गोली मार
टरक को यार
अब तो रात होने को है
ठण्ड भी कैसी है
कमबखत
वो सामने देखते हो लेबर केम्प
सोलर जल रहा जहाँ
मेटनी के तम्बू में
चल दो घूँट लगाते हैं
जीरे के तड़के वाली
फ्राईड मोमो के साथ
गरमा जएगा जिसम
गला भी हो जाएगा तर
माँग पत्ता हो जाए दो हाथ
सुबह तक पटा ही लेंगे कोई उस्ताद
हज़ार पाँच सौ में
खुश हो जाएगी घरवाली !
1986