"मराठा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Adding category Category:जातियाँ और जन जातियाँ (को हटा दिया गया हैं।))
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
*इन्हें महरट्टा या महरट्टी भी कहा जाता है, [[भारत]] के वे प्रमुख लोग, जो इतिहास में क्षेत्र रक्षक योद्धा और हिंदू धर्म क समर्थक के रूप में विख्यात हैं, इनका गृहक्षेत्र, आज का मराठी भाषी क्षेत्र [[महाराष्ट्र]] राज्य है, जिसका पश्चिमी क्षेत्र समुद्र तट के किनारे [[मुंबई]] (भूतपूर्व बंबई) से [[गोवा]] तक और आंतरिक क्षेत्र पूर्व में लगभग 160 किमी [[नागपुर]] तक फैला हुआ था।  
 
*इन्हें महरट्टा या महरट्टी भी कहा जाता है, [[भारत]] के वे प्रमुख लोग, जो इतिहास में क्षेत्र रक्षक योद्धा और हिंदू धर्म क समर्थक के रूप में विख्यात हैं, इनका गृहक्षेत्र, आज का मराठी भाषी क्षेत्र [[महाराष्ट्र]] राज्य है, जिसका पश्चिमी क्षेत्र समुद्र तट के किनारे [[मुंबई]] (भूतपूर्व बंबई) से [[गोवा]] तक और आंतरिक क्षेत्र पूर्व में लगभग 160 किमी [[नागपुर]] तक फैला हुआ था।  
 
 
*मराठा शब्द का तीन मिलते-जुलते अर्थों में उपयोग होता है-मराठी भाषी क्षेत्र में इससे एकमात्र प्रभुत्वशाली मराठा जाति या मराठों और कुंभी जाति के एक समूह का बोध होता है, महाराष्ट्र के बाहर मोटे तौर पर इससे समूची क्षेत्रीय मराठी भाषी आबादी का बोध होता है, जिसकी संख्या लगभग 6.5 करोड़ है। ऐतिहासिक रूप में यह शब्द मराठा शासक [[शिवाजी]] द्वारा 17वीं शताब्दी में स्थापित राज्य और उनके उत्तराधिकारियों द्वारा 18वीं शताब्दी में विस्तारित क्षेत्रीय राज्य के लिए प्रयुक्त होता है।  
 
*मराठा शब्द का तीन मिलते-जुलते अर्थों में उपयोग होता है-मराठी भाषी क्षेत्र में इससे एकमात्र प्रभुत्वशाली मराठा जाति या मराठों और कुंभी जाति के एक समूह का बोध होता है, महाराष्ट्र के बाहर मोटे तौर पर इससे समूची क्षेत्रीय मराठी भाषी आबादी का बोध होता है, जिसकी संख्या लगभग 6.5 करोड़ है। ऐतिहासिक रूप में यह शब्द मराठा शासक [[शिवाजी]] द्वारा 17वीं शताब्दी में स्थापित राज्य और उनके उत्तराधिकारियों द्वारा 18वीं शताब्दी में विस्तारित क्षेत्रीय राज्य के लिए प्रयुक्त होता है।  
 
 
*मराठा जाति के लोग मुख्यतः ग्रामीण किसान, ज़मींदार और सैनिक थे, कुछ मराठों और कुंभियों ने कभी-कभी क्षत्रिय होने का दावा भी किया और इसकी पुष्टि वे अपने कुल-नाम व वंशावली को महाकाव्यों के नायकों, उत्तर के राजपूत वंशों या पूर्व मध्यकाल के ऐतिहासिक राजवंशों से जोड़कर करते हैं, मराठा और कुंभी समूह की जातियाँ तटीय, पश्चिमी पहाड़ियों और दक्कन के मैदान के उपसमूहों में बँटी हुई हैं और उनके बीच आपस में वैवाहिक संबंध कम ही होते हैं। प्रत्येक उप क्षेत्र में इन जातियों के गोत्रों को विभिन्न समाज मंडलों में क्रमशः घटते हुए क्रम में वर्गीकृत किया गया है। सबसे बड़े सामाजिक मंडल में 96 गोत्र शामिल हैं। जिनमें सभी असली मराठा बताए जाते हैं। लेकिन इन 96 गोत्रों की सूचियों में काफ़ी विविधता और विवाद हैं।  
 
*मराठा जाति के लोग मुख्यतः ग्रामीण किसान, ज़मींदार और सैनिक थे, कुछ मराठों और कुंभियों ने कभी-कभी क्षत्रिय होने का दावा भी किया और इसकी पुष्टि वे अपने कुल-नाम व वंशावली को महाकाव्यों के नायकों, उत्तर के राजपूत वंशों या पूर्व मध्यकाल के ऐतिहासिक राजवंशों से जोड़कर करते हैं, मराठा और कुंभी समूह की जातियाँ तटीय, पश्चिमी पहाड़ियों और दक्कन के मैदान के उपसमूहों में बँटी हुई हैं और उनके बीच आपस में वैवाहिक संबंध कम ही होते हैं। प्रत्येक उप क्षेत्र में इन जातियों के गोत्रों को विभिन्न समाज मंडलों में क्रमशः घटते हुए क्रम में वर्गीकृत किया गया है। सबसे बड़े सामाजिक मंडल में 96 गोत्र शामिल हैं। जिनमें सभी असली मराठा बताए जाते हैं। लेकिन इन 96 गोत्रों की सूचियों में काफ़ी विविधता और विवाद हैं।  
 
 
{{point}} देखें [[मराठा साम्राज्य]]
 
{{point}} देखें [[मराठा साम्राज्य]]
  
  
 
+
==संबंधित लेख==
 
+
{{जातियाँ और जन जातियाँ}}
 
[[Category:मराठा_साम्राज्य]]
 
[[Category:मराठा_साम्राज्य]]
 
[[Category:इतिहास_कोश]]
 
[[Category:इतिहास_कोश]]
 
[[Category:जातियाँ और जन जातियाँ]]
 
[[Category:जातियाँ और जन जातियाँ]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

08:30, 1 फ़रवरी 2011 का अवतरण

  • इन्हें महरट्टा या महरट्टी भी कहा जाता है, भारत के वे प्रमुख लोग, जो इतिहास में क्षेत्र रक्षक योद्धा और हिंदू धर्म क समर्थक के रूप में विख्यात हैं, इनका गृहक्षेत्र, आज का मराठी भाषी क्षेत्र महाराष्ट्र राज्य है, जिसका पश्चिमी क्षेत्र समुद्र तट के किनारे मुंबई (भूतपूर्व बंबई) से गोवा तक और आंतरिक क्षेत्र पूर्व में लगभग 160 किमी नागपुर तक फैला हुआ था।
  • मराठा शब्द का तीन मिलते-जुलते अर्थों में उपयोग होता है-मराठी भाषी क्षेत्र में इससे एकमात्र प्रभुत्वशाली मराठा जाति या मराठों और कुंभी जाति के एक समूह का बोध होता है, महाराष्ट्र के बाहर मोटे तौर पर इससे समूची क्षेत्रीय मराठी भाषी आबादी का बोध होता है, जिसकी संख्या लगभग 6.5 करोड़ है। ऐतिहासिक रूप में यह शब्द मराठा शासक शिवाजी द्वारा 17वीं शताब्दी में स्थापित राज्य और उनके उत्तराधिकारियों द्वारा 18वीं शताब्दी में विस्तारित क्षेत्रीय राज्य के लिए प्रयुक्त होता है।
  • मराठा जाति के लोग मुख्यतः ग्रामीण किसान, ज़मींदार और सैनिक थे, कुछ मराठों और कुंभियों ने कभी-कभी क्षत्रिय होने का दावा भी किया और इसकी पुष्टि वे अपने कुल-नाम व वंशावली को महाकाव्यों के नायकों, उत्तर के राजपूत वंशों या पूर्व मध्यकाल के ऐतिहासिक राजवंशों से जोड़कर करते हैं, मराठा और कुंभी समूह की जातियाँ तटीय, पश्चिमी पहाड़ियों और दक्कन के मैदान के उपसमूहों में बँटी हुई हैं और उनके बीच आपस में वैवाहिक संबंध कम ही होते हैं। प्रत्येक उप क्षेत्र में इन जातियों के गोत्रों को विभिन्न समाज मंडलों में क्रमशः घटते हुए क्रम में वर्गीकृत किया गया है। सबसे बड़े सामाजिक मंडल में 96 गोत्र शामिल हैं। जिनमें सभी असली मराठा बताए जाते हैं। लेकिन इन 96 गोत्रों की सूचियों में काफ़ी विविधता और विवाद हैं।

{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} देखें मराठा साम्राज्य


संबंधित लेख