी लेकिन 1956 में इसका दर्जा बदल गया तथा यह केंद्र सरकार के अधीन केन्द्रशासित प्रदेश हो गई। 1958 में शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक एकीकृत नियम की स्थापना की गई। दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था में अधिनियम 1966 के तहत फिर परिवर्तन किया गया तथा तीन स्तरीय प्रणाली लागू की गई, जो एक उपराज्यपाल और एक कार्यकारी परिषद, एक निर्वाचित महानगरीय परिषद तथा नगर को मिलाकर बनाई गई है। संविधान के 69 वें संशोधन द्वारा इसे 1991 में विशिष्ट राज्य का दर्जा एवं निर्वाचित विधान सभा दी गई। राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत उप–राज्यपाल दिल्ली का प्रमुख होता है और प्रशासन मुख्यमंत्री चलाता है, जो निर्वाचित दल द्वारा नियुक्त किया जाता है।

राष्ट्रपति भवन
President House

स्तरों का समूह

दिल्ली राज्य प्रशासनिक एवं नियोजन क्षेत्रों के कई स्तरों का समूह है। इसका दायरा 1,485 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें शहरी संकेंद्रण तथा 209 गाँव आते हैं। जो दिल्ली महरौली तहसीलों में बटे हैं। वृहद स्तर पर यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.आर.) का ही भाग है। जो नगर एव ग्रामीण संगठन (टी.सी.पी.ओ.) द्वारा 1971 में एक नियोजन क्षेत्र के रूप मे अलग किया गया, ताकि दिल्ली के इर्द –गिर्द भावी विकाश को दिशा दी जा सके। एन. सी. आर के अंतर्गत दिल्ली राज्य तथा हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के सीमावर्ती ज़िले या तहसीलें आती हैं। यह क्षेत्र दिल्ली महानगर के आसपास लगभग 100 किलोमीटर अर्द्धव्यास में फैला है। तथा इसमे 30,242,वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आता है। क्षेत्र के भावी संतुलित विकास के लिए एक समंवित मास्टर प्लान तैयार करने हेतु 1985 में एन.सी.आर.बोर्ड का गठन किया गया। दिल्ली महानगर क्षेत्र उपवृहद स्तर पर है। जिनमें दिल्ली तथा निकटवर्ती राज्यों के सटे हुए शहरी भाग आते हैं। जो 3,182 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हैं। लघु स्तर पर दिल्ली का शहरी समूह आता है, जिसका क्षेत्रफल 446 वर्ग किलोमीटर है। इसमें तीन नगरीय क्षेत्र आते हैं: नई दिल्ली नगर पालिका समिति (एन.डी.एम.सी.), नगर निगम दिल्ली (शहर), एम.सी.डी. (यू) तथा दिल्ली छावनी के साथ-साथ सेंसस द्वारा वर्गीकृत 23 उपनगर।

उच्चतम न्यायालय, भारत
Supreme Court, India

महानगरीय अधिशासन

दिल्ली का महानगरीय अधिशासन मुख्य रूप से नई दिल्ली नगर पालिका, दिल्ली नगर निगम तथा छावनी परिषद के अधीन है। दिल्ली नगर निगम निर्वाचित निकाय है। नई दिल्ली नगरपालिका (एन.डी.एम.सी.) के सदस्य शासन द्वारा मनोनीत होते हैं। नगर निगम के दायरे में अनिवार्य नागरिक एवं उचित कल्याणकारी कार्य आते हैं। गंदी बस्तियों को हटाना एवं सुधार इसके मुख्य कार्य हैं यह अपना काम क्षेत्रीय समितियों के माध्यम से करती है। जो स्थानीय पार्षदों तथा एक या अधिक पौर–मुख्य से गठित होती है, नई दिल्ली नगर पालिका का गठन 1933 में हुआ यह केवल नई दिल्ली (इसे यह स्वरूप वास्तुविद् एडविन लूटियंस ने दिया था) तथा इससे लगे हुए क्षेत्रो के प्रति उत्तरदायी हैं। छावनी क्षेत्र के स्थानीय कार्य रक्षा मंत्रालय के प्रशासन में आते हैं।

योजना

महानगरीय दिल्ली की योजना की ज़िम्मेदारी दिल्ली विकाश प्राधिकरण (डी.डी.ए.) के अधीन है, जिसका गठन 1957 के एक संसदीय अधिनियम के तहत हुआ। शहर के प्रथम 20 वर्षों की नगर योजना (मास्टर प्लान) टी.सी.पी.ओ. द्वारा तैयार की गई तथा इसे दिल्ली की बेतरतीब वृद्धि को नियंत्रित करने तथा आम लोगों की क्रय–क्षमता योग्य एवं उपयुक्त आवास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्वीकृत आधारों पर डी.डी.ए. द्वारा 1962 में लागू किया गया। शासन द्वारा 24 हजार हेक्टेयर क्षेत्र का अधिकरण करके शहरी विकाश के लिए डी.डी.ए. को सौंपा गया। इस तरह डी. डी.ए साम्यवादी विश्व से बाहर राष्ट्रीयकृत भूमि का सबसे बड़ा विकासक बन गया। विलंबित दूसरी नगर योजना 1986 में प्रभाव में आई तथा यह उद्योगीकरण को धीमा करने, विकेंद्रीकरण, अनेक स्थानोंको जोड़ते लोक परिवहन के प्रावधान तथा कम ऊँचाई वाली किंतु घनी आवासीय व्यवस्था पर केंद्रित थी।

जनजीवन

अन्य राजधानियों की तरह दिल्ली महानगर की गतिविधियाँ भी अत्यंत सक्रिय हैं। 19 वीं सदी के अंत मुग़ल शासन काल का वैभव समाप्त हो चुका था, दिल्ली की आबादी मुश्किल से पाँच लाख थी, लेकिन धीरे-धीरे यह किसी दानव की तरह बढ़ती गई। वर्ष 2001 में दिल्ली की शहरी आबादी 1 करोड़ 28 लाख के लगभग पहुँच चुकी है और दिल्ली राज्य की कुल आबादी 1 करोड़ 37 लाख के लगभग पहुँच गई है। जनसांख्यिकीय विश्लेषण के अनुसार 90 प्रतिशत आबादी शहरी है। इनमें भी 85 प्रतिशत लोग तीन स्थायी नगरो मे बसते हैं।

दिल्ली की संस्कृति

2001 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली की आबादी में लिंग अनुपात (प्रति1,000 पुरुषों पर महिलाएं) शहरी क्षेत्र मे 821 है, जिसमें 1991 के 827 के मुक़ाबले कमी आई है। यह इस बात का सूचक है कि पुरुषों का शहरों की तरफ पलायन अधिक है। दिल्ली में साक्षरता का प्रतिशत 81.82 है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। अगर हम दिल्ली के जनसांख्यिकी इतिहास पर नज़र डालें, तो 1947 का कालखंड एक संक्रांति काल की तरह हमारे सामने खड़ा दिखाई देता है। इस काल मे हजारों शरणार्थी पाकिस्तान से दिल्ली आए। इनकी वजह से न केवल यहाँ का जनसांख्यिकी ढांचा बदला, बल्कि दिल्ली के सामाजिक– सांस्कृतिक और आर्थिक स्वरूप में भी परिर्वतन आया। तब से शहर प्रवासियों की वजह से फैलता गया। हाल के दशकों मे यहाँ जन्म-दर गिरी है, लेकिन प्रवासियों की आबादी का एक–तिहाई से अधिक हिस्सा प्रवासियों का है।

शहर के मुख्य धार्मिक समूहों में (1991 की जनगणना के अनुसार) हिंदू (लगभग 83 प्रतिशत), सिक्ख (लगभग नौ प्रतिशत) हैं। जनसंख्या के शेष चार प्रतिशत का निर्माण जैन, सिक्खईसाई, बौद्ध और अन्य लोग करते हैं। अधिकांश लोग हिंदी या उसका परिवर्तित रूप हिंदुस्तानी बोलते हैं। पंजाबी भाषा पंजाबियों द्वारा बोली जाती है। तथा उर्दू मुसलमानों द्वारा बोली जाती है। विभिन्न प्रांतों से आए आप्रवासी अपनी-अपनी भाषा बोलते हैं, लेकिन कामचलाऊ हिंदी सीखने की कोशिश करते हैं। शिक्षित वर्ग द्वारा अंग्रेज़ी समझी व बोली जाती है।

अर्थव्यवस्था

इंडिया गेट, दिल्ली
India Gate, Delhi

किसी भी ऐतिहासिक राजधानी की तरह दिल्ली भी वैविध्यपूर्ण केंद्र है, जिसमे प्रशासन, सेवाएं और निर्माण अच्छी तरह मिले–जुले हैं। दिल्ली कला एव हस्तकौशल की प्रचुर विविधता का केंद्र रहा है। मुग़ल काल में दिल्ली रत्न और आभूषण, धातु पच्चीकारी, कसीदाकारी, सोने की पच्चीकारी, रेशम और जरी का काम, मीनाकारी और शिल्प, मूर्तिकला और चित्रकला के लिए विख्यात थी।

दिल्ली का वर्तमान प्रशासकीय महत्व उस समय से है, जब भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से लेकर महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया और ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी, वाणिज्यिक और सेवा केन्द के रूप में विकसित हो गई। यहाँ की लगभग तीन–चौथाई आबादी व्यापार लोक प्रशासन, सामुदायिक, सामाजिक और निजी सेवाओं में संलग्न है।

कृषि और खनिज

गेहूँ, बाजरा, ज्‍वार, चना और मक्‍का की प्रमुख फ़सलें हैं, लेकिन अब किसान अनाज वाली फ़सलों की बजाय फलों और सब्जियों, दुग्‍ध उत्‍पादन, मुर्गी पालन, फूलों की खेती को ज्‍यादा महत्‍व दे रहे हैं। ये गतिविधियाँ खाद्यान्‍नों, फ़सलों के मुक़ाबले अधिक लाभदायक साबित हुई हैं।

उद्योग

दिल्‍ली न केवल उत्तर भारत का सबसे बड़ा व्‍यावसायिक केंद्र है, बल्कि यह लघु उद्योगों का भी सबसे बडा केंद्र है। इनमें टेलीविजन, टेपरिकार्डर, हल्‍का इंजीनियरिंग साज-सामान, मशीनें, मोटरगाडियों के हिस्‍से पुर्जे, खेलकूद का सामान, साइकिलें, पी.वी.सी. से बनी वस्‍तुएं जूते-चप्‍पल, कपडा, उर्वरक, दवाएं, हौजरी का सामान, चमड़े की वस्‍तुएं, साफ्टवेयर आदि विभिन्‍न वस्‍तुएं बनाई जाती हैं।

हुमायूँ का मक़बरा, दिल्ली
Humayun's Tomb, Delhi

20 वीं सदी के प्रारंभ में यहाँ आधुनिक उद्योगों का प्रवेश हुआ। यहाँ के बड़े उद्योगों मे कपास की ओटाई, कताई और बुनाई; आटा एव मैदा की मिलें पैकिंग; गन्ने व तेल का प्रसंस्करण प्रमुख थे। लघु उद्योगों में मुद्रण, जूता निर्माण, कसीदाकारी, बेकरी, शराब निर्माण लोहा तथा पीतल का काम होता है। 1980 के दशक से औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि शुरू हुई। 1981 में 50 हजार पंजीकृत औद्योगिक इकाइयों की संख्या बढकर 1990 में 81 हजार हो गई। इस कालखंड में औद्योगिक निवेश, उत्पादन और रोजगार मे भी लगभग दुगुनी वृद्धि हुई। 1990 के दशक मे इस शहर के आर्थिक स्वरूप मे महत्त्वपूर्ण स्थान बन गया और पुरानी दिल्ली ने उत्तर भारत के थोक वाणिज्यिक केंद्र के रूप में अपनी पहचान को और अधिक सुद्ढ़ बना लिया।

दिल्‍ली की नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, टेलीकम्‍यूनि‍केशन, सॉफ्टवेयर उद्योग तथा सूचना प्रौद्योगिकी को समर्थ सेवा बनाने वाले उद्योग लगाने पर बल दिया गया है। दिल्‍ली में ऐसी औद्योगिक इकाइयां लगाने को प्रोत्‍साहन दिया जा रहा है, जिनसे प्रदूषण नहीं फैलता और जिनमें कम कामगारों की आवश्‍यकता होती है। दिल्‍ली राज्‍य औद्योगिक विकास निगम ओखला स्थित व्‍यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र के भवन में रत्‍न, आभूषण और परख तथा मीनाकारी का एक प्रशिक्षण संस्‍थान खोल रहा है।

वास्तुकला

महात्मा गांधी, गांधी स्मृति संग्रहालय, दिल्ली

दिल्ली के वैविध्यपूर्ण इतिहास ने विरासत में इसे समृद्ध वास्तुकला दी है। शहर के सबसे प्राचीन भवन सल्तनत काल के हैं और अपनी संरचना व अलंकरण मे भिन्नता लिए हुए हैं। प्राकृतिक रुपाकंनों, सर्पाकार बेलों और क़ुरान के अक्षरों के घुमाव में हिंदू राजपूत कारीगरों का प्रभाव स्पष्ट नज़र आता है। मध्य एशिया से आए कुछ कारीगर कवि और वास्तुकला की सेल्जुक शैली की विशेषताएं मेहराब की निचली कोर पर कमल- कलियों की पंक्ति, उत्कीर्ण अलंकरण और बारी-बारी से आड़ी और खड़ी ईटों की चिनाई है। ख़लज़ी शासन काल तक इस्लामी वास्तुकला में प्रयोग तथा सुधार का दौर समाप्त हो चुका था और इस्लामी वास्तुकला में एक विशेष पद्धति और उपशैली स्थापित हो चुकी थी जिसे पख्तून शैली के नाम से जाना जाता है। इस शैली की अपनी लाक्षणिक विशेषताएं हैं। जैसे घोड़े के नाल की आकृति वाली मेहराबें, जालीदार खिड़कियां, अलंकृत किनारे बेल बूटों का काम (बारीक विस्तृत रूप रेखाओं में) और प्रेरणादायी, आध्यात्मिक शब्दांकन बाहर की ओर अधिकांशत: लाल पत्थरों का तथा भीतर सफ़ेद संगमरमर का उपयोग मिलता है।

वास्तुकला की परंपरा में बदलाव

तुग़लकों ने वास्तुकला की परंपरा में बदलाव कर अलंकरण का तत्त्व समाप्त कर दिया इस काल मे स्लेटी पत्थरों वाले सीधे सपाट निर्माण को प्राथमिकता दी गई उनकी इमारतों मे एक दूसरे पर आधारित छतों वाली सादी मेहराबों क़ुरान की आयत से खुदे किनारों और भट्टी मे रंगी टाइलों को प्रभावशाली ढंग से शामिल किया गया। तुग़लकों ने अपने भवनों मे सजावट पर कम, और उनकी आकृति की भव्यता पर अधिक जोर दिया। सैयद और लोदी काल में गुंबदीय ढांचे की दो जटिल शैलियां प्रचलित हुईं। निम्न अष्टभुजाकार आकृति वाली शैली जिसका जमीनी क्षेत्रफल काफ़ी विशाल होता था। और ऊँची वर्गाकार शैली जिसमें भवन का अग्रभाग चारो ओर से गुजरने वाली पट्टी और फलक श्रंखला रुपी सजावटी तत्त्व से विभाजित होता था, जो इन्हे दो या तीन मंजिल जैसे होने का रूप देती प्रतीत होती थी। लोदी काल में बगीचे वाले मकबरों का निर्माण भी हुआ। इस काल की मस्जिदों में मीनारें नहीं होती थी।

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, दिल्ली
National Railway Museum, Delhi

वास्तविक गौरव

दिल्ली की वास्तुकला का वास्तविक गौरव मुग़ल कालीन है। दिल्ली में हुमायूँ का मक़बरा मुग़ल वास्तुकला का प्रथम महत्त्वपूर्ण नमूना है। हुमायूं के मकबरे को 1565 ई. में उसकी बेग़म हमीदा बानू ने बनवाया था। इसमें हमीदा की क़ब्र भी हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न कालों में बनी दारा शिकोह फ़ुरुख़सियर तथा आलमगीर द्वितीय आदि की भी क़ब्रें यहीं स्थित हैं। कहा जाता है कि मुग़ल परिवार के तथा उससे संबंधित 90 से अधिक व्यक्तियों की क़ब्रें यहाँ हैं। 1857 की राज्यकांति में अंतिम मुग़ल सम्राट बहादुरशाह को मुग़लों ने यहीं क़ैद किया था। ताजमहल का अग्रगामी यह निर्माण भारत का पहला पूर्ण विकसित बगीचे वाला मक़बरा भी है। इसने भारतीय वास्तुकला में ऊँची मेहराबों और दोहरे गुंबदों की शुरुआत की जो मुग़ल वास्तुकला के प्रतिनिधि नमूने लाल क़िले में दिखाई देते हैं। इसमें निर्मित नक़्क़ारख़ाने, दीवार-ए-आम और दीवार-ए-ख़ास, महल तथा मनोरंजन कक्ष, छज्जे, हमाम, आंतरिक नहरें और ज्यामितीय सौंदर्यबोध के साथ निर्मित बगीचे तथा एक अलंकृत मस्जिद देखते ही बनते हैं। जामा मस्जिद मुग़लकालीन मस्जिदों की वास्तविक प्रतिनिधि है। यह पहली मस्जिद है, जिनमें मीनारें भी हैं। अधिकांश भवनों में संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है। जिनमें नक़्क़ाशी तथा बहुरंगी पत्थरों की सजावट के नायाब नमूने हैं।

आंग्ल वास्तुकला

दिल्ली की आंग्ल वास्तुकला औपनिवेशिक तथा मुग़लकालीन कला का प्रतीक है। यह वाइसरॉय के आवास संसद भवन और सचिवालय के विशाल भवनों से लेकर आवासीय बंगली और दफ्तरों जैसी उपयोगी इमारतों तक वैविध्यपूर्ण है। स्वतंत्र भारत में वास्तुकला ने अपनी अलग उपशैली विकसित करने का प्रयास किया है। देशज तथा पश्चिमी शैली के मिश्रित स्वरूप में स्थानीय उपशैलीयों की छटा दिखाई देती है। सर्वोच्च न्यायालय भवन, विज्ञान भवन विभिन्न मंत्रालयों के कार्यालय कनॉट प्लेस के आसपास की इमारतें इसके श्रेष्ठ उदाहरण हैं। हाल ही में दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के कुछ वास्तुकार हुए जिन्होंने दिल्ली के परिदृश्य में कुछ आकर्षण भवन जोड़े हैं। जिन्हें उत्तर-आधुनिक कहा जाता है। टीकाकरण संस्थान, भारतीय जीवन बीमा निगम का मुख्यालय और बहाई मंदिर इसके उल्लेखनीय उदाहरण हैं।

दिल्ली के पर्यटन स्थल


लोटस टैंपल, दिल्ली इंडिया गेट, दिल्ली अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली जामा मस्जिद, दिल्ली राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, दिल्ली गुरुद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली हुमायूँ का मक़बरा, दिल्ली जन्तर मन्तर, दिल्ली पुराना क़िला, दिल्ली गांधी स्मृति संग्रहालय, दिल्ली राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली मेरी, यूसुफ, और ईसा मसीह, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली

पर्यटन

पुराना क़िला, दिल्ली
Purana Qila, Delhi

दिल्‍ली एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। दिल्‍ली में मंदिरों से लेकर मॉल तक, किलों से लेकर उद्यान और अनेक ऐतिहासिक इमारतें और क़िले हैं जो इतिहास की जीवंत निशानियाँ हैं। प्रतिवर्ष लाखों सैलानी दिल्‍ली आते हैं और यहाँ की मिश्रित संस्‍कृति को जानने की कोशिश करते हैं। दिल्‍ली राज्‍य पर्यटन और परिवहन विकास निगम पर्यटकों को यहाँ के विभिन्‍न स्‍थानों की सैर कराने के लिए विशेष बस सेवाएं चलाता है। निगम ने पैरा सेलिंग, रॉक क्‍लाइंबिंग और बोटिंग जैसी साहसिक गतिविधियों के लिए सुविधाएं विकसित की हैं। निगम ने ’दिल्‍ली हाट’ का विकास किया है, जहाँ काफ़ी और विभिन्‍न राज्‍यों की खाद्य वस्‍तुएँ एक जगह उपलब्‍ध हैं। दिल्‍ली के विभिन्‍न भागों में ऐसी ही 'हाट' बनाने की योजना है।

खानपान

दिल्‍ली में खाने पीने की बहुत सी दुकानें और भोजमनालय हैं। देश के विभिन्‍न प्रांतों के व्‍यंजनों का स्‍वाद लेने के लिए दिल्‍ली हाट का रुख कर सकते हैं। यहां देश के लगभग हर भाग का भोजन मिलता है। कुल मिलाकर दिल्‍ली में हर तरह के भोजन का जायका लिया जा सकता है। दिल्‍ली में चाँदनी चौक एक जगह है जो फ्रूट चाट, गोल गप्‍पों, पकौड़ों और बहुत सी चीजों के लिए मशहूर है।

परांठे बनाता आदमी, पराठें वाली गली
पराठें वाली गली

दिल्‍ली की पराठें वाली गली के पराठे सालों से लोगों की पसंद रहे हैं।

मिठाई

चाँदनी चौक के पास ही दिल्‍ली में मिठाइयों की सबसे पुरानी दुकान घंटेवाला है।

चिकन करी

अशोका रोड पर बने आंध्र भवन की चिकन करी बहुत की पसंद की जाती है।

ख़रीददारी

कनॉट प्लेस, दिल्ली
Connaught Place, Delhi

दिल्ली में ख़रीददारी के लिए कई स्थल हैं। प्रमुख स्थल हैं-

अंबावता कॉम्पलेक्स

यह कॉम्पलेक्स बाबा खड़कसिंह मार्ग पर स्थित है। इस कॉम्पलेक्स में विभिन्न राज्यों के एम्पोरियम खुले हैं, जहाँ सरकारी दरों पर राज्यों के उत्पाद मिलते हैं।

केन्द्रीय लघु उद्योग एम्पोरियम एवं जनपथ, चाँदनी चौक, कनॉट प्लेस, दिल्ली हॉट, पुरानी कलात्मक वस्तुएँ एवं कालीन तथा चाँदी की वस्तुएँ हौज ख़ास गाँव से ख़रीदी जा सकती हैं। वहीं आई.एन.ए. (भारतीय राष्ट्रीय सेना) बाज़ार में खाने से सम्बन्धित वस्तुएँ जैसे सब्ज़ी, फल, मीट आदि मिलते हैं।

दिल्‍ली में छोटी दुकानों से लेकर बड़े-बड़े शोरूम भी हैं। उच्‍च वर्ग को साउथ एक्‍स और करोल बाग़ का बाज़ार पंसद आता है, वहीं टैंक रोड, सरोजनी नगर, जनपथ, पालिका बाज़ार, मॉनेस्‍ट्री, गफार मार्केट आदि मध्‍यम वर्ग को लुभाता है। साउथ एक्‍स में सभी अंतर्राष्‍ट्रीय ब्रैंड के कपड़े और अन्‍य सामान मिलता है। गफ़्फ़ार मार्केट मुख्‍य रूप से बिजली के सामान के लिए जानी जाती है। चाँदनी चौक और उसके आसपास हाथ से तराशे हुए सोने चांदी के बेहतरीन जेवर मिल जाएंगे। दरियागंज में रविवार को लगने वाली किताबों की दुकानों में आपको कार्ल मार्क्‍स से लेकर जवाहर लाल नेहरु तक पर लिखी किताबें मिल सकती हैं।

बाज़ारों का अवकाश
  • रविवार- आज़ाद बाज़ार, बाबा खड़कसिंह मार्ग, चाँदनी चौक, चावड़ी बाज़ार, कनॉट प्लेस, हौज ख़ास गाँव, जनपथ बाज़ार, ख़ान बाज़ार, खारी बावली, मीनाबाज़ार, नई सड़क, नेहरू प्लेस, पहाड़गंज, पालिका बाज़ार, सदर बाज़ार, सब्ज़ी मंडी, शंकर मार्केट, यशवंत प्लेस।
  • सोमवार- डिफ़ेन्स कॉलोनी, आई. एन. ए बाज़ार, करोलबाग़, लाजपत नगर, निज़ामुद्दीन, सरोजनी नगर, दक्षिण विस्तार, कमला नगर, पटेल नगर।
  • मंगलवार- अरबिन्दो प्लेस, चितरंजन पार्क, ग्रेटर कैलाश, ग्रीन पार्क, हौज ख़ास, मुनिरका, न्यू फ़्रेन्ड्स कालोनी, आर. के. पुरम, वसंत विहार, मसूदपुर, वसंत कुंज, युसूफ़ सराय।
  • बुधवार- दिल्ली केंट, गोपीनाथ बाज़ार, जनकपुरी, प्रीतमपुरा, राजौरी गार्डन, तिलकनगर, रोहिणी।
  • शुक्रवार- कीर्ति नगर, मोती नगर, राजा गार्डन, सुभाष नगर।

यातायात और परिवहन

मेट्रो रेल, दिल्ली
Metro Train, Delhi

भारत सरकार ने दिल्‍ली शहर में बढ़ते वाहन प्रदूषण और यातायात की अस्‍त-व्‍यस्‍त स्थिति को देखते हुए मास रैपिड ट्रांजिट प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया। यह परियोजना कार्यान्वित की जा रही है और इसमें अति आधुनिक तकनीक का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। दिल्‍ली में मेट्रो रेल परियोजना आ गई है। अब दिल्‍ली मेट्रो के प्रथम चरण में तीन मेट्रो कारीडोर हैं जो रिकार्ड समय में पूरे होकर काम भी करने लगे हैं। शाहदरा से रिठाला और दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय से‍ कें‍द्रीय सचिवालय के बीच लाइनें बिछ गई हैं और इन पर गाडियाँ भी चलने लगी हैं। बाराखंभा और द्वारका के बीच तीसरी लाइन भी चालू हो गई है। दिल्‍ली मेट्रो के द्वितीय चरण को भी स्‍वीकृत मिल गई है जिससे राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र के यात्रियों को बेहतर संपर्क सुविधा प्राप्‍त हो सकेगी। दिल्‍ली सडकों, रेल लाइनों और विमान सेवाओं के ज़रिये भारत के सभी भागों से भलीभांति जुड़ी हुई है। यहाँ तक तीन हवाई अड्डे हैं। इंदिरा गांधी अंतर्राष्‍ट्रीय हवाई अड्डा अंतर्राष्‍ट्रीय उड़ानों के लिए पालम हवाई अड्डा घरेलू उड़ानों के लिए तथा सफदरजंग हवाई अडडा प्रशिक्षण उड़ानों के लिए इस्‍तेमाल किया जा रहा है। दिल्‍ली में तीन महत्‍वपूर्ण रेलवे स्‍टेशन भी हैं। ये दिल्‍ली जंक्‍शन, नई दिल्ली रेलवे स्‍टेशन और निजामुद्दीन रेलवे स्‍टेशन के नाम से जाने जाते हैं। तीन अंतर्राष्‍ट्रीय बस अड्डे- कश्‍मीरी गेट, सराय काले ख़ाँ और आनंद विहार में हैं।

इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली
Indira Gandhi International Airport, Delhi
वायु मार्ग

पर्यटकों के लिए भारत का व्यस्ततम प्रवेश बिन्दू इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह दिल्ली से देश के अन्य शहरों को जोड़ता है। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से सात किलोमीटर और कनॉट प्लेस से 12 किलोमीटर की दूरी पर दूसरा हवाई अड्डा स्थित है। जहाँ से घरेलू उड़ानें संचालित होती हैं। सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अंतर्राष्ट्रीय आवागमन रहता है।

हवाई अड्डे से शहर में आने-जाने के लिए तीन तरह की टैक्सियाँ उपलब्ध हैं। पीली व काली धारियों वाली टैक्सी शहर में घूमने के लिए हैं। दिल्ली टैक्सी पूरे भारत में भ्रमण के लिए हैं। आगमन क्षेत्र में प्री-पेड टैक्सी व्यवस्था का काउंटर भी स्थापित है। इसके अतिरिक्त हर्ट्ज़ एवं यूरोप कार जैसी अंतर्राष्ट्रीय निजी क्षेत्र की कम्पनियाँ भी भारतीय निजी कम्पनियों के साथ अपनी सेवाएँ दे रही हैं। टर्मिनल एक व दो से कोच सुविधा भी प्राप्त की जा सकती है। प्रत्येक घण्टे से छूटने वाले ये कोच, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन एवं कश्मीरी गेट अंतर्राष्ट्रीय बस अड्डे तक जाते हैं। मार्ग में आने वाले प्रमुख होटलों पर इनका ठहराव निश्चित है।

रेल मार्ग

दिल्ली देश के सभी भागों से रेलमार्ग से जुड़ा है। रेलवे स्टेशनों पर प्री-पेड टैक्सी व्यवस्था उपलब्ध है। तीनों प्रमुख रेलवे स्टेशनों से ऑटो-रिक्शा एवं बसों की सुविधा अनवरत उपलब्ध है। सुपरफास्ट राजधानी एक्सप्रैस दिल्ली से कलकत्ता, मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर और हैदराबाद महानगरों के बीच चलती हैं। शताब्दी एक्सप्रैस दिल्ली को प्रमुख राज्यों की राजधानियों भोपाल, अमृतसर और लखनऊ से जोड़ती है।

सड़क मार्ग
बस, दिल्ली
Bus, Delhi

उत्तरी भारत के सभी बड़े शहरों के लिए दिल्ली से सीधी बस सेवा उपलब्ध है। पुरानी दिल्ली के पास स्थित कश्मीरी गेट पर मुख्य बस स्टेंण्ड है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय बस अड्डा कहा जाता है। यहाँ से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश आदि के लिए बसें उपलब्ध हैं। निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन के समीप आया हुआ सराय काले ख़ाँ बस स्टेण्ड से आगरा, मथुरा, वृन्दावन, ग्वालियर एवं भरतपुर आदि के लिए बसें मिलती हैं।

दिल्ली, राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से बर्धमान, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और आगरा के रास्ते कोलकता से जुड़ी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 8 से सूरत, अहमदाबाद, उदयपुर, अजमेर और जयपुर के रास्ते मुंबई से जुड़ी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1 से जालंधर, लुधियाना और अंबाला होते हुए अमृतसर और राष्ट्रीय राजमार्ग 24 से रामपुर और मुरादाबाद के रास्ते लखनऊ से जुड़ी है।

स्थानीय परिवहन

ऑटो रिक्शा

दिल्ली में मीटर से चलने वाले तिपहिया ऑटो रिक्शा सर्वत्र उपलब्ध हैं।

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन
बसें

दिल्ली भ्रमण हेतु बसें सबसे सस्ता व सुलभ साधन हैं। दिल्ली राज्य परिवहन सेवा की हरी धारियों वाली बसें दिल्ली परिवहन निगम की हैं। जबकि नीली धारियों वाली बसें निजी क्षेत्र की हैं। कुछ अतिरिक्त भुगतान पर आरामदेह सफ़ेद धारियों वाली बसों में सफर किया जा सकता है।

रिंग रेल

पाँच प्रमुख बाज़ारों चाँदनी चौक, सदर बाज़ार, कनॉट प्लेस, प्रगति मैदान एवं आईटीओ को जोड़ती हुई रिंग रेल की सुविधा भी उपलब्ध है।

गाइड टूर

प्रशिक्षित गाइडों के साथ आरामदेह गाड़ियों में पूरे दिन या आधे दिन के गाइड टूर भी संचालित किए जाते हैं। ये टूर शहर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की सैर कराते हैं।

इसके अलावा हर क्षेत्र में टैक्सी स्टेण्ड हैं, जहाँ से टैक्सी मिल जाती है। पुरानी दिल्ली क्षेत्र में साइकिल रिक्शा भी मिल जाते हैं। प्रमुख होटलों एवं टैक्सी स्टेण्डों पर भारतीय एवं विदेशी कम्पनियाँ कार किराए पर उपलब्ध कराती हैं।

समस्याएँ

राजघाट, दिल्ली
Raj Ghat, Delhi

पानी की समस्या

दिल्ली में पानी की समस्या बहुत ज़्यादा है। यमुना, गंगा, भगीरथी नदियों से पानी लेने के बाद भी दिल्ली में पानी की समस्या खत्म नहीं हुई है। दिल्ली को हिमाचल प्रदेश से भी पानी मिलने वाला है। अगर यह पानी दिल्ली आ सका तो वहाँ के अनेक परिवारों का बसेरा और जीविका छिन जाएगी। इस बांध में डूबने वाले परिवारों को केवल मुआवजा भर देने की योजना है। जमीन आदि देकर कहीं और बसाने का प्रावधान ही नहीं। लोगों ने परियोजना और भूमि अधिग्रहण के तौर तरीकों पर विरोध प्रकट करना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं संबंधित राज्यों के बीच भी दिल्ली को पानी देने के मामले में काफ़ी बहस चली है। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िले में यमुना की सहायक नदी ‘गिरी’ पर प्रस्तावित रेणुका बांध के निर्माण से 700 परिवार प्रभावित होंगे। यह परियोजना दिल्ली को बरास्ता हरियाणा में पानी पहुँचाने के लिए है।

दिल्ली को प्रतिदिन कोई 3 अरब 60 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है। लेकिन केवल 2 अरब 90 करोड़ लीटर आपूर्ति ही हो पाती है। आलोचकों का कहना है कि पानी की आपूर्ति में भी खूब भेदभाव बरता जा रहा है। उदाहरण के लिए लुटियन वाली दिल्ली को प्रतिदिन कोई 30 करोड़ लीटर पानी मिलता है लेकिन महरौली जैसे स्थानों में यह 4 करोड़ से भी कम है। दिल्ली सरकार रेणुका बांध से 1 अरब 24 करोड़ लीटर अतिरिक्त पानी चाहती है। दिल्ली जल बोर्ड पर सवाल उठाते हुए भारत के महालेखाकार ने 2008 में टिप्पणी की थी कि दिल्ली में 40 प्रतिशत पानी व्यर्थ बह जाता है। यह बर्बादी कोई 38 करोड़ लीटर प्रतिदिन है। दिल्ली स्थित विज्ञान और पर्यावरण केंद्र के एक अध्ययन के अनुसार पानी की यह बर्बादी रेणुका बांध से होने वाली जल आपूर्ति का चौथा भाग है।

त्‍यौहार

महानगर होने की वजह से दिल्ली में भारत के सभी प्रमुख त्‍यौहार मनाए जाते हैं। दिल्‍ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम कुछ वार्षिक उत्‍सवों का भी आयोजन करते हैं। ये रोशनआरा उत्‍सव, शालीमार उत्‍सव, कुतुब उत्‍सव, शीतकालीन मेला, उद्यान और पर्यटन मेला, जहाने-खुसरो उत्‍सव तथा आम महोत्‍सव हैं।

दिल्ली के स्टेडियम
जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम मेजर ध्यानचन्द स्टेडियम सिरी फोर्ट स्पोटर्स कांप्लेक्स आर के खन्ना स्टेडियम श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम तालकटोरा स्टेडियम त्यागराज स्टेडियम यमुना स्पोटर्स कांप्लेक्स कर्णी सिंह शूटिंग रेंज

राष्ट्रमंडल खेल

प्रतीक चिन्ह, दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल 2010
  • राष्ट्रमण्डल खेल, ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल देशों के अन्तर्गत आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिता है।
  • 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी दिल्ली, भारत को सौंपी गई। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेजबानी कर चुका है। एशिया में भी यह 1998 के क्वालालंपुर, मलेशिया के बाद दूसरा बड़ा आयोजन है।[1]
  • भारत में हुए 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में कुल 71 देशों ने भाग लिया। 2014 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी ग्लासगो (स्कॉटलैण्ड और ब्रिटेन) को सौंपी गई।
  • रिवरेंड एश्ले कूपर नाम के अंग्रेज़ अधिकारी ने ब्रिटिश हुकूमत वाले देशों में खेलों के एक महा आयोजन का विचार दिया था। उनका मानना था कि इससे इन देशों में खेल की भावना बढ़ेगी साथ ही लोगों के मन में ब्रिटिश हुकूमत के प्रति अच्छी भावना आएगी।
  • इसके बाद सन 1928 में कनाडियाई मूल के एथीलिट 'बॉबी रॉबिनसन' को पहले राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। यह खेल सन 1930 में ओंटारियो के हैमिलटन शहर में आयोजित किए गए थे, जिसमें ग्यारह देशों के 400 एथीलिटों ने हिस्सा लिया था। कनाडा इन खेलों का गवाह बना था।
  • इसके बाद हर चौथे वर्ष राष्ट्रकुल खेलों का आयोजन किया जाने लगा था। सिर्फ दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इनका आयोजन नहीं किया जा सका था। इन खेलों को कई नामों से जाना जाता था, जैसेः ब्रिटिश साम्राज्य खेल, मित्रता खेल तथा ब्रिटिश राष्ट्रकुल खेल।

वीथिका


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आधिकारिक वेबसाइट (हिन्दी) (पीएचपी)। । अभिगमन तिथि: 28 सितंबर, 2010

बाहरी कड़ियाँ

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