"पिप्पलिवन" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "<references/>" to "<references/> *पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्)
छो (Text replace - "<references/> *पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अका)
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
*पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर
+
*ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
  
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==

07:13, 16 जून 2013 का अवतरण

पिप्पलिवन बुद्ध के समकालीन मौर्य वंशीय क्षत्रियों की राजधानी था। सम्भवत: युवानच्वांग द्वारा उल्लिखित न्यग्रोधवन यही है[1] फ़ाह्यान ने यहाँ के स्तूप की स्थिति कुशीनगर से 12 योजन पश्चिम की ओर बताई है। पिप्पलिवन भारतीय इतिहास में मौर्य वंश के राजाओं के लिए प्रसिद्ध रहा है। पिप्पलिवन को पहले पिप्पलिवाहन भी कहा जाता था।

इतिहास

इतिहास में पिप्पलिवन (पीपल वनों) के निवासी आदिम क्षत्रिय मौर्य जाति में चंद्रगुप्त और अशोक जैसे महान सम्राट हुए। मौर्य, शाक्य-कोलियों के सहोदर वंशज माने गये हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि ज़िला बस्ती, उत्तर प्रदेश में स्थित 'पिपरिया' या 'पिपरावा' नामक स्थान ही पिप्पलिवन है। यहीं के प्राचीन ढूह में से एक मृदभांड प्राप्त हुआ था, जिसके ब्राह्मी अभिलेख से ज्ञात होता है कि उसमें बुद्ध के भस्मावशेष निहित थे।

बुद्ध से सम्बन्धित

बौद्ध साहित्य की कथाओं से सूचित होता है कि बुद्ध के परिनिर्वाण के पश्चात् उनकी अस्थि-भस्म को आठ भागों में बाँट दिया गया था। प्रत्येक भाग को लेकर उसको एक महास्तूप में सुरक्षित किया गया था। इस प्रकार के आठ स्तूप बनवाए गये थे। इनमें से अंगार स्तूप पिप्पलिवन में था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (देखें वाटर्स 2, पृष्ठ 23-24)।
  • ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

संबंधित लेख