सतीश कौशिक
सतीश कौशिक (अंग्रेज़ी: Satish Kaushik, जन्म- 13 अप्रॅल, 1956; मृत्यु- 9 मार्च, 2023) हिन्दी फिल्म जगत में 'कैलेंडर' के नाम से मशहूर अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, कॉमेडियन और पटकथा लेखक थे। उनका नाम बॉलीवुड सिनेमा का एक ऐसा नाम है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। अभिनय से लेकर निर्माता-निर्देशक तक उन्होंने अपने काम से खूब वाहवाही लूटी। उस दौर में हरियाणा में हिंदी फिल्मों को इतना क्रेज भी नहीं था। बॉलीवुड में अपना कॅरियर चुनना बहुत बड़ी चुनौती थी। लेकिन फिर भी इस चुनौती को स्वीकार करते हुए सतीश कौशिक ने बॉलीवुड में अपना लोहा मनवाया। महेंद्रगढ़ जिले के गांव धनौंदा में जन्मे सतीश कौशिक अपनी सफलता की वजह से हमेशा सुर्खियों में बने रहे।
परिचय
सतीश कौशिक का जन्म 13 अप्रैल, 1956 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में हुआ था। उनके पिता बनवारीलाल कौशिक हैरिसन ताला कंपनी में बतौर सेल्समैन काम करते थे। हरियाणा के एक छोटे से गांव में जन्मे सतीश कौशिक हमेशा अपनी माटी और प्रदेश से जुड़े रहे। वो हरियाणा में फिल्म कलाकारों की प्रतिभा निखारने के लिए हमेशा काम करते रहे। हरियाणा सरकार ने उन्हें 'हरियाणा फिल्म प्रमोशन बोर्ड' का चेयरमैन भी बनाया था। उन्होंने कई बार हरियाणा में एक फिल्म सिटी बनाने की इच्छा जाहिर की।
रंगमंच कलाकार
बॉलीवुड में कॅरियर शुरू करने से पहले सतीश कौशिक ने रंगमंच में काम किया। हर कोई उनके अभिनय का दीवाना था। उन्हें 1987 में आई फिल्म 'मिस्टर इंडिया' के कैलेंडर से फिल्म अभिनेता के रूप में पहचान मिली थी। उनके इस किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया था। इसके बाद उन्होंने कई मजेदार रोल प्ले कर दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम किया। उन्होंने 1997 में 'दीवाना मस्ताना' में पप्पू पेजर का किरदार निभाया था। उन्हें फिल्म 'राम-लखन' और 'साजन चले ससुराल' के लिए दो बार बेस्ट कॉमेडियन के फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।[1]
अभिनय का शौक
नौकरी की वजह से सतीश कौशिक के पिता को दिल्ली शिफ्ट होना पड़ा था। जिसके बाद उनकी परवरिश और पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में ही हुई। बचपन से ही सतीश कौशिक को फिल्में देखने का काफी शौक था। महमूद उनके फेवरेट एक्टर थे। कहा जाता है कि महमूद के सीन को वह घर पर ही प्रैक्टिस किया करते थे। दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा' में एडमिशन ले लिया। इसके बाद उन्होंने 'फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' से भी एक्टिंग का कोर्स किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह अपने सपने को सच करने के लिए मायानगरी मुंबई जा पहुंचे।
100 से ज्यादा फ़िल्में
सतीश कौशिक की पहली बॉलीवुड फिल्म 'मासूम' थी। उन्होंने बॉलीवुड में अपने कॅरियर की शुरुआत एक्टिंग के साथ असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में की। फिल्म 'मासूम' में उन्होंने शेखर कपूर को असिस्ट किया था। इसी के साथ उन्होंने एक छोटा सा रोल भी प्ले किया था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा। क्लासिक कॉमेडी फिल्म 'जाने भी यारो' में सतीश कौशिक ने अभिनय के साथ डायलॉग भी लिखे। सतीश कौशिक ने 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उन्होंने कईं फिल्मों का निर्देशन भी किया। 'रूप की रानी चोरों का राजा' बतौर डायरेक्टर उनकी पहली फिल्म थी। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हुई थी। कई फिल्मों के निर्देशन के बाद उन्हें फिल्म 'तेरे नाम' में सफलता मिली। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर आग लगा दी। [[सलमान ख़ान' इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थे।[1]
बेटे की मौत
अपने छोटे-बड़े हर किरदार में लोगों को हंसाने वाले सतीश कौशिक की जिंदगी में एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने इस एक्टर को तोड़कर रख दिया। बात 1990 के दशक की है, जब सतीश कौशिक के बेटे सानू ने महज दो वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। बेटे के निधन का सतीश कौशिक को गहरा सदमा लगा। वह लोगों के संपर्क से दूर हो गए थे। एक वक्त ऐसा आया, जब वह अकेले रहने लगे। हालांकि उन्होंने इस हादसे से खुद को बाहर निकालने की पूरी कोशिश की, इसके लिए वह खुद को व्यस्त रखने लगे थे। इस पहाड़ जैसे गम से उबरने में उन्हें वर्षों लगे। करीब 16 साल बाद वर्ष 2012 में सतीश कौशिक के घर उनकी बेटी वंशिका का सेरोगेसी से जन्म हुआ। बेटी के जन्म पर सतीश कौशिक ने अपनी खुशखबरी साझा करते हुए कहा था, "हमारी बेटी का जन्म एक बच्चे के लिए हमारे लंबे और दर्दनाक इंतजार का अंत है"।
बेहतरीन इंसान
सतीश कौशिक जितने शानदार कलाकार थे, उतने ही बेहतरीन इंसान भी रहे। वह हमेशा से अपने दोस्तों के लिए खड़े रहे। यही वजह थी कि उन्होंने अपनी सबसे अच्छी दोस्त नीना गुप्ता का उनके सबसे बुरे वक्त में साथ दिया था। सतीश कौशिक ने नीना गुप्ता को विवाह करने के लिए प्रपोज किया था। यह बात उस समय की है, जब नीना गुप्ता बेटी मसाबा को लेकर गर्भवती थीं और वह अपने बुरे वक्त से लड़ रही थीं। इस बात का जिक्र नीना गुप्ता ने अपनी बायोग्राफी 'सच कहूं तो' में किया है।[1]
मृत्यु
अभिनेता व फ़िल्म निर्माता-निर्देशक सतीश कौशिक की मृत्यु 9 मार्च, 2023 को गुरुग्राम, हरियाणा में हुई। सतीश कौशिक के दोस्त प्रतीक आनंद ने बताया कि सतीश कौशिक दिल्ली में होली खेलने के लिए आए थे। रात तक उनकी हालत ठीक थी। देर रात अचानक उनकी छाती में दर्द महसूस हुआ, जिसके बाद उन्हें फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया। वहीं अस्पताल के गेट पर ही उनका निधन हो गया।
सतीश कौशिक के शव का पोस्टमार्टम करीब एक घंटे तक चला। सुबह करीब 11:00 बजे पोस्टमार्टम शुरू हुआ था। बताया गया कि उनके शरीर में किसी भी प्रकार की कोई चोट के निशान नहीं थे। साथ ही कहा ये भी गया कि उन्होंने शराब भी नहीं पी थी। उनके पार्थिव शरीर को एयरलिफ्ट कर मुंबई ले जाया गया। सतीश कौशिक के मैनेजर ने कहा था कि बुधवार सुबह 10:00 बजे होली मनाने के लिए सतीश कौशिक दिल्ली के द्वारका सेक्टर 23 पुष्पांजलि में आए थे। होली सेलिब्रेशन के बाद वह पुष्पांजलि में ही रुके थे। रात करीब 12:10 पर उन्होंने अपने मैनेजर को बुलाया और बताया कि उन्हें छाती में दर्द हो रहा है। वह तुरंत उन्हें फोर्टिस अस्पताल ले गए, जहां गेट पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया। इसके बाद परिजनों ने कापसहेड़ा थाने की पुलिस को सूचना दी। पुलिस उनके शव को डीडीयू अस्पताल में लेकर आई और पोस्टमार्टम कराया। पुलिस के साथ आए उनके सहयोगियों ने बताया था कि दिल का दौरा पड़ने के कारण पुलिस पोस्टमार्टम करा रही है। पुलिस यह जानने के लिए पोस्टमार्टम करा रही है कि उनके साथ कोई गलत काम तो नहीं हुआ।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 बेटे के मौत से पूरी तरह टूट गए थे सतीश कौशिक, सदमे से उबरने लग गए थे कई साल (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 24 फ़रवरी, 2024।
- ↑ जानिए क्यों हुआ अभिनेता सतीश कौशिक का पोस्टमार्टम (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 25 फ़रवरी, 2024।
बाहरी कड़ियाँ
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