मुमताज़ महल संग्रहालय
मुमताज महल संग्रहालय भारत की राजधानी दिल्ली के लाल क़िले के एक महल में स्थित है। यह माना जाता है कि यह महल मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी बेगम 'अर्जमंद बानो बेगम', जो 'मुमताज महल' के नाम से प्रसिद्ध है, के लिए बनवाया था।
दीर्घाएँ
इस संग्रहालय में मुग़ल काल से संबंधित वस्तुओं को कथ्यपरक ढंग से छ: दीर्घाओं में प्रदर्शित किया गया है। प्रथम मंजूषाओं में सम्राट अकबर तथा उसके उत्तराधिकारियों से संबंधित वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं, जिनमें लघुचित्र, पाण्डुलिपियाँ, शिलालेख, फ़रमान[1] आदि सम्मिलित हैं। इनमें से एक प्रदर्शन मंजूषा में 17वीं शताब्दी की एक खगोलीय प्रयोगशाला प्रदर्शित है, जिसे खगोलीय गणनाओं, यथा- खगोलीय पिण्डों के बीच की दूरी, दिन तथा रात्रि के समय आदि की गणना के लिए इस्तेमाल किया जाता था। आगे की दीर्घाओं में चीनी मिट्टी, सेलाडान[2] तथा जेड की वस्तुएँ, वस्त्र तथा चमकीली टाइलें आदि हैं। मुग़ल जेड[3] पत्थरों की वस्तुओं में सर्वाधिक विशिष्ट वस्तु तलवारों और छुरों के मूठ हैं, जो सामान्यत: सपाट हैं, परंतु इन्हें सुंदर तरीके से उत्कीर्ण और तैयार किया गया है। परदे, कालीन, तकिए, गद्दियाँ और परिधान भी संग्रहालय में प्रदर्शित हैं।
ऐतिहासिक वस्तुएँ
बहादुरशाह ज़फ़र दीर्घा में अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुरशाह द्वितीय और उसकी रानी की वस्तुएँ, जैसे परिधान, कलमदान, दवात, कैंची, बारूद वाले श्रृंग, गुलाब जल छिड़कने की शीशी, प्रसाधन बक्सा इत्यादि रखी हुई हैं। बहादुरशाह द्वितीय की सुलेख कला के दो नमूने, हाथी दाँत की एक छोटी मूर्ति, जो जीनत महल की मानी जाती है और रंगून की जेल में बहादुरशाह के अन्तिम दिनों का एक छायाचित्र विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण सामान
सन 1857 के युद्ध में पटौदी के तत्कालीन नवाब द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार, बहादुरशाह द्वितीय द्वारा उपयोग किए गए हथियार और दिल्ली की घेराबन्दी के दौरान जनरल जे. निकलसन द्वारा उपयोग किया गया फ़ील्ड ग्लास भी देखे जा सकते हैं। अन्तिम मुग़ल शासकों और उनके समकालीन व्यक्तियों, जैसे- मिर्ज़ा गालिब के चित्र, दिल्ली के दृश्यों को दर्शाने वाले मानचित्र और अश्मलेख, रानी विक्टोरिया को बहादुरशाह द्वारा भेजा गया पत्र, जिस पर उनके पुत्र जवान बख़्त के अंगूठे का निशान है, संग्रहालय में प्रदर्शित कुछ अन्य रोचक वस्तुएँ हैं।
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