पूर्णागिरि मेला

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मंदिर प्रवेश द्वार
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अन्नपूर्णा चोटी के शिखर पूर्णागिरि मंदिर

यह तीर्थ स्थान जनपद पीलीभीत से लगभग चालीस किलोमीटर दूर स्थित उत्तराखण्ड के कस्बे टनकपुर में समुद्रतन से लगभग आठ सौ पचास मीटर (लगभग तीन हजार फिट) की उँचाई पर स्थित है । पृथक उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद इस तीर्थ स्थान के नाम से एक पृथक प्रशासनिक इकाई तहसील का निर्माण किया गया है। उत्तराखण्ड जनपद चम्पावत के टनकपुर उप संभाग के पर्वतीय अंचल में स्थित अन्नपूर्णा चोटी के शिखर में लगभग 3000 फिट की उंचाई पर यह शक्ति पीठ स्थापित है धार्मिक आस्था के साथ ही नैसर्गिक सौंदर्य के लिये भी यह स्थल महत्वपूर्ण है इस स्थल पर जाने हेतु टनकपुर से लगगभग 20 किमी क मोटर मार्ग से तथा 4 किमी पैदल चलकर पहुचा जा सकता है। यह काली नदी के दांये किनारे पर स्थित है (मैदानी इलाकों में आने पर इसका प्रचलित नाम शारदा नदी है) प्रतिदिन सांयःकालीन आरती का आयोजन होता है। इसके अतिरिक्त नदी के दूसरी ओर नेपाल देश का प्रसिद्ध ब्रह्मा विष्णु का मंदिर ब्रह्मदेव मंदिर कंचनपुर में स्थित है ।

पूर्णागिरि दरबार प्रवेश द्वार
पूर्णागिरि मंदिर दरबार

नदी के दूसरी ओर नेपाल देश का प्रसिद्ध ब्रह्मा विष्णु का मंदिर ब्रह्मदेव मंदिर कंचनपुर में स्थित है । ब्रह्मदेव मंदिर कंचनपुर जाने के लिये नदी पर बने बैराज से होकर रास्ता जाता है जिस पर सीमा सुरक्षा बल के जवान तैनात रहते हैं।

दुरूह पैदल मार्ग

नेपाल का कस्बा ब्रह्मदेव जनपद कंचनपुर

मेला कब

पूर्णागिरि की चढाई चढते श्रद्धालु जन
पैदल ट्रैकिंग का अरांभ बिन्दु टुलीगाढ

यह सबसे बड़ा मेला है। यहां विश्वत संक्रांति को मेला आरंभ होकर लभगग चालीस दिन तक चलता है मार्च अप्रैल के मध्य चैत्र मास की नवरात्रि में यहां अपार श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं।

अतिरिक्त

ब्रह्मदेव कस्बे में स्थित ब्रह्मा विष्णु के मंदिर का प्रांगण

पूर्णागिरि मंदिर काली नदी के दांये किनारे पर स्थित है (मैदानी इलाकों में आने पर इसका प्रचलित नाम शारदा नदी है) इस नदी के दूसरी ओर बांऐ किनारे पर नेपाल देश का प्रसिद्ध ब्रह्मा विष्णु का मंदिर ब्रह्मदेव मंदिर कंचनपुर में स्थित है । प्रतिदिन सांयःकालीन आरती का आयोजन होता है। ब्रह्मदेव कस्बे में स्थित ब्रह्मा विष्णु के मंदिर का प्रांगण टनकपुर कस्बे तक का सफर काली नदी के किनारे बने बैराज पर तय करना बहुत मोहक लगा। बैराज के कारण निर्मित जलाशय में पड़ने वाली अस्त होते सूर्य की छटा ने मन मोह लिया।

काली नदी के किनारे बने जलाशय में अस्त होते सूर्य की छटा


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