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#सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ रिज़र्व बल, प्रादेशिक सेना और संघ के किसी भी अन्य सशस्त्र बलों के सभी रैंकों के सैनिक व अधिकारी।
 
#सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ रिज़र्व बल, प्रादेशिक सेना और संघ के किसी भी अन्य सशस्त्र बलों के सभी रैंकों के सैनिक व अधिकारी।
 
#रेलवे सुरक्षा बल, पुलिस बल, गृह रक्षा वाहिनी, नागरिक रक्षा संगठन के सभी रैंकों के कर्मी तथा उपर्युक्त बलों के आदेश/दिशानिर्देशों/पर्यवेक्षण के अधीन काम करने वाले सभी नागरिक।
 
#रेलवे सुरक्षा बल, पुलिस बल, गृह रक्षा वाहिनी, नागरिक रक्षा संगठन के सभी रैंकों के कर्मी तथा उपर्युक्त बलों के आदेश/दिशानिर्देशों/पर्यवेक्षण के अधीन काम करने वाले सभी नागरिक।
#सेना और आईएएफ के सभी रैंकों के कर्मी, जिन्होंने ऊपर से घेराबंदी करते हुए बीला फोंडला एनजे 8888 सियाला एनडी 7011 इंदिरा कोल तथा बेस कैंप के उत्तरी क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए प्रारंभिक कार्यवाही में भाग लिया।
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#सेना और आईएएफ के सभी रैंकों के कर्मी, जिन्होंने ऊपर से घेराबंदी करते हुए बीला फोंडला एनजे 8888 सियाला एनडी 7011 इंदिरा कोल तथा बेस कैंप के उत्तरी क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए प्रारंभिक कार्रवाई में भाग लिया।
 
#[[12 अप्रैल]] से [[18 अप्रैल]] [[1984]] की अवधि के दौरान बेस कैंप एनके 1963 के उत्तरी क्षेत्र में एक दिन या रात के लिए शारीरिक रूप से मौजूद सैन्यकर्मी।
 
#[[12 अप्रैल]] से [[18 अप्रैल]] [[1984]] की अवधि के दौरान बेस कैंप एनके 1963 के उत्तरी क्षेत्र में एक दिन या रात के लिए शारीरिक रूप से मौजूद सैन्यकर्मी।
 
#अर्हक क्षेत्र में न्यूनतम 30 दिनों तक रहने वाले सैन्यकर्मी। क्षेत्र में ऑपरेशन के दौरान पकड़े जाने के परिणामस्वरूप युद्धबंदी के तौर पर व्यतीत किए गए समय की गणना अर्हक अवधि के तौर पर की जाएगी।
 
#अर्हक क्षेत्र में न्यूनतम 30 दिनों तक रहने वाले सैन्यकर्मी। क्षेत्र में ऑपरेशन के दौरान पकड़े जाने के परिणामस्वरूप युद्धबंदी के तौर पर व्यतीत किए गए समय की गणना अर्हक अवधि के तौर पर की जाएगी।

09:08, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

सियाचिन ग्लेशियर पदक

सियाचिन ग्लेशियर पदक (अंग्रेज़ी: Siachen Glacier Medal) पाकिस्तान के साथ भारत की उत्तरी सीमा पर सियाचिन ग्लेशियर पर युद्ध अथवा सेवा के लिए दिया जाता है। अप्रैल 1984 से सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में ऑपरेशन मेघदूत में भाग लेने वाले सैनिकों की सहायता करने के लिए, भारतीय वायु सेना को इस सम्मान से सम्मानित किया गया।

योग्यता

इस पदक के लिए निम्नलिखित व्यक्तियों को योग्य समझा जाएगा-

  1. सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ रिज़र्व बल, प्रादेशिक सेना और संघ के किसी भी अन्य सशस्त्र बलों के सभी रैंकों के सैनिक व अधिकारी।
  2. रेलवे सुरक्षा बल, पुलिस बल, गृह रक्षा वाहिनी, नागरिक रक्षा संगठन के सभी रैंकों के कर्मी तथा उपर्युक्त बलों के आदेश/दिशानिर्देशों/पर्यवेक्षण के अधीन काम करने वाले सभी नागरिक।
  3. सेना और आईएएफ के सभी रैंकों के कर्मी, जिन्होंने ऊपर से घेराबंदी करते हुए बीला फोंडला एनजे 8888 सियाला एनडी 7011 इंदिरा कोल तथा बेस कैंप के उत्तरी क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए प्रारंभिक कार्रवाई में भाग लिया।
  4. 12 अप्रैल से 18 अप्रैल 1984 की अवधि के दौरान बेस कैंप एनके 1963 के उत्तरी क्षेत्र में एक दिन या रात के लिए शारीरिक रूप से मौजूद सैन्यकर्मी।
  5. अर्हक क्षेत्र में न्यूनतम 30 दिनों तक रहने वाले सैन्यकर्मी। क्षेत्र में ऑपरेशन के दौरान पकड़े जाने के परिणामस्वरूप युद्धबंदी के तौर पर व्यतीत किए गए समय की गणना अर्हक अवधि के तौर पर की जाएगी।
  6. आईएएफ और एओपी एवं एयर मेंटेनेंस बटालियनों के सभी रैंकों के कर्मी, जिन्होंने 12 अप्रैल से 18 अप्रैल 1984 की अवधि के दौरान तथा 18 अप्रैल 1984 के बाद संक्रिया के समर्थन में कम से कम तीन संक्रियात्मक या रखरखाव सॉर्टी के लिए उड़ान भरे हैं।
  7. संक्रिया के लिए प्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार सभी कमांडर और बलाधिकरण अधिकारी, जिन्होंने अर्हक क्षेत्र में दस दौरे किए हैं।
  8. सभी सैन्यकर्मी, जिन्होंने रहने की किसी भी अवधि में वीरता पुरस्कार या प्रशस्ति-पत्र प्राप्त किया अथवा शहीद या घायल या शारीरिक रूप से अक्षम हो गए।
  9. सभी असैनिक नागरिक द्धारपाल, जिन्होंने अर्हक क्षेत्र में न्यूनतम 30 दिन बिताए हैं।[1]

अर्हक क्षेत्र

पदक के लिए अर्हक क्षेत्र निम्नानुसार होंगे- एनएल 655160 स्ट्रेजयेक्स एनएल 677155 कॉमा वार्षी एनएल 937358 कॉमा मोमोस्टोंग कंगरी एनएम 147465 और कडप्पा नोगोंपो एनएम 311893 को जोड़ने वाली रेखा के उत्तर में एनएल 628181-पीटी 4505 (मानचित्र चीन/जम्मू और कश्मीर को संदर्भित करता है, पैमाना: 1:2, 50,000 पत्रक संख्या 52बी, 52ई और 52एफ)

पदक और फीता

ताम्र-निकल से निर्मित इस गोलाकार पदक का व्यास 35 मिमी होता है, जो मानक प्रतिमान के अलंकरणों के साथ एक सपाट क्षैतिज पट्टी में सुसज्जित होता है। इसके अग्र-भाग पर हिम से आच्छादित ऊंचे पहाड़ और इससे निकलने वाला एक लंबा ग्लेशियर तथा ग्लेशियर के एक छोर पर अपनी राइफल के साथ बर्फ के कपड़ों में एक सैनिक उत्कीर्ण होता है, मानो वह इसकी रखवाली कर रहा हो। ऊपर मँडराते हुए एक हेलीकाप्टर को दिखाया जाएगा। इसके पृष्ठभाग पर राजकीय चिह्न और इसके दोनों ओर हिंदी एवं अंग्रेजी में “सियाचिन ग्लेशियर मेडल” उत्कीर्ण होगा।

इस पदक को सीने पर बाईं ओर रेशमी रिबन की मदद से धारण किया जाएगा, जिसकी चौड़ाई 32 मिमी होगी। यह रिबन क्रमशः ग्रेनाइट ग्रे, सफेद और ग्रेनाइट ग्रे रंग के तीन बराबर भागों में विभक्त होगा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पदक एवं सम्‍मान (हिंदी) indiannavy.nic.in। अभिगमन तिथि: 27 मई, 2020।

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