सी. पी. ठाकुर

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चंद्रेश्वर प्रसाद ठाकुर (अंग्रेज़ी: Chandreshwar Prasad Thakur, जन्म- 3 सितंबर, 1931) प्रख्यात चिकित्सक, एक सफल राजनीतिज्ञ, भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री तथा भूतपूर्व राज्य सभा सांसद हैं। अपनी शिक्षा के अंतर्गत एम. डी डिग्री हासिल करने के बाद सी. पी. ठाकुर ने एम.आर.सी.पी, एफ.आर.सी.पी की और कालाजार जैसी घातक बीमारी के उपचार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनके इस उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें विश्वभर में पहचान मिली। विश्व स्वास्थ संगठन ने उन्हें 'लाइफ़-टाइम अचीवमेंट' अवार्ड से सम्मनित किया। सी. पी. ठाकुर को वर्ष 2024 में भारत सरकार ने 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया।

परिचय

सी. पी. ठाकुर का जन्म 3 सितम्बर, 1931 को दुबाह नामक गाँव में ज़िला मुज्जफरपुर, बिहार में हुआ था। पटना मेडिकल कौलेज से एम.बी.बी.एस, तदुपरांत एम.डी की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने एम.आर.सी.पी, एफ.आर.सी.पी की और कालाजार जैसी घातक बीमारी के उपचार में लग गये। उनके इस उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें विश्वभर में पहचान मिली। कई दशक पहले तक लाइलाज बीमारी कालाजार पर महत्वपूर्ण शोध करने के कारण डॉक्टर सी. पी. ठाकुर को देश-विदेश में भी जाना जाता है। यह सर्वविदित है कि चिकित्सकीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने के कारण ही भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी उन्हें राजनीति में लेकर आए और वे पटना संसदीय क्षेत्र से सांसद बने। कालांतर में सी. पी. ठाकुर भाजपा में आ गए और एनडीए की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी बने।

सी. पी. ठाकुर ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई खत्म करने के बाद मेडिकल की बजाय इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया था। थोड़े समय बाद ही उन्हें एहसास हुआ कि इंजीनियरिंग उनके लिए उपयुक्त नहीं है। फिर उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। यहां उन्होंने जी तोड़ मेहनत की और कॉलेज में एक दिन भी अनुपस्थित नहीं रहे। कक्षा में शिक्षक जो कुछ भी पढ़ाते, उनके प्रत्येक शब्द को आत्मसात करते जाते। मेडिकल की पढ़ाई के दौरान उन्होंने न सिर्फ छात्रवृत्ति हासिल की, बल्कि एमबीबीएस में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। अपनी प्रतिभा के बल पर पढ़ाई के दौरान कई स्वर्ण पदक भी हासिल किए और अपने बैच 1957 के सर्वोत्कृष्ट छात्र चुने गए।[1]

राजनीति

डॉ. सी. पी. ठाकुर को राजनीति में राजीव गांधी ले आए और चुनाव लड़ने को कहा। सन 1984 में कांग्रेस सहानुभूति की लहर पर सवार थी। तब कुछ वोट के ठेकेदार पैसा मांगने उनके पास पहुंचे, लेकिन उन्होंने नकार दिया। किराए पर छ: कार लीं और प्रचार में जुट गए। तब चुनाव के रिटर्निंग अफसर आर.के. सिंह थे। वोटों की गिनती शुरू हुई तो दियारा क्षेत्र में 5000 से आगे रहने के बावजूद रामअवतार शास्त्री ने उन्हें जीत की माला पहना दी थी और कहा- "मेरे गढ़ में इतने कम वोटों से पीछे हैं तो अन्य क्षेत्रों में बढ़त बना लेंगे"। राजीव गांधी की जिस दिन हत्या हुई उसके एक दिन पहले वह पटना में डॉ. सी. पी. ठाकुर के साथ थे।[2]

उपलब्धियाँ

  • सी. पी. ठाकुर 1984 में वे 8वीं लोक सभा में सांसद चुने गए।
  • 1990-1993 तक वे कालाज़ार के निवारण के लिए बनी विभिन्न समितियों के सदस्य तथा अध्यक्ष रहे।
  • 1998, 1999 में फिर 12वीं तथा 13वीं लोक सभा के लिए चुने गए और केंद्र में जल संसाधन मंत्री, तत्पश्चात् स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और फिर लघु उद्योग तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों के विकास मंत्री बनाए गए।
  • 2008 में राज्य सभा के लिए चुने गए और महिला सशक्तिकरण, संचार तकनीकी आदि विभिन्न समितियों के सक्रिय सदस्य रहे।
  • जनवरी 2016 में उन्हें स्काऊट्स एंड गाईड्स संगठन का अध्यक्ष बनाया गया तथा मार्च 2019 में वे दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के 'चांसलर' बनाए गए।
  • सी. पी. ठाकुर ने 'डायीनेमिक्स औफ़ डिवेलप्मेंट', 'इण्डिया अंडर ए.बी.वाजपेयी', टेक्स्टबुक औफ़ मेडिसिन जैसी कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं तथा सम्पादित कीं।

सम्मान व पुरस्कार


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. डॉक्टर से केंद्रीय मंत्री बनने की यात्रा, जानें सीपी ठाकुर का राजनीतिक सफर (हिंदी) hindi.news18.com। अभिगमन तिथि: 10 फ़रवरीaccessyear=2024, {{{accessyear}}}।
  2. सीपी ठाकुर की जीवनी में खुलासा (हिंदी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 10 फ़रवरीaccessyear=2024, {{{accessyear}}}।

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