"पश्चिमी ब्रेकी सेफल" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(';पश्चिमी ब्रैकीसेफल (Wesern Brachycephals {{tocright}} पश्चिमी ब्रैकीसे...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | ;पश्चिमी ब्रैकीसेफल (Wesern Brachycephals | + | ;पश्चिमी ब्रैकीसेफल (Wesern Brachycephals) |
{{tocright}} | {{tocright}} | ||
पश्चिमी ब्रैकीसेफल की भी तीन शाखाएँ हैं - | पश्चिमी ब्रैकीसेफल की भी तीन शाखाएँ हैं - | ||
− | #अल्पाइन (Alpine) | + | #अल्पाइन (Alpine) |
− | #दीनापक या डिनरिक (Dinaric) | + | #दीनापक या डिनरिक (Dinaric) |
− | #आर्मीनिया या आर्मिनॉयड (Anrmenien) | + | #आर्मीनिया या आर्मिनॉयड (Anrmenien) |
;अल्पाइन | ;अल्पाइन | ||
*[[यूरोप]] में आल्पस पर्वत के आस-पास इस प्रजाति के लोगों के निवास करने के कारण इसे आल्पस प्रजाति कहते हैं। | *[[यूरोप]] में आल्पस पर्वत के आस-पास इस प्रजाति के लोगों के निवास करने के कारण इसे आल्पस प्रजाति कहते हैं। | ||
पंक्ति 15: | पंक्ति 15: | ||
इनके शारीरिक लक्षण हैं - चौड़े कन्धे, गहरी छाती, लम्बी व चौड़ी टांगें, चौड़ा सिर, छोटी नाक, त्वचा का रंग पीला आदि। | इनके शारीरिक लक्षण हैं - चौड़े कन्धे, गहरी छाती, लम्बी व चौड़ी टांगें, चौड़ा सिर, छोटी नाक, त्वचा का रंग पीला आदि। | ||
;विशेषताएँ | ;विशेषताएँ | ||
− | पश्चिमी ब्रेकीसेफल प्रजाति मध्य एशिया की पामीर पर्वतमाला तथा ईरान पठार से ईसा से 3000 वर्ष पूर्व भारत में आयी। ये लोग 'पिशाच' अथवा 'दरदभासा' परिवार की भाषा बोलते थे। | + | पश्चिमी ब्रेकीसेफल प्रजाति मध्य एशिया की [[पामीर|पामीर पर्वतमाला]] तथा ईरान पठार से ईसा से 3000 वर्ष पूर्व भारत में आयी। ये लोग 'पिशाच' अथवा 'दरदभासा' परिवार की भाषा बोलते थे। |
+ | |||
+ | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
− | |||
− | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
− | |||
− | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भारतीय संस्कृति}}{{भारत की संस्कृति}} | {{भारतीय संस्कृति}}{{भारत की संस्कृति}} | ||
{{जातियाँ और जन जातियाँ}} | {{जातियाँ और जन जातियाँ}} | ||
− | [[Category:जातियाँ और जन जातियाँ | + | [[Category:जातियाँ और जन जातियाँ]][[Category:इतिहास_कोश]][[Category:प्राचीन संस्कृति]][[Category:संस्कृति कोश]] |
− | |||
− | [[Category:संस्कृति]] | ||
− | [[Category:संस्कृति कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
06:22, 6 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
- पश्चिमी ब्रैकीसेफल (Wesern Brachycephals)
पश्चिमी ब्रैकीसेफल की भी तीन शाखाएँ हैं -
- अल्पाइन (Alpine)
- दीनापक या डिनरिक (Dinaric)
- आर्मीनिया या आर्मिनॉयड (Anrmenien)
- अल्पाइन
- यूरोप में आल्पस पर्वत के आस-पास इस प्रजाति के लोगों के निवास करने के कारण इसे आल्पस प्रजाति कहते हैं।
- गुजरात, सौराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश तथा मध्य भारत में इस प्रजाति के लोग पाये जाते हैं।
- दीनापक या डिनरिक
- इनकी दूसरी शाखा डिनारी है, जो बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिल प्रदेश तथा महाराष्ट्र, काठियावाड़, कन्नड़ व तमिल - भाषी प्रदेशों में निवास करती है।
- आर्मीनिया या आर्मिनॉयड
- इनकी तीसरी शाखा आर्मिनॉयड है, जो मुम्बई के पारसियों में देखने को मिलती है।
- शारीरिक लक्षण
इनके शारीरिक लक्षण हैं - चौड़े कन्धे, गहरी छाती, लम्बी व चौड़ी टांगें, चौड़ा सिर, छोटी नाक, त्वचा का रंग पीला आदि।
- विशेषताएँ
पश्चिमी ब्रेकीसेफल प्रजाति मध्य एशिया की पामीर पर्वतमाला तथा ईरान पठार से ईसा से 3000 वर्ष पूर्व भारत में आयी। ये लोग 'पिशाच' अथवा 'दरदभासा' परिवार की भाषा बोलते थे।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख