सुरेश वाडेकर
सुरेश वाडेकर
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पूरा नाम | सुरेश वाडेकर |
जन्म | 7 अगस्त, 1955 |
जन्म भूमि | कोल्हापुर, महाराष्ट्र |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | पार्श्वगायन |
मुख्य फ़िल्में | 'ओंकारा', 'प्रेमरोग', 'राम तेरी गंगा मैली', 'हिना', 'रंगीला', 'माचिस' आदि। |
पुरस्कार-उपाधि | 'पद्मश्री' (2020), राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान (2011) |
प्रसिद्धि | पार्श्वगायन |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | महज 10 साल की आयु से ही सुरेश वाडेकर ने संगीत की शिक्षा लेना शुरू कर दिया। उन्होंने ना सिर्फ हिंदी, बल्कि मराठी के साथ कई भाषाओं की फिल्मों में गया है। |
अद्यतन | 15:15, 24 मार्च 2021 (IST)
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सुरेश वाडेकर (अंग्रेज़ी: Suresh Wadkar, जन्म- 7 अगस्त, 1955, कोल्हापुर, महाराष्ट्र) ख्यातिप्राप्त भारतीय गायक हैं। वह भारतीय सिनेमा के शुरुआती गायकों में गिने जाते हैं। सुरेश वाडेकर ने आठ साल की उम्र से ही संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। उन्होंने जिन महत्वपूर्ण फिल्मों में अपनी आवाज दी है, उनमें 'ओंकारा', 'प्रेमरोग', 'राम तेरी गंगा मैली', 'हिना', 'रंगीला', 'माचिस' आदि शामिल हैं। सुरेश वाडेकर मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों के गायक हैं। उन्होंने बहुत-से हिट गानों में अपनी आवाज़ दी है। हिंदी के अलावा उन्होंने भोजपुरी, मराठी और कोंकणी भाषा में भी बहुत गाने गाये हैं। सुरेश वाडकर के गाने की सूची में धार्मिक और उड़िया गाने भी शामिल हैं।
परिचय
सुरेश वाडेकर का जन्म 7 अगस्त, 1955 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। उन्हें बचपन से ही गायकी का शौक था। उनके पिता ने उनका नाम सुरेश इसलिए रखा, ताकि वह अपने बेटे को बड़ा गायक बनता देख सकें। सुरेश वाडेकर ने कोशिश जारी रखी और आखिरकार उन्होंने अपने पिता का सपना पूरा किया।
कॅरियर
महज 10 साल की आयु से ही सुरेश वाडेकर ने संगीत की शिक्षा लेना शुरू कर दिया। उन्होंने ना सिर्फ हिंदी, बल्कि मराठी के साथ कई भाषाओं की फिल्मों में गया है। इसके साथ उन्होंने कई भजनों के लिए भी अपनी आवाज दी है। रवींद्र जैन ने 'राजश्री प्रोडक्शन' की फिल्म 'पहेली' में पहला फिल्मी गीत 'वृष्टि पड़े टाकुर टुकुर' गवाया था और जयदेव ने उनसे फिल्म 'गमन' का 'सीने में जलन' गाने का मौका दिया, जिसके बाद सभी उन्हें एक प्रतिभाशाली गायक की दृष्टि से देखने लगे।
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने सुरेश वाडेकर को 1981 की फिल्म 'क्रोधी' में 'चल चमेली बाग में' वाले गाने को लता मंगेशकर के साथ गाने का मौका दिया था। उन्होंने फिल्म 'प्यासा सावन' का मशहूर गीत 'मेघा रे मेघा रे' जैसे खूबसूरत सुपरहिट गाने लता जी के साथ गाये। इसमें उन्होंने 'मेरी किस्मत में तू नहीं शायद', 'मैं हूं प्रेम रोगी' जैसे मधुर गीत गाए। इसके बाद वह इतने प्रसिद्ध हुए कि अब वह घर-घर पहचाने जाने लगे।
गुलज़ार और लता मंगेशकर, सुरेश वाडेकर से बहुत अधिक प्रभावित थे। उन्होंने लंबे समय के बाद अपनी फिल्म 'माचिस' में उनसे 'छोड़ आए हम' और 'चप्पा चप्पा चरखा चले' जैसे गीत गवाए। विशाल भारद्वाज के साथ सुरेश वाडेकर ने फिल्म 'सत्या' और 'ओमकारा' में कुछ बेहद अनोखे गाने गाए। सुरेश वाडेकर ने हिंदी और मराठी गानों के अलावा कुछ गाने भोजपुरी और कोंकणी भाषा में भी गाए हैं। उन्होंने अलग-अलग भाषाओं में कई भक्ति गीत गाए।
संगीत अकादमी
मुंबई और न्यूयॉर्क में सुरेश वाडेकर का अपना संगीत स्कूल है, जहां वह संगीत के विद्यार्थियों को संगीत की शिक्षा देते हैं। उन्होंने संगीत की दुनिया में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। उन्होंने 'सुरेश वाडेकर अजिवासन संगीत अकादमी' नामक पहला ऑनलाइन संगीत स्कूल खोला है, जिसके माध्यम से वह नए संगीत महत्वाकांक्षी छात्रों को अपना संगीत ज्ञान और अनुभव देते हैं।
माधुरी दीक्षित सेे विवाह प्रसंग
उन दिनों गायक सुरेश वाडेकर का बोलबाला था। मराठी परिवारों में उनकी अच्छी धाक थी। माधुरी दीक्षित को भी वह बहुत पसंद थे। उन दिनों माधुरी का संगीत और नृत्य में रुझान देखकर उनके एक पारिवारिक मित्र ने उन्हें सलाह दी कि सुरेश वाडकर के लिए लड़की देखी जा रही है और माधुरी उनके लिए परफेक्ट रहेगी। माधुरी के परिवार वालों को भी यह रिश्ता जंच गया। जब रिश्ते की बात करने परिवार के सदस्य सुरेश वाडकर के घर गए तो सुरेश ने एक बार माधुरी से मिलने की इच्छा जताई। माधुरी को देखने के बाद वाडेकर परिवार ने यह कहकर रिजेक्ट कर दिया कि लड़की बहुत दुबली पतली है।
सम्मान और पुरस्कार
वर्ष 2007 में महाराष्ट्र सरकार ने सुरेश वाडेकर को 'महाराष्ट्र प्राइड अवार्ड' से सम्मानित किया था और साल 2011 में उन्हें मराठी फिल्म 'ई एम सिंधुताई सपकल' के लिए सर्वश्रेष्ठ गायक का 'राष्ट्रीय पुरस्कार' मिला। मध्य प्रदेश में उन्हें प्रतिष्ठित 'राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान' से भी सम्मानित किया गया था। सुरेश वाडेकर को 2020 में ‘पद्मश्री' से भी नवाजा गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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