"आर. के. लक्ष्मण" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण''' का जन्म [[23 अक्टूबर]] [[1921]] को [[मैसूर]] में हुआ था।
+
'''रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण''' (जन्म- [[23 अक्टूबर]], [[1921]], [[मैसूर]]) को [[भारत]] के एक प्रमुख व्यंग-चित्रकार के रूप में प्रसिद्ध प्राप्त है। अपने कार्टूनों के ज़रिए आर. के. लक्ष्मण ने एक आम आदमी को एक व्यापक स्थान दिया और उसके जीवन की मायूसी, अँधेरे, उजाले, ख़ुशी और ग़म को शब्दों और रेखाओं की मदद से समाज के सामने रखा। असाधारण व्यक्तित्व के धनी आर. के. लक्ष्मण ने वक़्त की नब्ज को पहचान कर देश, समाज और स्थितियों की अक्कासी की। लक्ष्मण के कार्टूनों की दुनिया व्यापक है और इसमें समाज का चेहरा तो दिखता ही है, साथ ही भारतीय राजनीति में होने वाले बदलाव भी दिखाई देते हैं।
*रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण को आर. के. लक्ष्मण के नाम से भी जाना जाता है।
+
==जन्म तथा शिक्षा==
*रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण टाइम्स ऑफ़ इण्डिया और [[भारत]] के सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट, जिन्हें [[1984]] का [[पत्रकारिता]], साहित्य व सृजनात्मक संचार कलाओं का [[रेमन मैग्सेसे पुरस्कार]], [[पद्म भूषण]] और [[पद्म विभूषण]] दिया गया था।
+
आर. के. लक्ष्मण का जन्म 23 अक्टूबर, 1921 को मैसूर, [[कर्नाटक]] में हुआ था। उनके [[पिता]] स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्त थे। पिता की छ: संतान थीं, जिनमें लक्ष्मण सबसे कम उम्र के थे। उनके एक बड़े भाई आर. के. नारायण का इन्हें पूरा सहयोग प्राप्त था। आर. के. लक्ष्मण ने हाईस्कूल पास करने के बाद ही यह तय कर लिया था कि वह कार्टूनिस्ट के रूप में अपना कैरियर बनाएँगे। बी.ए. के बाद उन्होंने 'मैसूर यूनीवर्सिटी' में पढ़ते हुए फ्रीलांस कलाकार के रूप में 'स्वराज अखबार' के लिए कार्टून बनाने शुरू किए, जिससे उन्हें बहुत ख्याति मिली। साथ ही एनिमेटेड फ़िल्मों में भी लक्ष्मण ने मिथकीय पात्र 'नारद' का चित्रांकन किया।
*आर. के. लक्ष्मण आम आदमी की पीड़ा को अपनी कूँची से गढ़कर जनता के सामने रखते हैं।
+
====निर्भीक पत्रकार====
*आर. के. लक्ष्मण समाज की विकृतियों, राजनीतिक विदूषकों और उनकी विचारधारा की विषमताओं पर भी वे तीख़े ब्रश चलाते हैं।
+
लक्ष्मण के बड़े भाई आर. के. नारायण एक कथाकार तथा उपन्यासकार थे, जिनकी रचनाएँ 'गाइड' तथा 'मालगुडी डेज़' ने प्रसिद्धि की ऊँचाइयों को छुआ था। आर. के. लक्ष्मण ने उनके लिए भी चित्र बनाए, जो 'हिंदू' समाचार पत्र में छपे। उसके बाद लक्ष्मण राजनीतिक स्थितियों पर कार्टून बनाते हुए निर्भीक तथा बेबाक पत्रकार माने जाने लगे। 'टाइम्स ऑफ़ इण्डिया' में 'यू सेड इट' आज भी लक्ष्मण के कार्टून सम्मानपूर्वक प्रकाशित करता है।
 +
==विशेषता==
 +
एक कार्टूनिस्ट के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करने के साथ ही लक्ष्मण ने महत्त्वपूर्ण लेखन भी किया। उनकी आत्मकथा 'टनल टु टाइम' उनकी लेखन क्षमता का प्रमाण सामने लाती है। आर. के. लक्ष्मण के कार्टूनों में एक आम आदमी को प्रस्तुत करती एक छवि जितनी सादगी भरी है, उतनी ही पैनी भी होती है। लक्ष्मण ने जिस आम आदमी को केंद्र में रख कर सृजन किया, उस आदमी की पीड़ा को उन्होंने न सिर्फ़ महसूस किया, बल्कि उसे रेखाओं की मदद से व्यापक सरोकारों से जोड़ा। अपने समय और समाज से मुठभेड़ करते हुए लक्ष्मण ने हमेशा ही बहुत ही सलीक़े से अपनी बात हमारे सामने रखी। लक्ष्मण के कार्टूनों की एक बड़ी ख़ूबी यह भी है कि उन्होंने हर उस व्यक्ति को अपने सृजन का विषय बनाया, जो उन्हें मुनासिब लगा। व्यक्ति के पद और प्रभाव की वजह से उन्होंने कभी भी किसी तरह का समझौता नहीं किया। दरअसल यह उस आम आदमी का ही जीवट है, जो वक़्त पड़ने पर बड़े से बड़े आदमी की आँखों में आँखें डालकर तन कर बात करता है। लक्ष्मण का यह आदमी जीवन के सुख-दुख को एक-दूसरे से बाँटता हुआ जीवन में नए [[रंग]] भी भरता है और जीने का अंदाज़ भी सिखाता है।
 +
==सम्मान एवं पुरस्कार==
 +
आर. के. लक्ष्मण को उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए कई सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं-
 +
#[[पद्मभूषण]]
 +
#[[पद्मविभूषण]]
 +
#[[रेमन मेग्सेसे पुरस्कार]] ([[1984]])
 +
#बी. डी. गोयनका पुरस्कार
 +
#दुर्गा रतन स्वर्ण पदक
 +
==प्रमुख पुस्तकें==
 +
#टनल टु टाइम (आत्मकथा)
 +
#द बेस्ट ऑफ़ लक्षमण सीरीज
 +
#दि एलोक्वोयेन्ट ब्रश
 +
#द मेसेंजर
 +
#होटल रिवीयेरा
 +
#सर्वेन्ट्स ऑफ़ इंडिया
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
पंक्ति 11: पंक्ति 27:
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{रेमन मैग्सेसे पुरस्कार}}{{पद्म विभूषण}}
 
{{रेमन मैग्सेसे पुरस्कार}}{{पद्म विभूषण}}
[[Category:रेमन मैग्सेसे पुरस्कार]]
+
[[Category:पत्रकार]][[Category:लेखक]][[Category:रेमन मैग्सेसे पुरस्कार]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:पद्म विभूषण]][[Category:चरित कोश]][[Category:कला कोश]]
[[Category:पद्म भूषण]]
 
[[Category:पद्म विभूषण]]
 
[[Category:कला कोश]]
 
 
 
 
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 +
__NOTOC__

06:04, 22 अक्टूबर 2012 का अवतरण

रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण (जन्म- 23 अक्टूबर, 1921, मैसूर) को भारत के एक प्रमुख व्यंग-चित्रकार के रूप में प्रसिद्ध प्राप्त है। अपने कार्टूनों के ज़रिए आर. के. लक्ष्मण ने एक आम आदमी को एक व्यापक स्थान दिया और उसके जीवन की मायूसी, अँधेरे, उजाले, ख़ुशी और ग़म को शब्दों और रेखाओं की मदद से समाज के सामने रखा। असाधारण व्यक्तित्व के धनी आर. के. लक्ष्मण ने वक़्त की नब्ज को पहचान कर देश, समाज और स्थितियों की अक्कासी की। लक्ष्मण के कार्टूनों की दुनिया व्यापक है और इसमें समाज का चेहरा तो दिखता ही है, साथ ही भारतीय राजनीति में होने वाले बदलाव भी दिखाई देते हैं।

जन्म तथा शिक्षा

आर. के. लक्ष्मण का जन्म 23 अक्टूबर, 1921 को मैसूर, कर्नाटक में हुआ था। उनके पिता स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्त थे। पिता की छ: संतान थीं, जिनमें लक्ष्मण सबसे कम उम्र के थे। उनके एक बड़े भाई आर. के. नारायण का इन्हें पूरा सहयोग प्राप्त था। आर. के. लक्ष्मण ने हाईस्कूल पास करने के बाद ही यह तय कर लिया था कि वह कार्टूनिस्ट के रूप में अपना कैरियर बनाएँगे। बी.ए. के बाद उन्होंने 'मैसूर यूनीवर्सिटी' में पढ़ते हुए फ्रीलांस कलाकार के रूप में 'स्वराज अखबार' के लिए कार्टून बनाने शुरू किए, जिससे उन्हें बहुत ख्याति मिली। साथ ही एनिमेटेड फ़िल्मों में भी लक्ष्मण ने मिथकीय पात्र 'नारद' का चित्रांकन किया।

निर्भीक पत्रकार

लक्ष्मण के बड़े भाई आर. के. नारायण एक कथाकार तथा उपन्यासकार थे, जिनकी रचनाएँ 'गाइड' तथा 'मालगुडी डेज़' ने प्रसिद्धि की ऊँचाइयों को छुआ था। आर. के. लक्ष्मण ने उनके लिए भी चित्र बनाए, जो 'हिंदू' समाचार पत्र में छपे। उसके बाद लक्ष्मण राजनीतिक स्थितियों पर कार्टून बनाते हुए निर्भीक तथा बेबाक पत्रकार माने जाने लगे। 'टाइम्स ऑफ़ इण्डिया' में 'यू सेड इट' आज भी लक्ष्मण के कार्टून सम्मानपूर्वक प्रकाशित करता है।

विशेषता

एक कार्टूनिस्ट के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करने के साथ ही लक्ष्मण ने महत्त्वपूर्ण लेखन भी किया। उनकी आत्मकथा 'टनल टु टाइम' उनकी लेखन क्षमता का प्रमाण सामने लाती है। आर. के. लक्ष्मण के कार्टूनों में एक आम आदमी को प्रस्तुत करती एक छवि जितनी सादगी भरी है, उतनी ही पैनी भी होती है। लक्ष्मण ने जिस आम आदमी को केंद्र में रख कर सृजन किया, उस आदमी की पीड़ा को उन्होंने न सिर्फ़ महसूस किया, बल्कि उसे रेखाओं की मदद से व्यापक सरोकारों से जोड़ा। अपने समय और समाज से मुठभेड़ करते हुए लक्ष्मण ने हमेशा ही बहुत ही सलीक़े से अपनी बात हमारे सामने रखी। लक्ष्मण के कार्टूनों की एक बड़ी ख़ूबी यह भी है कि उन्होंने हर उस व्यक्ति को अपने सृजन का विषय बनाया, जो उन्हें मुनासिब लगा। व्यक्ति के पद और प्रभाव की वजह से उन्होंने कभी भी किसी तरह का समझौता नहीं किया। दरअसल यह उस आम आदमी का ही जीवट है, जो वक़्त पड़ने पर बड़े से बड़े आदमी की आँखों में आँखें डालकर तन कर बात करता है। लक्ष्मण का यह आदमी जीवन के सुख-दुख को एक-दूसरे से बाँटता हुआ जीवन में नए रंग भी भरता है और जीने का अंदाज़ भी सिखाता है।

सम्मान एवं पुरस्कार

आर. के. लक्ष्मण को उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए कई सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं-

  1. पद्मभूषण
  2. पद्मविभूषण
  3. रेमन मेग्सेसे पुरस्कार (1984)
  4. बी. डी. गोयनका पुरस्कार
  5. दुर्गा रतन स्वर्ण पदक

प्रमुख पुस्तकें

  1. टनल टु टाइम (आत्मकथा)
  2. द बेस्ट ऑफ़ लक्षमण सीरीज
  3. दि एलोक्वोयेन्ट ब्रश
  4. द मेसेंजर
  5. होटल रिवीयेरा
  6. सर्वेन्ट्स ऑफ़ इंडिया


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख