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10:30, 7 जून 2018 के समय का अवतरण

अरण्यानी ऋग्वेद की वनदेवी। यह समस्त जगत की कल्याणकारिणी है। इसे मधुर गंध से सुरभित कहा गया है। यह समस्त वन्य जगत्‌ की धात्री है (मृगाणां मातरछ) बिना उपजाए ही प्राणियों के लिए आहार उत्तझ करनेवाली है। ऋग्वेद में एक पूरा सूक्त (10,146) उसकी स्तुति में कहा गया है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 216 |

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