गाँव में चक्का तलाई -अजेय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:17, 26 जनवरी 2017 का अवतरण (Text replacement - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{स्वतंत्र लेख}}")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Icon-edit.gif यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।
गाँव में चक्का तलाई -अजेय
Ajey.JPG
कवि अजेय
जन्म स्थान (सुमनम, केलंग, हिमाचल प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अजेय की रचनाएँ


मेरे गाँव की गलियाँ पक्की हो गईं हैं.

गुज़र गई है एक धूल उड़ाती सड़क
गाँव के ऊपर से
खेतों के बीचों बीच
बड़ी बड़ी गाड़ियाँ
लाद ले जातीं हैं शहर की मंडी तक
नकदी फसल के साथ
मेरे गाँव के सपने
छोटी छोटी खुशियाँ – -

कच्ची मिट्टी की समतल धुपैली छतों से
उड़ा ले गया है हेलिकॉप्टर
सुकून का एक नरम गरम टुकड़ा
ऊन कातती औरतें
चिलम लगाते बूढ़े
‘छोलो’ की मंडलियाँ
और विष-अमृत खेलते छोटे छोटे बच्चे --
उड़ा ले गया है
सर्दियों की सारी चहल पहल


मेरे गाँव के घर भी पक्के हो गए हैं
रंगीन टी वी के नकली किरदारों मे जीती
बनावटी दुक्खों से कुढ़ती
ज़िन्दगी उन घरों के
भीतरी ‘कोज़ी’ हिस्सों मे क़ैद हो गई है
किस जनम के करम हैं कि
यहाँ फँस गए हैं हम !
   कैसे निकल भागें पहाड़ों के उस पार ?

आए दिन फटती है खोपड़ियाँ जवान लड़कों की *
कितने दिन हो गए पूरे गाँव को मैंने
एक जगह
एक मुद्दे पर इकट्ठा नहीं देखा
   
भौंचक्का , भूल गया हूँ गाँव आ कर
अपना मक़सद
शर्मसार हूँ अपने सपनों पर
मेरे सपनों से बहुत आगे निकल गया है गाँव

बहुत ज़्यादा तरक़्क़ी हो गई है
मेरे गाँव की गलियाँ पक्की हो गई हैं.


ताँदी पुल रेन शेल्टर 11.10.1985


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

स्वतंत्र लेखन वृक्ष