पानी बुरे वक़्त में जम जाती है कविता भीतर मानो पानी का नल जम गया हो चुभते हैं बरफ के महीन क्रिस्टल छाती में कुछ अलग रह का होता है दर्द कविता के भीतर जम जाने का पहचान में नहीं आता मर्ज़ न मिलती है कोई चाबी ‘स्विच ऑफ’ रहता है अक्सर सेलफोन फिटर का .
अशोक चक्रधर · आलोक धन्वा · अनिल जनविजय · उदय प्रकाश · कन्हैयालाल नंदन · कमलेश भट्ट कमल · गोपालदास नीरज · राजेश जोशी · मणि मधुकर · शरद जोशी · प्रसून जोशी · कुमार विश्वास · डॉ. तुलसीराम · रमाशंकर यादव 'विद्रोही' · बागेश्री चक्रधर