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सी.के. नायडू ने आंध्र प्रदेश केन्द्रीय भारत, केन्द्रीय प्रोविंसज एंड बरार, हिन्दू, होल्कर यूनाइटेड प्राविंस तथा भारतीय टीमों के लिए क्रिकेट खेला। 1932 में इंग्लैंड दौरे के दौरान सी. के. नायडू ने प्रथम श्रेणी के सभी 26 मैचों में हिस्सा लिया, जिनमें 40.45 की औसत से 1618 रन बनाए और 65 विकेट लिए। 1933 में सी. के. नायडू को विज़डन द्वारा 'क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर' चुन लिया गया।  
 
सी.के. नायडू ने आंध्र प्रदेश केन्द्रीय भारत, केन्द्रीय प्रोविंसज एंड बरार, हिन्दू, होल्कर यूनाइटेड प्राविंस तथा भारतीय टीमों के लिए क्रिकेट खेला। 1932 में इंग्लैंड दौरे के दौरान सी. के. नायडू ने प्रथम श्रेणी के सभी 26 मैचों में हिस्सा लिया, जिनमें 40.45 की औसत से 1618 रन बनाए और 65 विकेट लिए। 1933 में सी. के. नायडू को विज़डन द्वारा 'क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर' चुन लिया गया।  
  
सी. के. नायडू का क़द छह फुट से भी ऊँचा था। वह दाहिने हाथ के खिलाड़ी थे। उनकी शारीरिक बनावट एथलीट की भाँति हृष्ट-पुष्ट थी अतः अपने ज़ोरदार स्ट्रोक और तेज़ हिट के कारण विरोधियों के खेल के दबाव को कम कर देते थे। 1926-27 में उन्होंने खासी लोकप्रियता प्राप्त की जब उन्होंने बम्बई में 100 मिनट में 187 गेंदों पर 153 रन बना दिए जिनमें 11 छक्के तथा 13 चौके शामिल थे। यह मैच 'हिन्दू' की टीम तरफ से ए. ई. आर. गिलीगन की एम. सी.सी. के विरुद्ध खेल रहे थे। सी. के. नायडू के नाम किसी एक सीज़न में इंग्लैंड में सर्वाधिक छक्के (किसी विदेशी खिलाड़ी द्वारा) लगाने पर रिकार्ड भी है। 1932 में सी. के. नायडू ने कमाल का खेल दिखाते हुए 32 छक्के लगाए। यद्यपि सी. के. नायडू का अंतरराष्ट्रीय कैरियर बहुत छोटा रहा। उन्होंने मात्र 7 टैस्ट मैच खेले, लेकिन भारतीय क्रिकेट जगत में उन्होंने अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा 1956 में 'पद्मभूषण' प्रदान किया गया, जो भारत का तीसरा बड़ा राष्ट्रीय पुरस्कार है।  
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सी. के. नायडू का क़द छह फुट से भी ऊँचा था। वह दाहिने हाथ के खिलाड़ी थे। उनकी शारीरिक बनावट एथलीट की भाँति हृष्ट-पुष्ट थी अतः अपने ज़ोरदार स्ट्रोक और तेज़ हिट के कारण विरोधियों के खेल के दबाव को कम कर देते थे। 1926-27 में उन्होंने ख़ासी लोकप्रियता प्राप्त की जब उन्होंने बम्बई में 100 मिनट में 187 गेंदों पर 153 रन बना दिए जिनमें 11 छक्के तथा 13 चौके शामिल थे। यह मैच 'हिन्दू' की टीम तरफ से ए. ई. आर. गिलीगन की एम. सी.सी. के विरुद्ध खेल रहे थे। सी. के. नायडू के नाम किसी एक सीज़न में इंग्लैंड में सर्वाधिक छक्के (किसी विदेशी खिलाड़ी द्वारा) लगाने पर रिकार्ड भी है। 1932 में सी. के. नायडू ने कमाल का खेल दिखाते हुए 32 छक्के लगाए। यद्यपि सी. के. नायडू का अंतरराष्ट्रीय कैरियर बहुत छोटा रहा। उन्होंने मात्र 7 टैस्ट मैच खेले, लेकिन भारतीय क्रिकेट जगत में उन्होंने अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा 1956 में 'पद्मभूषण' प्रदान किया गया, जो भारत का तीसरा बड़ा राष्ट्रीय पुरस्कार है।  
 
==उपलब्धियाँ==  
 
==उपलब्धियाँ==  
 
*सी. के. नायडू भारत के प्रथम टैस्ट कप्तान बने।  
 
*सी. के. नायडू भारत के प्रथम टैस्ट कप्तान बने।  

07:38, 2 जुलाई 2011 का अवतरण

सी. के. नायडू

सी. के. नायडू (जन्म- 13 अक्टूबर, 1895, नागपुर, महाराष्ट्र; मृत्यु- 14 नवम्बर, 1967, इन्दौर) भारत के प्रथम टैस्ट कप्तान रहे। सी. के. नायडू का पूरा नाम कोट्टारी कंकैया नायडू था।

परिचय

भारत की प्रथम टैस्ट टीम के कप्तान सी. के. नायडू का जन्म 13 अक्टूबर, 1895 ई. को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था। कर्नल कोट्टारी कंकैया नायडू को प्यार से सभी लोग सी. के. कहकर पुकारा करते थे। भारत के प्रथम टैस्ट मैच में वह भारतीय टीम के कप्तान थे। यह मैच 1932 में इंग्लैंड के विरुद्ध खेला गया था। यद्यपि इंग्लैंड की टीम पूरी तरह मज़बूत थी लेकिन सी. के. नायडू की कप्तानी में भारतीय टीम ने जमकर उनका मुक़ाबला किया।

क्रिकेट सफर

सी.के. नायडू ने आंध्र प्रदेश केन्द्रीय भारत, केन्द्रीय प्रोविंसज एंड बरार, हिन्दू, होल्कर यूनाइटेड प्राविंस तथा भारतीय टीमों के लिए क्रिकेट खेला। 1932 में इंग्लैंड दौरे के दौरान सी. के. नायडू ने प्रथम श्रेणी के सभी 26 मैचों में हिस्सा लिया, जिनमें 40.45 की औसत से 1618 रन बनाए और 65 विकेट लिए। 1933 में सी. के. नायडू को विज़डन द्वारा 'क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर' चुन लिया गया।

सी. के. नायडू का क़द छह फुट से भी ऊँचा था। वह दाहिने हाथ के खिलाड़ी थे। उनकी शारीरिक बनावट एथलीट की भाँति हृष्ट-पुष्ट थी अतः अपने ज़ोरदार स्ट्रोक और तेज़ हिट के कारण विरोधियों के खेल के दबाव को कम कर देते थे। 1926-27 में उन्होंने ख़ासी लोकप्रियता प्राप्त की जब उन्होंने बम्बई में 100 मिनट में 187 गेंदों पर 153 रन बना दिए जिनमें 11 छक्के तथा 13 चौके शामिल थे। यह मैच 'हिन्दू' की टीम तरफ से ए. ई. आर. गिलीगन की एम. सी.सी. के विरुद्ध खेल रहे थे। सी. के. नायडू के नाम किसी एक सीज़न में इंग्लैंड में सर्वाधिक छक्के (किसी विदेशी खिलाड़ी द्वारा) लगाने पर रिकार्ड भी है। 1932 में सी. के. नायडू ने कमाल का खेल दिखाते हुए 32 छक्के लगाए। यद्यपि सी. के. नायडू का अंतरराष्ट्रीय कैरियर बहुत छोटा रहा। उन्होंने मात्र 7 टैस्ट मैच खेले, लेकिन भारतीय क्रिकेट जगत में उन्होंने अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा 1956 में 'पद्मभूषण' प्रदान किया गया, जो भारत का तीसरा बड़ा राष्ट्रीय पुरस्कार है।

उपलब्धियाँ

  • सी. के. नायडू भारत के प्रथम टैस्ट कप्तान बने।
  • सी. के. नायडू को 1933 में विज़डन द्वारा 'क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर' चुना गया।
  • सी. के. नायडू भारत के पहले क्रिकेटर थे जिन्हें सरकार द्वारा 'पद्मभूषण' (1956) देकर सम्मानित किया गया।
  • प्रथम श्रेणी के 26 मैचों में भाग लेकर उन्होंने 40.25 के औसत से 1618 रन बनाए।
  • 'हिन्दू' की टीम की ओर से खेलते हुए बम्बई में 1926-27) उन्होंने 100 मिनट में 11 छक्के व 13 चौके लगाकर 153 रन बनाए।

मृत्यु

सी. के. नायडू का देहांत 14 नवम्बर, 1967 को इन्दौर में हो गया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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