सतगुर मिल्या त का भया -कबीर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
| ||||||||||||||||||||
|
सतगुर मिल्या त का भया, जे मनि पाड़ी भोल। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि सद्गुरु मिलने पर भी यह आवश्यक है कि साधना द्वारा मन को निम्रल किया जाय अन्यथा गुरु मिलन का संयोग भी व्यर्थ चला जाता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख