इंद्रयाग

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इंद्रयाग हिन्दू धार्मिक ग्रंथ भागवतपुराण के अनुसार प्राचीन ब्रज में मनाया जाने वाला एक विशेष उत्सव था।

  • श्रीकृष्ण के पालक पिता नंदबाबा प्रतिवर्ष अन्य गोपों के साथ देवराज इन्द्र के निमित्त इस उत्सव का आयोजन करते थे।
  • इस उत्सव को भगवान श्रीकृष्ण ने बंद करवाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू करवाई थी, जिस कारण इन्द्र के प्रकोप के कारण ब्रज में घनघोर वर्षा हुई।
  • क्रोधित इन्द्र के कोप से बचने हेतु श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षार्थ गोवर्धन पर्वत को सात दिनों तक अपनी अंगुली पर धारण किया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भागवतपुराण 10.24 पूरा; 25.1-28

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