अनामी भाषा
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
अनामी द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व हिन्द चीन के पाँच प्रांतों- 'लाओस', 'कंबोडिया', 'अनाम', 'कोचीन चीन' तथा 'टोंटिंग' में से एक प्रांत अनाम की भाषा है। अब यह प्रांत नहीं रह गया है, किंतु भाषा है। इसे बोलने वालों की संख्या अनुमानत: एक करोड़ से कम है।[1]
- यह चीनी भाषा परिवार की तिब्बती-बर्मी वर्ग की पूर्वी शाखा (अनामी-मुआंग) की एक भाषा है।
- अनामी भाषा के बोलने वाले कंबोडिया, स्याम और बर्मा तक पाए जाते हैं। इसकी प्रमुख बोली 'टोंकिनी' है।
- पिछले तीस वर्षो के युद्ध के कारण इसकी जनसंख्या एवं शब्द भण्डार में कल्पनातीत परिवर्तन हो गया है।
- चीनी भाषा की भाँति अनामी भी एकाक्षर (चित्रलिपि), अयोगात्मक और वाक्य में स्थान प्रधान है।
- अर्थप्रेषण के लिए लगभग इसमें छ: सुरों का प्रयोग होता है। इसमें ऋण चीनी शब्दों की संख्या सर्वाधिक है।
- चीनी की भाँति अनामी भाषा ने भी रोमन लिपि को अपना लिया है।
|
|
|
|
|