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*कार्तिकेय स्वामी सेनाधिप हैं, शक्ति के अधिदेव हैं, प्रतिष्ठा, विजय, व्यवस्था, अनुशासन सभी कुछ इनकी कृपा से सम्पन्न होते हैं।
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*कृत्तिकाओं ने इन्हें अपना पुत्र बनाया था, इस कारण इन्हें 'कार्तिकेय' कहा गया। देवताओं ने इन्हें अपना सेनापतित्व प्रदान किया।
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*मयूर पर आसीन देवसेनापति कुमार कार्तिक की आराधना दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा होती है।
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07:52, 14 मार्च 2022 के समय का अवतरण

लेख सूचना
अक्षयकुमार (कार्तिकेय)
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 69
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक चंद्रचूड़ मणि।

अक्षयकुमार देव सेनानी स्कंद अथवा कार्तिकेय का नाम है। वे महादेव के पुत्र थे; कृत्तिका ने उनका पालन किया था। कालिदास ने कुमारसंभव में पार्वतीपरिणय तथा कुमारोत्पत्ति का विशद वर्णन किया है।[1]

  • माता द्वारा दिये गए एक शाप के कारण ही कार्तिकेय सदैव बालक रूप में रहते हैं परंतु उनके इस बालक स्वरूप का भी एक रहस्य है।
  • कार्तिकेय का एक नाम 'स्कन्द' भी है और इन्हें दक्षिण भारत में 'मुरुगन' कहा जाता है। भगवान कार्तिकेय के अधिकतर भक्त तमिल हिन्दू हैं।
  • इनकी पूजा मुख्यत: भारत के दक्षिणी राज्यों और विशेषकर तमिलनाडु में होती है। इसके अतिरिक्त विश्व में श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर आदि में भी इन्हें पूजा जाता है।
  • भगवान स्कंद (कार्तिकेय) के सबसे प्रसिद्ध मंदिर तमिलनाडू में स्थित हैं, इन्हें तमिलों के देवता कहकर भी संबोधित किया जाता है।
  • कार्तिकेय स्वामी सेनाधिप हैं, शक्ति के अधिदेव हैं, प्रतिष्ठा, विजय, व्यवस्था, अनुशासन सभी कुछ इनकी कृपा से सम्पन्न होते हैं।
  • कृत्तिकाओं ने इन्हें अपना पुत्र बनाया था, इस कारण इन्हें 'कार्तिकेय' कहा गया। देवताओं ने इन्हें अपना सेनापतित्व प्रदान किया।
  • मयूर पर आसीन देवसेनापति कुमार कार्तिक की आराधना दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा होती है।
  • पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन स्कन्द भगवान की पूजा का विशेष महत्व है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 69 |

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