बेंगळूरू
बेंगळूरू
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विवरण | बंगलूरू भारत का सातवाँ सबसे बड़ा शहर है। बंगलोर कर्नाटक (भूतपूर्व मैसूर) राज्य का 1830 से शहर और राजधानी है। |
राज्य | कर्नाटक |
ज़िला | बैंगलोर (ग्रामीण) ज़िला |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 12°97', पूर्व-77°56' |
मार्ग स्थिति | यह शहर सड़क द्वारा मैसूर से 139 किलोमीटर, चेन्नई से 349 किलोमीटर, हम्पी से 385 किलोमीटर, दिल्ली से 2,081 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। |
कब जाएँ | गर्मियों में अप्रैल से जून और सर्दियों में अक्टूबर से फ़रवरी। |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है। |
बेंगलूर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा | |
बंगलौर जंक्शन रेलवे स्टेशन | |
कॅम्पेगॉडा बस स्टेशन | |
यातायात साइकिल-रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, मीटर-टैक्सी, सिटी बस और मेट्रो रेल | |
क्या देखें | बेंगळूरू पर्यटन |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
क्या खायें | मसाला डोसा, इडली, रवा डोसा, वाड़ा |
क्या ख़रीदें | बंगलौर सिल्क, चंदन की लकड़ी के समान, हाथी दांत, बेंत और बांस के फर्नीचर, आदि |
एस.टी.डी. कोड | 080 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
गूगल मानचित्र, बेंगलूर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे | |
भाषा | कन्नड़, तेलुगु, हिन्दी, अंग्रेज़ी और तमिल |
अद्यतन | 16:18, 1 जनवरी 2011 (IST)
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बेंगळूरू | बेंगळूरू पर्यटन | बेंगळूरू ज़िला |
बंगलोर कर्नाटक (भूतपूर्व मैसूर) राज्य का 1830 से शहर और राजधानी है। बंगलोर भारत का सातवाँ सबसे बड़ा शहर है। समुद्र तल से 949 मीटर की ऊँचाई पर कर्नाटक पठार की पूर्वी-पश्चिमी श्रृंखला सीमा पर स्थित यह शहर राज्य के दक्षिण पूर्वी भाग में है। शरद एवं ग्रीष्म ॠतु में खुशगवार मौसम के कारण निवास के लिए लोकप्रिय स्थान है, लेकिन यहाँ की बढ़ती औद्योगिक और घरेलू ज़रूरतों के लिये जल आपूर्ति एक समस्या है। यहाँ 910 मिमी वार्षिक वर्षा होती है। बंगलोर कन्नड़, तमिल और तमिल भाषा के लोगों के लिए सांस्कृतिक संगम का बिंदु है।
इतिहास
एक बार होयसल वंश के राजा बल्लाल जंगल में शिकार करने के लिए गए थे। किन्तु वह रास्ता भूल गए। जंगल के काफ़ी अन्दर एक बूढ़ी औरत रहती थी। वह बूढ़ी औरत काफ़ी ग़रीब और भूखी थी और उसके पास राजा को पूछने के लिए सिवाए उबली सेम (बींस) के अलावा और कुछ नहीं था। राजा बूढ़ी औरत की सेवा से काफ़ी प्रसन्न्न हुए और उन्होंने पूरे शहर का नाम बेले-बेंदा-कालू-ऊरू रख दिया। स्थानीय (कन्नड़) भाषा में इसका अर्थ उबली बींस की जगह होता है। इस ऐतिहासिक घटना के नाम पर ही इस जगह का नाम बेंगळूरू रखा गया है। लेकिन अंग्रेज़ों के आगमन के पश्चात् इस जगह को बंगलोर के नाम से जाने जाना लगा। लेकिन वर्तमान में दुबारा से इसका नाम बदलकर बंगलूरू कर दिया गया।
बंगलोर जगह के नाम का ऐतिहासिक दृष्टि से काफ़ी महत्त्व है। इस स्थान पर 1537 ई. में शूरवीर सरदार केंपेगोदा ने एक मिट्टी का दुर्ग और नगर के चारों कोनों पर चार मीनारें बनवाई थीं। इस प्राचीन दुर्ग के अवशेष अभी तक स्थित हैं। हैदरअली ने इस मिट्टी के दुर्ग को पत्थर से पुनर्निर्मित करवाया (1761 ई.) और टीपू ने इस दुर्ग में कई महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किए। यह क़िला आज मैसूर राज्य में मुस्लिम शासनकाल का अच्छा उदाहरण है। क़िले से 7 मील दूर हैदरअली का लाल बाग़ स्थित है। बंगलौर से 37 मील दूर नंदगिरि- नामक ऐतिहासिक स्थान है।
यातायात और परिवहन
- वायु मार्ग
बंगलोर का एच. ए. एल. अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा देश का तीसरा व्यस्ततम हवाई अड्डा है। यह शहर के पूर्व में आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में प्रयुक्त यह हवाईअड्डा, एशिया, मध्य-पूर्व तथा यूरोप के लिये भी हवाई अड्डे की सेवाएँ देता है। कई प्रमुख शहरों जैसे कलकत्ता, मुम्बई, दिल्ली, हैदराबाद, चैन्नई, अहमदाबाद, गोवा, कोच्चि, मंगलूर, पुणे, तिरुअनंतपुरम और कोलंबो (श्रीलंका) से यहाँ के लिए नियमित उड़ानों की व्यवस्था है।
- रेल मार्ग
उत्तर और पश्चिम में एक गहन मीटर गेज प्रणाली के साथ-साथ यह दक्षिणी रेलवे की चौड़ी गेज लाइन (चेन्नई से) का भी जंक्शन है। बंगलुरू में दो प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़े हुए है। देश के कई शहरों से नियमित रूप से एक्सप्रेस रेल बंगलूरू के लिए चलती हैं।
- सड़क मार्ग
दक्षिणी भारत के सड़क तंत्र के केंद्र में स्थित बंगलोर, वाराणसी-कन्याकुमारी राष्ट्रीय राजमार्ग पर है। यह मुंबई (भूतपूर्व बंबई), चेन्नई (भूतपूर्व मद्रास) से मुख्य सड़कों और केरल से नीलगिरि पहाड़ियों व पालघाट दर्रे के बीच से होते हुए मैसूर शहर के रास्ते जुड़े है। बंगलूरू में काफ़ी संख्या में बस टर्मिनल है। जो कि रेलवे स्टेशन के समीप ही है।
कृषि और खनिज
आसपास के क्षेत्र में कावेरी और कावेरी की सहायक अर्कावती नदियाँ बहती हैं। बाजरा व तिलहन प्रमुख फ़सलें हैं तथा मवेशी व भेड़पालन भी होता है।
उद्योग और व्यापार
शहर के विमान रेल के डिब्बे और मशीनी कलपुर्ज़े निर्मित करने वाले अधिष्ठान केंद्र सरकार द्वारा चलाए जाते हैं और विद्युत टेलीफ़ोन उद्योग और चीनी मिट्टी और साबुन के कारख़ाने राज्य सरकार के नियंत्रण में हैं। दवा, वस्त्र, रेडियो के पुर्ज़े, घड़ियाँ, काँच का सामान, चमड़ा, जूते-चप्पल, कृषि उपकरण और काग़ज़ निज़ी उद्योगों द्वारा बनाए जाते हैं।
शिक्षण संस्थान
- यहाँ पर बंगलोर विश्वविद्यालय (1916 में स्थापित मैसूर विश्वविद्यालय की एक शाखा) और कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय 1964 में खोला गया था। शहर में कई सायंकालीन महाविद्यालय, सार्वजनिक पुस्तकालय और भारतीय विज्ञान संस्थान (1909), रमन शोध संस्थान (1943), राष्ट्रीय शोध प्रयोगशाला (1960) तथा राष्ट्रीय ऊर्जा शोध संस्थान का एक विभाग (1960) है।
- इनके अलावा बंगलोर में ज्ञान भारती विश्वविद्यालय, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, नेशनल लॉ स्कूल ऑफ़ इंडिया यूनिवर्सिटी, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ ऐंड न्यूरो साइंसेज़, राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंसेज़, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनफ़ोर्मेशन टेक्नोलॉजी, विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, बी.एम.एस. कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग तथा अन्य कई मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। बंगलोर एक प्रकाशन (समाचार पत्र-पत्रिका) केंद्र भी है और यहाँ क्षेत्रीय रेडियो प्रसारण केंद्र का मुख्यालय है।
पर्यटन
बंगलोर शहर के पुराने भाग में सघन इमारतें हैं, साथ ही आधुनिक उपनगर है, जिन्हें उत्तर तथा दक्षिण में जालीदार नमूने के अनुसार बनाया गया है। जहाँ विभिन्न पार्क और चौड़ी गलियाँ हैं। पूर्वी हिस्से में कई सैन्य छावनियाँ हैं। मिट्टि के दुर्ग के चारों ओर बसी आबादी शहर का केंद्र थी, इस दुर्ग का निर्माण (1537 में) एक स्थानिय सरदार केम्पेगौड़ा ने किया था, जिसका निर्माण 1761 में पत्थरों से किया गया। 1831 से 1881 तक बंगलोर ब्रिटिश प्रशासन का मुख्यालय रहा। राजा को शहर पुन: सौप दिए जाने के बाद भी यहाँ 1947 तक ब्रिटेन का प्रशासनिक और सैन्य अधिकार रहा।
दर्शनीय स्थलों में 500 एकड़ में फैला कब्बन पार्क, जिसमें भारत के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक (1886) जैसे कई महत्त्वपूर्ण भवन स्थित हैं; विश्वेश्वरैया औद्योगिक तथा प्रौद्योगिकीय संग्रहालय; विश्वेश्वरैया इंडस्ट्रियल ट्रेड सेंटर; के वेंकटप्पा आर्ट गैलरी; शेषाद्रि अय्यर मेमोरियल हॉल, जिसमें सार्वजनिक पुस्तकालय भी है; उच्च न्यायालय; बच्चों के मनोरंजन और अभिरुचि का केंद्र जवाहरलाल नेहरू भवन शामिल हैं। प्रमुख भवनों में विधान सौध (1956) तथा बंगलोर क़िला व महल शामिल हैं।
अन्य स्थलों में 1990 में स्थापित सॉफ़्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एस.टी.पी.) नंदी हिल, आग के देवता अग्नि की दुर्लभ प्रतिमा वाला गुफ़ा मंदिर, मेकेदातु, वानरघट्टा नेशनल पार्क, कण्व जलाशय, उलसूर झील और हेसरघट्टा झील शामिल हैं।
ख़रीददारी
बंगलूरू में ख़रीददारी का अपना ही एक अलग ही आनन्द है। बंगलौर सिल्क, चंदन की लकड़ी के समान, हाथी दांत, बेंत और बांस के फर्नीचर, आदि के सामान भी ख़रीद सकते हैं। यहाँ आपको काँचीपुरम सिल्क या सावोरस्की क्रिस्टल आसानी से मिल सकता है। बंगलूरू विशेष रूप से मॉलों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ स्थित मॉल भारत के कुछ ख़ूबसूरत और बड़े मॉल में से एक है। आप सरकारी बाज़ार में भी ख़रीददारी के लिए जा सकते हैं। यहाँ आपको पीतल के बर्तन, लकड़ी का फर्नीचर, प्राचीन आभूषण, परम्परागत वस्त्र, साड़ी, सजाने का समान आदि आसानी से मिल जाएगा।
आप ख़रीददारी के लिए मैजस्टिक क्षेत्र में भी जा सकते हैं। यहाँ काफ़ी अच्छी ख़रीददारी की जा सकती है। इस बाज़ार को हॉग-कॉग मार्केट, बुर्मा बाज़ार के नाम से भी जाना जाता है। बंगलूरू में कई अन्य बाज़ार भी है जैसे रूस्सल मार्केट यहाँ आपको घर से जुड़ी कई चीजें मिल जाएगी। इसके अतिरिक्त चिकपेट बाज़ार विशेष रूप से सिल्क साड़ी, सोने व चाँदी के गहनों के लिए काफ़ी प्रसिद्ध है। कमर्शियल स्ट्रीट बंगलूरू से सबसे व्यस्त और भीड़-भाड़ वाला बाज़ार है। यहाँ आपको जूते, आभूषण, खेल की वस्तुएँ आसानी से मिल जाएगी। ब्रिटिश काल के दौरान के दक्षिण परेड को आज एम.जी.रोड़ के नाम से जाना जाता है। यहाँ आपको ख़रीददारी के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, किताबें और मैगजीन, सिल्क साड़ी, कपड़े, प्राचीन और फोटोकारी की जुड़ी विशेष चीजें मिल सकती है। एम.जी.रोड़ के काफ़ी नजदीक ही ब्रिगेड रोड है यह जगह इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे टेलीविश्ज़न, फ्रिज, संगीत यंत्र और कम्प्यूटर आदि के लिए प्रसिद्व है।
जनसंख्या
बंगलोर शहर की जनसंख्या (2001) 65,23,110; और ग्रामीण की जनसंख्या 18,77,416 है।
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