नलिनी पार्थसारथी
नलिनी पार्थसारथी
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पूरा नाम | डॉ. नलिनी पार्थसारथी |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | चिकित्सा |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री, 2023 |
प्रसिद्धि | हीमोफिलिया से पीड़ित व्यक्तियों के प्रति उनका समर्पण और प्रतिबद्धता। |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | नलिनी पार्थसारथी ने हीमोफिलिया सोसाइटी की स्थापना की। उन्हें मुख्यमंत्री ने जमीन दी और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने भवन निर्माण में मदद की। इससे उन्होंने थट्टानचावडी में हीमोफिलिया स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की। |
अद्यतन | 17:10, 19 जुलाई 2023 (IST)
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नलिनी पार्थसारथी (अंग्रेज़ी: Nalini Parthasarat) भारतीय महिला चिकित्सक हैं। मुख्यत: वह बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में जानी पहचानी जाती हैं। पुदुचेरी की डॉ. नलिनी पार्थसारथी को साल 2023 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया है और इसकी वजह है- हीमोफिलिया से पीड़ित व्यक्तियों के प्रति उनका समर्पण और प्रतिबद्धता। डॉ. नलिनी पार्थसारथी ने न केवल पुदुचेरी में हीमोफिलिया सोसाइटी की स्थापना की, बल्कि 30 सालों से ज्यादा समय से पुदुचेरी और तमिलनाडु के पड़ोसी जिलों में मरीजों की सेवा भी कर रही हैं।
बाल रोग विशेषज्ञ
नलिनी पार्थसारथी का हीमोफिलिया लोगों के लिए काम तब शुरू हुआ, जब वह जिपमर में प्रोफेसर के रूप में और बाद में एचओडी ऑफ पीडियाट्रिक्स के रूप में काम कर रही थीं। जिपमर में 10 साल तक सेवा करने के बाद, उन्होंने केवल हीमोफिलिया के रोगियों पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया और जिपमर से वॉलंटरी रिटायरमेंट ले ली।
हीमोफिलिया सोसाइटी की स्थापना
उन्होंने हीमोफिलिया सोसाइटी की स्थापना की। उन्हें मुख्यमंत्री ने जमीन दी और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने भवन निर्माण में मदद की। इससे उन्होंने थट्टानचावडी में हीमोफिलिया स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की। अब सोसायटी केंद्र में हीमोफीलिया के करीब 300 मरीजों की देखभाल कर रही हैं। वह खुद अपनी कमाई से उनकी जरूरतों को पूरा करने में योगदान दे रही हैं।
क्या है हीमोफिलिया
हीमोफिलियो एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है। इसमें इंसान को चोट लग जाए तो उसका खून बहना बंद नहीं होता है। इसलिए यह बहुत ही खतरनाक है और दु:ख की बात है कि आज तक इस बिमारी का कोई कारगर इलाज नहीं मिला है। हर साल 17 अप्रैल को विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस मनाया जाता है।
हीमोफिलिया से पीड़ित लोगों की दवा बहुत महंगी आती हैं। हर एक दवा की कीमत लगभग 10,000 रुपये है, क्योंकि इन्हें इंपोर्ट करना पड़ता है। ज्यादातक लोग इन्हें खरीद नहीं सकते हैं। लेकिन नलिनी पार्थसारथी का कहना है कि वे भारत की हीमोफिलिया सोसाइटी के माध्यम से दवाएं खरीद रहे हैं और उन्हें जिपमेर और इंदिरा गांधी सरकारी सामान्य अस्पताल सहित कई अस्पतालों में रोगियों को मुफ्त प्रदान कर रहे हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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