वैजयंती माला
वैजयंती माला
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पूरा नाम | वैजयंती माला रमन |
प्रसिद्ध नाम | वैजयंती माला |
जन्म | 13 अगस्त, 1936 |
जन्म भूमि | मद्रास, तमिलनाडु |
पति/पत्नी | चमनलाल बाली |
कर्म भूमि | मुंबई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेत्री, राजनीतज्ञ, भारतीय शास्त्रीय नर्तकी |
मुख्य फ़िल्में | नागिन (1954), देवदास (1955) |
पुरस्कार-उपाधि | पाँच फ़िल्मफेयर पुरस्कार 1956 में सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेत्री, 1958, 1961 व 1964 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और 1996 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड। |
नागरिकता | भारतीय |
गुरु | वझूवूर रामिह पिल्लई |
अन्य जानकारी | वैजयंती माला अभिनय के साथ भरतनाट्यम की भी एक अच्छी नृत्यांगना रही हैं। वैजयंती माला का नृत्य उनके अभिनय के साथ सोने पर सुहागा की तरह लगता था। |
अद्यतन | 15:39, 2 नवम्बर 2011 (IST)
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वैजयंती माला (अंग्रेज़ी:Vyjayanthimala) (जन्म- 13 अगस्त, 1936, मद्रास, तमिलनाडु) दक्षिण सिनेमा से हिन्दी सिनेमा में सबसे पहले सफल होने वाली अभिनेत्री हैं। अपने अभिनय और कला के दम पर वैजयंती माला ने ऐसे मानक स्थापित किए जिस पर चलकर आज की नायिकाएं खुद को सफल बनाने की कोशिश करती हैं। एक शास्त्रीय नृत्यांगना की छवि के साथ वैजयंती माला ने हिन्दी फ़िल्मों में नायिका के नृत्य को अहम बना दिया। वैजयंती माला पहली ऐसी दक्षिण भारतीय अभिनेत्री थीं जिन्होंने हिंदी सिनेमा में ऊँचाइयों को छुआ और पूरे देश में स्टार का दर्जा रखने वाली अभिनेत्री बनीं। दिग्गज सिने अभिनेता दिलीप कुमार के साथ उनकी जोड़ी काफ़ी लोकप्रिय रही थी।[1]
जीवन परिचय
वैजयंती माला का जन्म 13 अगस्त, 1936 को मद्रास, तमिलनाडु के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। ये दक्षिण से आकर बंबई फ़िल्म इंडस्ट्री में भाग्य चमकाने वाली पहली अभिनेत्रियों में ये एक हैं। उनकी माँ वसुंधरा देवी भी तमिल फ़िल्मों की एक प्रमुख नायिका रही हैं। वैजयंती माला का बचपन धार्मिक वातावरण में बीता। उनके पिता का नाम ए. डी. रमन था।
शिक्षा
वैजयंती माला अपनी सफलता का श्रेय अपनी नानी यदुगिरी देवी को देती हैं जिन्होंने उनका पालन पोषण करने के साथ उन्हें नृत्य की शिक्षा भी दिलाई जो बाद में उनके करियर का आधार बना।
पहला स्टेज शो
पाँच साल की उम्र में ही वैजयंती माला ने स्टेज शो किया। इस शो में उन्होंने पारंपरिक भारतीय नृत्य की प्रस्तुति दी थी। वैजयंती माला ने गुरु वझूवूर रमिआह पिल्लै से भरतनाट्यम सीखा था। 13 साल की उम्र से ही उन्होंने स्टेज शो के द्वारा अपने भारतनाट्यम की कला को दिखाना शुरू कर दिया था।
सफलता
दक्षिण सिनेमा से हिन्दी सिनेमा में सबसे पहले सफल होने वाली अभिनेत्रियों में वैजयंती माला का नाम सबसे ऊपर आता है। अपने अभिनय और कला के दम पर वैजयंती माला ने ऐसे मानक स्थापित किए जिस पर चलकर आज की नायिकाएँ खुद को सफल बनाने की कोशिश करती हैं। एक क्लासिकल डांसर की छवि के साथ वैजयंती माला ने हिन्दी फ़िल्मों में नायिका के नृत्य को अहम बना दिया।
फ़िल्मी सफर
1949 में साउथ की फ़िल्म 'वाझकई' से अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत की। यह फ़िल्म एक हिट फ़िल्म साबित हुई। इस फ़िल्म का तमिल संस्करण भी एक हिट फ़िल्म साबित हुआ, जिसमें वैजयंती माला ने ही काम किया था। वैजयंती माला ने 'संगम', 'साधना', 'सूरज', 'प्रिंस', 'मधुमती', 'गंगा जमुना', 'आम्रपाली जैसी हिट फ़िल्मों में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया। 'मधुमती' और 'गंगा जमुना' जैसी फ़िल्मों में मुख्य रोल से हटकर निभाए गए उनके किरदारों को हर तरफ से सराहना मिली।
पहली हिंदी फ़िल्म
1951 में वाझकई के हिन्दी संस्करण 'बहार' के साथ वैजयंती माला ने हिन्दी फ़िल्मों में अपने कॅरियर की शुरुआत की। हिन्दी में भी यह फ़िल्म सुपरहिट साबित हुई। वैजयंती माला पहली ऐसी दक्षिण की हिरोइन थीं जिन्हें अपने डायलॉग डब नहीं करने पड़े थे। उन्होंने हिन्दी में डायलॉग बोलने के लिए हिन्दी भी सीखी थी। 1954 में फ़िल्म 'नागिन' उनकी पहली सफल फ़िल्म थी। इसके बाद 1955 में देवदास में उन्होंने चंद्रमुखी के किरदार को कालजयी बना दिया। इस फ़िल्म में वैजयंती माला के अभिनय को बहुत सराहना मिली और उन्हें पहला फ़िल्मफेयर अवार्ड भी मिला। फ़िल्म 'नया दौर' में दिलीप कुमार के साथ उनकी जोड़ी को दर्शकों ने खूब सराहा। 'नया दौर' बॉलीवुड की सबसे सफल और बेहतरीन फ़िल्मों में से एक मानी जाती है। वैजयंती माला और दिलीप कुमार की जोड़ी को दर्शकों ने एक समय बहुत पसंद किया था। वैजयंती माला ने दिलीप कुमार के साथ 'मधुमती', 'नया दौर', ‘पैग़ाम', 'लीडर' और 'संघर्ष' जैसी हिट फ़िल्में कीं।
नृत्यांगना
वैजयंती माला अभिनय के साथ भरतनाट्यम की भी एक अच्छी नृत्यांगना रही हैं। वैजयंती माला का नृत्य उनके अभिनय के साथ सोने पर सुहागा की तरह लगता था। वेस्टर्न के साथ क्लासिकल डांस को मिलाकर वैजयंती माला ने नृत्य की अनोखी कला इजाद की थी।
सम्मान और पुरस्कार
- 1956 में फ़िल्म 'देवदास' के लिए पहली बार वैजयंती माला को सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेत्री का फ़िल्मफेयर पुरस्कार।
- 1958 में फ़िल्म 'मधुमती' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फ़िल्मफेयर अवार्ड।
- 1961 में फ़िल्म 'गंगा-जमुना' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फ़िल्मफेयर अवार्ड।
- 1964 में फ़िल्म 'संगम' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फ़िल्मफेयर अवार्ड।
- 1996 में फ़िल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड।
राजनीति में प्रवेश
फ़िल्मों में काम करने के बाद वैजयंती माला सक्रिय रुप से राजनीति में कार्यरत हैं। वैजयंती माला राजनीति से जुड़ी और 1984 में संसद सदस्य बनीं। आज वैजयंती माला चेन्नई की सबसे ताकतवर राजनीतिक शख़्सियतों में से एक हैं। इस समय वह भारतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं।[2]
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वीथिका
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भरतनाट्यम करती वैजयंती माला
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फ़िल्मफेयर पुरस्कार के साथ वैजयंती माला, मुम्बई
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नृत्य करती वैजयंती माला
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राज कपूर और राजेंद्र कुमार के साथ वैजयंती माला
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हेमा मालिनी के साथ वैजयंती माला
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ दिल की बात है 'बॉन्डिंग' (हिंदी) बी.बी.सी. हिंदी। अभिगमन तिथि: 25 अक्टूबर, 2011।
- ↑ दक्षिण की सुंदरी वैजयंती माला (हिंदी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 25 अक्टूबर, 2011।
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