केसौ कहि कहि कूकिए -कबीर
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केसौ कहि कहि कूकिए, नाँ सोइय असरार। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि प्रभु को निरन्तर आर्त्त स्वर से पुकारते रहो। घोर निद्रा में न पड़े रहो। दिन-रात की पुकार से, सम्भव है, कभी सुनवाई हो जाय और तुम्हारी पुकार लग जाये।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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