जाके हिरदै हरि बसै -कबीर
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जाके हिरदै हरि बसै, सो नर कलपै काँइ। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! जिसके हृदय में प्रभु का निवास है, वह और किसके लिए कल्पित है ? भगवान के अनुग्रह रूपी समुद्र की एक लहर मात्र से उसके सभी दु:ख और दारिद्रय नष्ट हो जाते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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