मुबारक बेगम का परिचय
मुबारक बेगम का परिचय
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पूरा नाम | मुबारक बेगम |
जन्म | 1935/1936 |
जन्म भूमि | झुंझुनू, राजस्थान |
मृत्यु | 18 जुलाई, 2016 |
मृत्यु स्थान | जोगेश्वरी, महाराष्ट्र |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | गायन |
मुख्य फ़िल्में | 'मोहे आने लगी अंगड़ाई' ('आइए'), ‘हाले दिल सुनाइए' ('मधुमति') |
प्रसिद्धि | गायिका |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | मुबारक बेगम जब पहली बार रफ़ीक ग़ज़नवी की फ़िल्म के गाने की रिकॉर्डिंग के लिए स्टुडिओ पहुँची तो वहाँ लोगों की भीड़ देखकर घबरा गईं। कुछ वर्षों बाद 1949 में उन्हें फिर अवसर मिला फ़िल्म 'आइए' के लिए। |
अद्यतन | 15:17, 21 जून 2017 (IST)
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50 से 70 के दशक की मशहूर पार्श्वगायिका मुबारक बेगम ने कई हिट गाने दिये। उन्होंने कई बड़े गायक और संगीतकारों के साथ काम किया था। उन्होंने रेडियो से अपने कॅरियर की शुरुआत की थी और जल्द ही उन्हें फ़िल्मों में गाने का मौका मिला और उन्होंने हिन्दी सिनेमा में अपनी पहचान बना ली।
परिचय
हिन्दी सिनेमा की मशहूर पार्श्व गायिका मुबारक बेगम का जन्म 1935/1936 को राजस्थान के झुंझुनू में हुआ था। उनका पालन पोषण गुजरात के अहमदाबाद में हुआ। इसके बाद उनका पूरा परिवार मुम्बई आ गया। मुम्बई आकर उन्होंने बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई।
शुरुआती कॅरियर
मुबारक बेगम ने अपने कॅरियर की शुरुआत रेडियो से की थी। एक बार मशहूर संगीतकार रफ़ीक ग़ज़नवी ने रेडियो पर उनकी आवाज़ सुनी और उन्होंने अपनी फ़िल्म में उन्हें गाने का अवसर दिया। दुर्भाग्य से जब गाने के लिए मुबारक बेगम आईं तो स्टुडिओ में लोगों की भीड़ देखकर घबरा गईं। मौका ऐसे ही हाथ से चला गया। कुछ वर्षों बाद 1949 में उन्हें फिर अवसर आया फ़िल्म 'आइए' के लिए। इस बार बड़े आत्मविश्वास के साथ उन्होंने गाना गाया। गाने के बोल थे 'मोहे आने लगी अंगड़ाई। इसके बाद उन्हें लगातार काम मिलता रहा। सुनील दत्त, नरगिस और राजेन्द्र कुमार से उनके बहुत अच्छे रिश्ते रहे।[1]
व्यक्तिगत जीवन
नामचीन अभिनेत्रियों को सुर देने वाली मुबारक बेगम बड़े-बड़े म्यूजिक डायरेक्टरों से लेकर मोहम्मद रफी तक के साथ काम कर चुकी हैं। उम्र के अंतिम पड़ाव पर उन्हें ग़म था कि जिस फ़िल्मी दुनिया को उन्होंने अपनी जिंदगी के कीमती 40 साल दिए इस समय उसे उनकी कतई फ़िक्र नहीं है। मुबारक बेगम की असल नाराज़गी सरकार से थी, जो महज डेढ़ हज़ार रुपए महीने की पेंशन देकर अपना पल्लू झाड़ रही थी, जबकि उनको पर्किंसन रोग पीड़ित 40 साल की बेटी पर हर महीने क़रीब 5 से 6 हज़ार रुपए ख़र्च करने होते थे। बेटा टैक्सियां चलाकर जैसे-तैसे घर का ख़र्च जुटाता है। बेगम की दूसरी शिकायत उस फ़िल्म इंडस्ट्री से थी, जिसके पास उनकी खैर-ख़बर लेने तक की फुरसत नहीं थी।
दरअसल अपनी आवाज़ से दिलों पर राज करने वाली मुबारक बेगम मुंबई के जोगेश्वरी इलाके में महाडा के 450 वर्ग फ़ीट के छोटे से घर में बसर करती थीं। घर चलाने के लिए उन्होंने गायकी में कदम रखा और वही गायकी इतना भी न दे सकी कि उनका घर चल सके। मुबारक बेगम का कहना था कि ‘मैंने गायकी अपने घर को चलाने के लिए की। मेरे पिता फलों के व्यापारी थे और अहमदाबाद से मुंबई वह पूरे परिवार के साथ इसलिए आए ताकि मेरे गानों के जरिए मैं पैसे कमाकर घर चला सकूं। कॅरियर में असफल होने के बाद हालत ये थी कि कई बार घर का बिजली बिल भरने तक के लिए हाथ तंग हो जाता था। लेकिन खुद्दारी उन्हें किसी के आगे झुकने नहीं देती।
निधन
अपने समय में लाखों दिलों पर राज करने वाली पार्श्व गायिका मुबारक बेगम का लंबी बीमारी के बाद 18 जुलाई, 2016 80 वर्ष की उम्र में मुंबई के जोगेश्वरी स्थित अपने घर में निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 60 के दशक की मशहूर गायिका मुबारक बेगम गुमनामी में (हिंदी) hindi.news18.com। अभिगमन तिथि: 21 जून, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
कभी तन्हाईयों में हमारी याद आयेगी गाने वाली मुबारक बेगम नें दुनिया को कहा अलविदा
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