ई. के. जानकी अम्मल राष्ट्रीय पुरस्कार

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ई. के. जानकी अम्मल राष्ट्रीय पुरस्कार (अंग्रेज़ी: E. K. Janaki Ammal National Award) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। प्रो. ई. के. जानकी अम्‍मल के नाम पर यह पुरस्‍कार वर्ष 1999 में शुरू किया गया था। स्‍वर्गीय प्रो. जानकी अम्‍मल ने विशेष रूप से साइटोटैक्‍सोनॉमी के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट कार्य किया तथा उनका कार्य अनेक युवा वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है।

जैविक विविधता का संरक्षण

जैविक विविधता उन जीव जंतु एवं पारिस्थितिकी प्रणालियों में परिवर्तन से संबंधित होती है, जिनका वे अंग होते हैं। जैविक विविधता का संरक्षण पारिस्थितिकी में संतुलन स्‍थापित करने तथा विकास की प्रक्रियाओं के लिए महत्‍वपूर्ण होता है। इसका खाद्य सुरक्षा, कृषि, दवा, उद्योग आदि से सीधा संबंध होता है। जैव प्रौद्योगिकी में उन्नति तथा जैविक संसाधनों के प्रयोग पर आधारित उत्‍पादों का विकास जैविक संसाधनों के अधिक प्रयोग के लिए उत्तरोत्तर प्रेरणा का स्रोत बनता जा रहा है। वर्गिकी विज्ञान जीव जंतुओं की पहचान, वर्गीकरण एवं नामकरण का विज्ञान है। वर्गिकी से जुड़े कार्य में जीव जंतुओं की मार्फोलॉजिकल विशेषताओं एवं फिलोजेनेटिक संबंध का अध्‍ययन शामिल होता है, जो अनुप्रयुक्‍त जैविक विज्ञानों, जैसे कि दवा, कृषि, वानिकी एवं मछली पालन आदि के लिए आवश्‍यक होता है।

विकास तथा उद्योगों में प्रयोग

जैव प्रौद्योगिकी का विकास तथा उद्योगों में उनका प्रयोग बहुत हद तक वर्गिकी विज्ञान पर आश्रित होता है। वर्गिकी से जुड़े कार्य की वर्तमान आवश्‍यकताओं तथा उपलब्‍ध विशेषज्ञता एवं अध्‍ययनों से संकेत मिलता है कि अभी तक उपेक्षित जीव जंतुओं के समूह अर्थात माइक्रोब, पादपों, जीव जंतुओं के निम्‍न समूहों आदि में काम करने के लिए विशेषज्ञों को प्रेरित करने तथा उत्‍कृष्‍टता को प्रोत्‍साहित करने की तत्‍काल आवश्‍यकता है। यह चुनौती बहुत गंभीर है, क्‍योंकि एक तरफ विद्यमान विशेषज्ञ वयोवृद्ध और सेवानिवृत्‍त हो रहे हैं तथा दूसरी तरफ ऐसे युवा विद्वानों की संख्‍या अधिक नहीं है, जो वर्गिकी विज्ञान में अध्‍ययन का विकल्‍प चुन रहे हैं।

पुरस्कार की शुरुआत

वर्गिकी विज्ञान में उत्‍कृष्‍टता के कार्य को प्रोत्‍साहित करने के लिए तथा विज्ञान के इस क्षेत्र में युवा छात्रों एवं विद्वानों को काम करने के लिए प्रोत्‍साहित करने के लिए भी प्रो. ई. के. जानकी अम्‍मल के नाम पर यह पुरस्‍कार वर्ष 1999 में शुरू किया गया था। स्‍वर्गीय प्रो. जानकी अम्‍मल ने विशेष रूप से साइटोटैक्‍सोनॉमी के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट कार्य किया तथा उनका कार्य अनेक युवा वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। शुरू में सभी तीन क्षेत्रों अर्थात वनस्‍पति विज्ञान, प्राणी विज्ञान एवं सूक्ष्‍म जीव जंतुओं के अध्‍ययन के क्षेत्र को शामिल करते हुए वर्गिकी विज्ञान पर एक पुरस्‍कार था। वर्ष 2005 से पुरस्‍कार के दायरे को बड़ा करने तथा पुरस्‍कारों की संख्‍या बढ़ाकर दो करने, पादप एवं जीव जंतु विज्ञान में उत्‍कृष्‍टता के लिए एक-एक पुरस्‍कार करने का निर्णय लिया गया है। तीनों पुरस्‍कारों को ‘ई. के. जानकी अम्‍मल राष्‍ट्रीय पादप वर्गिकी विज्ञान पुरस्‍कार’ और ‘ई. के. जानकी अम्‍मल राष्‍ट्रीय जीव जंतु वर्गिकी विज्ञान पुरस्‍कार’ और ‘ई. के. जानकी अम्‍मल राष्‍ट्रीय सूक्ष्‍मजीव वर्गिकी पुरस्‍कार’ के रूप में जाना जाएगा।



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