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गाणपत्य (अंग्रेज़ी: Ganapatya) हिन्दुओं का वह सम्प्रदाय है जो गणपति (भगवान गणेश) को सगुण ब्रह्म के रूप में मानता एवं पूजता है।

  • गणेश को अनंत ब्रह्म मानकर उनकी पूजा कब से आरंभ हुई, यह विवादास्पद है। 'याज्ञवल्क्यस्मृति' में इसका उल्लेख है।
  • गणपति उपनिषद और गणेश पुराण इस मत के प्रामाणिक ग्रंथ हैं।
  • छठी और आठवीं-नवीं शताब्दी के अभिलेख गाणपत्य मत की प्राचीनता पर प्रकाश डालते हैं। यद्यपि चौदहवीं शताब्दी से यह संप्रदाय अवनत होने लगा, परंतु देवता-समूह में विघ्नविनाशक और सिद्धिदाता के रूप में गणेश का स्थान अक्षुण्ण है।[1]
  • 'श्री गणेशाय नमः' का मंत्र और मस्तक पर लाल तिलक इसका चिह्न है। सभी मांगलिक कार्यों में सर्वप्रथम गणपति की उपासना तथा पूजा होती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय संस्कृति कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: राजपाल एंड सन्ज, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 279 |

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