विजया वाहिनी स्टूडियो
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विजया वाहिनी स्टूडियो (अंग्रेज़ी: Vijaya Vauhini Studios) चेन्नई (भूतपूर्व मद्रास) में स्थित है। यह स्टूडियो हिंदी फ़िल्म निर्माण के इतिहास में महत्वपूर्ण है। इस फ़िल्म निर्माण संस्था को मूला नारायण स्वामी और बी. एन. रेड्डी ने मिलकर सन 1948 में स्थापित किया था।[1]
- यहाँ से दक्षिण भारत के दिग्गज फ़िल्म निर्देशकों के निर्देशन में बहुत ही सुंदर मनोरंजक और संदेशात्मक फ़िल्में तेलुगु, तमिल और हिंदी में बनी हैं।
- तेलुगु की कालजयी, सार्वकालिक लोकप्रिय पौराणिक फ़िल्म 'माया बज़ार' इसी विजया निर्माण संस्था की ही निर्मिति है।
- यह स्टूडियो बहुमंज़िला है, जहाँ ऐतिहासिक और पौराणिक फ़िल्मों के निर्माण के लिए विशेष सेट और अन्य सुविधाओं की स्थायी व्यवस्था है।
- इस निर्माण संस्था द्वारा निर्मित हिंदी फ़िल्मों में प्रमुख हैं-
फ़िल्म | वर्ष |
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'राम और श्याम' | 1967 (दिलीप कुमार) |
'नन्हा फरिश्ता' | 1969 |
'घर घर की कहानी' | 1971 |
'जूली' | 1975 |
'यही है जिंदगी' | 1978 |
'स्वर्ग नरक' | 1978 |
'स्वयंवर' | 1980 |
'श्रीमान श्रीमती' | 1982 |
सन 1980 से यह स्टूडियो बंद पड़ा है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी सिनेमा के विकास में फ़िल्म निर्माण संस्थाओं की भूमिका (हिंदी) sahityakunj.net। अभिगमन तिथि: 05 जुलाई, 2017।