गुरु दत्त
गुरु दत्त
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पूरा नाम | वसंथ कुमार शिवशंकर पादुकोण |
प्रसिद्ध नाम | गुरु दत्त |
जन्म | 9 जुलाई 1925 |
जन्म भूमि | बंगलोर, कर्नाटक |
मृत्यु | 10 अक्तूबर 1964 (आत्महत्या) |
मृत्यु स्थान | बंबई, महाराष्ट्र |
पति/पत्नी | गीता दत्त |
कर्म भूमि | मुंबई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेता, निर्माता व निर्देशक |
मुख्य फ़िल्में | प्यासा (1957), काग़ज़ के फूल (1959), साहब, बीबी और ग़ुलाम (1962) और चौदहवीं का चाँद |
प्रसिद्धि | गुरुदत्त अपनी फ़िल्मों में कैमरा और प्रकाश व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध थे। |
नागरिकता | भारतीय |
गुरु दत्त (जन्म-9 जुलाई, 1925 बंगलोर - मृत्यु- 10 अक्तूबर, 1964 बंबई) भारतीय सिनेमा में फ़िल्म निर्माता-निर्देशक और अभिनेता थे। 'गुरु दत्त' का वास्तविक नाम "वसंथ कुमार शिवशंकर पादुकोण" था। गुरुदत्त अपने आपमें एक संपूर्ण कलाकार बनने की पूरी पात्रता रखते थे। वे विश्व स्तरीय फ़िल्म निर्माता और निर्देशक थे। साथ ही में उनकी साहित्यिक रूचि और संगीत की समझ की झलक हमें उनकी सभी फिल्मों में दिखती ही है। वे एक अच्छे नर्तक भी थे, क्योंकि उन्होंने अपने फिल्मी जीवन का आगाज़ किया था प्रभात फिल्म्स में एक कोरिओग्राफर की हैसियत से। अभिनय कभी उनकी पहली पसंद नही रही, मगर उनके सरल, संवेदनशील और नैसर्गिक अभिनय का लोहा सभी मानते थे। उन्होंने प्यासा के लिये पहले दिलीप कुमार का चयन किया था। वे एक रचनात्मक लेखक भी थे, और उन्होंने पहले पहले 'इलस्ट्रेटिड वीकली ऑफ इंडिया' में कहानियां भी लिखी थी।[1]
जीवन परिचय
कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में शिक्षा प्राप्त करने के बाद गुरु दत्त ने अल्मोड़ा स्थित उदय शंकर की नृत्य अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया और उसके बाद कलकत्ता में टेलीफ़ोन ऑपरेटर का काम करने लगे। बाद में वह पुणे (भूतपूर्व पूना) चले गए और प्रभात स्टूडियो से जुड़ गए, जहाँ उन्होंने पहले अभिनेता और फिर नृत्य-निर्देशक के रूप में काम किया। उनकी पहली फ़ीचर फ़िल्म 'बाज़ी' (1951) देवानंद की 'नवकेतन फ़िल्म्स' के बैनर तले बनी थी। इसके बाद उनकी दूसरी सफल फ़िल्म 'जाल' (1952) बनी, जिसमें वही सितारे (देवानंद और गीता बाली) शामिल थे। इसके बाद गुरुदत्त ने 'बाज़' (1953) फ़िल्म के निर्माण के लिए अपनी प्रोडक्शन कंपनी शुरू की। हालांकि उन्होंने अपने संक्षिप्त, किंतु प्रतिभा संपन्न पेशेवर जीवन में कई शैलियों में प्रयोग किया, लेकिन उनकी प्रतिभा का सर्वश्रेष्ठ रूप उत्कट भावुकतापूर्ण फ़िल्मों में प्रदर्शित हुआ।
- प्रसिद्धि का स्रोत
मुख्य रूप से दत्त की प्रसिद्धि का स्रोत बारीकी से गढ़ी गई, उदास व चिंतन भरी उनकी तीन बेहतरीन फ़िल्में हैं- 'प्यासा' (1957), 'काग़ज़ के फूल' (1959) और 'साहब, बीबी और ग़ुलाम' (1962)। हालांकि 'साहब, बीबी और ग़ुलाम' का श्रेय उनके सह पटकथा लेखक अबरार अल्वी को दिया जाता है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से गुरुदत्त की कृति थी। गुरुदत्त ने सी.आई.डी. से वहीदा रहमान का फ़िल्म जगत में परिचय कराया और फिर 'प्यासा' तथा 'काग़ज़ के फूल' जैसी फ़िल्मों से उन्हे कीर्तिस्तंभ की तरह स्थापित कर दिया। प्रकाश और छाया के कल्पनाशील उपयोग, भावपूर्ण दृश्यबिंब, कथा में कई विषय-वस्तुओं की परतें गूंथने की अद्भुत क्षमता और गीतों के मंत्रमुग्धकारी छायांकन ने उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे निपुण शैलीकारों में ला खड़ा किया।
परिवार
गुरु दत्त के पिता का नाम 'श्री शिवशंकर राव पादुकोण' और माता का नाम 'श्रीमती वसंथी पादुकोण' है। गुरु दत्त ने गायिका गीता दत्त से सन 1953 में विवाह किया।
गुरुदत्त की फ़िल्में
वर्ष | फ़िल्म | नायिका | निर्देशक |
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1945 | लाखा रानी | मोनिका देसाई | विश्राम बेड़ेकर |
1953 | बाज़ | गीता बाली | गुरुदत्त |
1954 | आर पार | श्यामा, शकीला | गुरुदत्त |
1955 | मि.एंड मिसेस 55 | मधुबाला | गुरुदत्त |
1957 | प्यासा | मालासिन्हा, वहीदा रहमान | गुरुदत्त |
1958 | बारह बजे | वहीदा रहमान | प्रमोद चक्रवती |
1959 | काग़ज़ के फूल | वहीदा रहमान | गुरुदत्त |
1960 | चौदहवी का चाँद | वहीदा रहमान | एम. सादिक |
1962 | साहिब बीवी और ग़ुलाम | मीना कुमारी, वहीदा रहमान | अबरार अल्वी |
1963 | सौतेला भाई | महेश कौल | |
1963 | बहुरानी | मालासिन्हा | टी. प्रकाश राव |
1963 | भरोसा | आशा पारेख | के.शंकर |
1964 | सांझ और सवेरा | मीना कुमारी | ऋषिकेश मुखर्जी |
1964 | सुहागन | वहीदा रहमान | के.एस. गोपालकृष्णन |
निर्देशक के तौर पर गुरुदत्त | |||
वर्ष | फ़िल्म | नायक | नायिका |
1951 | बाज़ी | देव आनंद | गीता बाली, कल्पना कार्तिक |
1951 | जाल | देव आनंद | गीता बाली, पूर्णिमा |
1956 | सैलाब | अभि भट्टाचार्य | गीता बाली |
निर्माता के तौर पर गुरुदत्त | |||
वर्ष | फ़िल्म | नायक / नायिका | निर्देशक |
1956 | सीआईडी | देव आनंद, शकीला, वहीदा रहमान | राज खोसला |
निधन
शराब की लत से लंबे समय तक जूझने के बाद 1964 में उन्होंने आत्महत्या कर ली और इस प्रकार एक प्रतिभाशाली जीवन का असमय अंत हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ [http://podcast.hindyugm.com/2008/10/remembering-gurudutt-genius-film-maker.html Friday, October 10, 2008 गुरु दत्त , एक अशांत अधूरा कलाकार !] (हिंदी) आवाज। अभिगमन तिथि: 4जुलाई, 2012।
- ↑ आभार- पंजाब केसरी 1 दिसंबर, 2011
बाहरी कड़ियाँ
- गुरु दत्त की आधिकारिक वेबसाइट
- नाटकीय थी गुरुदत्त की आखिरी रात
- मेरे जीवनसाथी/गुरु दत्त-गीता राय
- गुरु दत्त , एक अशांत अधूरा कलाकार
- गुरुदत्त पर एक किताब
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