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*काव्यमीमांसा में राजशेखर ने [[बुंदेलखंड]] के नर्तक, गायक, वादक, चारण, चितेरे, विट, वेश्या, इन्द्रजालिक के अतिरिक्त हाथ के तालों पर नाचने वाले, तैराक, रस्सों पर नाचने वाले, दाँतों से खेल दिखाने वाले, पहलवान, पटेबाज और मदारियों का उल्लेख किया है। | *काव्यमीमांसा में राजशेखर ने [[बुंदेलखंड]] के नर्तक, गायक, वादक, चारण, चितेरे, विट, वेश्या, इन्द्रजालिक के अतिरिक्त हाथ के तालों पर नाचने वाले, तैराक, रस्सों पर नाचने वाले, दाँतों से खेल दिखाने वाले, पहलवान, पटेबाज और मदारियों का उल्लेख किया है। | ||
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- संस्कृत कवि राजशेखर द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे।
- किंतु इसका केवल पहला अधिकरण ही उपलब्ध है।
- इसमें कवि ने रस, नीति, अलंकार आदि शास्त्रीय विषयों का समावेश किया है।
- काव्यमीमांसा में राजशेखर ने बुंदेलखंड के नर्तक, गायक, वादक, चारण, चितेरे, विट, वेश्या, इन्द्रजालिक के अतिरिक्त हाथ के तालों पर नाचने वाले, तैराक, रस्सों पर नाचने वाले, दाँतों से खेल दिखाने वाले, पहलवान, पटेबाज और मदारियों का उल्लेख किया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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