तूँ तूँ करता तू भया -कबीर
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तूँ तूँ करता तू भया, मुझ मैं रही न हूँ। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि मुझमें अहंभाव समाप्त हो गया। मैं पूर्ण रूप से तेरे ऊपर न्यौछावर हो गया हूँ और अब जिधर देखता हूँ, उधर तू ही तू दिखलाई देता है अर्थात् सारा जगत् ब्रह्ममय हो गया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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